Janta Ki Awaz
उत्तर प्रदेश

केंद्रीय कैबिनेट का बड़ा फैसला: महिला आरक्षण विधेयक को मंजूरी, अब संसद के विशेष सत्र में किया जाएगा पेश

केंद्रीय कैबिनेट का बड़ा फैसला: महिला आरक्षण विधेयक को मंजूरी, अब संसद के विशेष सत्र में किया जाएगा पेश
X

1996 में पटल पर रखे जाने से लेकर साल 2010 में राज्यसभा से पास होने तक महिला आरक्षण विधेयक कई बार सदन से ठुकराया गया. इसका सिलसिला 12 सितंबर 1996 से शुरू होता है. बिल को पटल पर रखा गया, विरोध के कारण पास नहीं हो सका. इसी तरह 1999, 2003, 2004 और 2009 में बिल के पक्ष में माहौल नहीं बन सका, लिहाजा ये विधेयक पास नहीं हो सका.

संसद के विशेष सत्र के बीच कैबिनेट की अहम बैठक हुई। बैठक में महिला आरक्षण विधेयक को मंजूरी दे दी गई। केंद्रीय कैबिनेट से बिल को हरी झंडी मिलने के बाद अब इसे संसद के विशेष सत्र में पेश किया जाएगा। इससे पहले सोमवार शाम 6.30 बजे केंद्रीय कैबिनेट की बैठक शुरू हुई। बैठक संसद की एनेक्सी बिल्डिंग में हुई। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में महिला आरक्षण बिल पर विस्तार से चर्चा हुई।

संसद के विशेष सत्र के बीच कैबिनेट की अहम बैठक हुई। अटकलें हैं कि बैठक में महिला आरक्षण विधेयक को मंजूरी मिल गई है। केंद्रीय कैबिनेट से बिल को हरी झंडी दे दी है। इससे पहले सोमवार शाम 6.30 बजे केंद्रीय कैबिनेट की बैठक शुरू हुई। बैठक संसद की एनेक्सी बिल्डिंग में हुई। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में महिला आरक्षण बिल पर विस्तार से चर्चा हुई।

इससे पहले पीएम मोदी ने संसद में अपने भाषण के दौरान इसका संकेत दिया था। CWC बैठक के भाषण में सोनिया गांधी ने भी मोदी सरकार से महिला आरक्षण बिल लाने की मांग की थी। तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर भी इसकी वकालत कर चुके हैं। बीते दिन हुई सर्वदलीय बैठक में भी विपक्ष और सत्ता पक्ष के कई दलों ने भी इसका समर्थन किया था।

प्रधानमंत्री मोदी के अलावा बैठक में राजनाथ सिंह, अमित शाह, पीयूष गोयल, प्रह्लाद जोशी, एस जयशंकर, निर्मला सीतारमण, धर्मेंद्र प्रधान, नितिन गडकरी और अर्जुन राम मेघवाल सहित केंद्रीय मंत्री शामिल हुए। संसद सत्र 18-22 सितंबर तक आयोजित किए जाने की घोषणा के बाद से ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि इस सत्र में सरकार महिला आरक्षण विधेयक या अन्य महत्वपूर्ण विधेयक ला सकती है।

विधेयक के बारे में जानिए

महिला आरक्षण विधेयक में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित करने का प्रावधान किया गया है। लैंगिक समानता और समावेशी शासन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होने के बावजूद, यह विधेयक बहुत लंबे समय से अधर में लटका हुआ है।

महिला आरक्षण विधेयक के अहम बिंदू?

विधेयक को शुरू में 12 सितंबर, 1996 को संसद में एचडी देवेगौड़ा की संयुक्त मोर्चा सरकार ने लोकसभा में पेश किया गया था।

इस विधेयक का मुख्य उद्देश्य लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित करना है।

आरक्षण मानदंड- बिल के अनुसार, सीटें रोटेशन के आधार पर आरक्षित की जाएंगी। सीटों का निर्धारण ड्रा से इस प्रकार किया जाएगा ।

वाजपेयी सरकार ने लोकसभा में बिल के लिए जोर दिया, लेकिन फिर भी इसे पारित नहीं किया गया।

कांग्रेस की नेतृत्व वाली यूपीए एक सरकार ने मई 2008 में एक बार फिर इस विधेयक को पेश किया।

इस विधेयक को नौ मार्च, 2010 को राज्य सभा ने पारित किया गया था, लेकिन अभी लोकसभा से पारित होना बाकी है।

कल सुबह 11 बजे इकट्ठे होंगे सदनों के सदस्य

राज्यसभा के महासचिव पीसी मोदी ने दोनों सदनों के सदस्यों से अनुरोध किया कि वे भारतीय संसद की समृद्ध विरासत को मनाने के लिए एकजुट हों। उन्होंने कहा कि सभी सदस्य 2047 तक देश को एक विकसित राष्ट्र बनाने का संकल्प लेने के लिए कल यानी 19 सितंबर को सुबह 11 बजे संसद के केंद्रीय कक्ष में इकट्ठा हों।

12 सितंबर 1996- महिला आरक्षण विधेयक को पहली बार एचडी देवगौड़ा सरकार ने 81वें संविधान संशोधन विधेयक के रूप में संसद में पेश किया. 26 जून 1998- अटल बिहारी वाजयेपी के नेतृत्व वाली NDA की सरकार ने महिला आरक्षण विधेयक को 12वीं लोकसभा में 84वें संविधान संशोधन विधेयक के रूप में पेश किया 22 नवम्बर 1999- एक बार फिर से सत्ता में लौटी NDA सरकार ने 13वीं लोकसभा में महिला आरक्षण विधेयक को फिर से पेश किया, लेकिन इस बार भी सरकार इस पर सभी को सहमत नहीं कर सकी. साल 2002 और 2003- बीजेपी नेतृत्व वाली NDA सरकार ने महिला आरक्षण विधेयक पेश किया, लेकिन कांग्रेस और वामदलों के समर्थन के आश्वासन के बावजूद सरकार इस विधेयक को पारित नहीं करा सकी.

Next Story
Share it