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उत्तर प्रदेश

जीएसटी उपायुक्त मृत्युंजय कुमार राय की दो कृतियों का लोकार्पण

जीएसटी उपायुक्त  मृत्युंजय कुमार राय की दो कृतियों का लोकार्पण
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गोरखपुर

कराधान जैसे गूढ़ क्षेत्र से जुड़े जीएसटी विभाग, गोरखपुर के उपायुक्त मृत्युंजय कुमार राय का साहित्य से जुड़ाव अनायास ही नहीं है, विज्ञान विषय के छात्र रहे मृत्यंजय जी ने अपने मानवीय दृष्टिकोण को अपनी दो उल्लेखनीय पुस्तकों के माध्यम से उद्धृत किया है। मृत्युंजय कुमार राय द्वारा रचित "मुझे मंजूर है" और "वेदना का मौन स्वर"समकालीन समाज की अभिवृति और मानसिकता को दर्शाती है। प्रशासनिक अधिकारी की जटिल कार्यशैली, जटिल कार्यबोझ के बावजूद दो-दो उत्कृष्ट रचनाओं का सृजन उनकी अदम्य इच्छा शक्ति को प्रदर्शित करता है। मृत्युंजय कुमार राय ने बताया कि कोरोना काल में जब सम्पूर्ण वैश्विक परिदृश्य में नैराश्य ही सर्वव्यापी था, उनके मन में समाज की वेदना, मानसिकता, विचारधारा और उसके दृष्टिकोण को अभिव्यक्त करने का माध्यम इस समकालीन परिस्थितियों के अनुरूप आलेखन ही था।अपने स्वयं के अनुभवों, संस्मरणों को कल्पना का पाग देकर उन्होंने इन कृतियों की रचना की। मृत्युंजय कुमार राय ने अपनी पुस्तक का लोकार्पण ईश्वर द्वारा प्रदत्त सामाजिक कर्तव्य के दृष्टिगत सम्पूर्ण वैश्विक समाज को समर्पित किया।

संक्षिप्त मे ये पंक्तियां इनकी विचारचारा, विश्लेषण और निहितार्थ को स्पष्ट करती है कि "आराइश-ए-जमाल से फ़ारिग़ नहीं हुनूज़

पेश-ए-नज़र है आइना दाइम नक़ाब में"





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