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नए साल पर डिलीवरी वर्कर्स की हड़ताल से हड़कंप, लाखों ऑर्डर प्रभावित होने की आशंका

नए साल पर डिलीवरी वर्कर्स की हड़ताल से हड़कंप, लाखों ऑर्डर प्रभावित होने की आशंका
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रिपोर्ट : विजय तिवारी

नई दिल्ली।

नए साल के अवसर पर देशभर में फूड-डिलीवरी सेक्टर से जुड़े गिग वर्कर्स की प्रस्तावित हड़ताल ने सरकार, कंपनियों और उपभोक्ताओं—तीनों की चिंता बढ़ा दी है। विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स और यूनियन बयानों के अनुसार, एक लाख से अधिक डिलीवरी वर्कर्स आंशिक या पूर्ण रूप से काम बंद करने की तैयारी में हैं, जिससे मेट्रो शहरों से लेकर टियर-2 और टियर-3 शहरों तक लाखों ऑर्डर प्रभावित होने की आशंका जताई जा रही है।

हड़ताल का दायरा और असर

यूनियनों का दावा है कि यह विरोध केवल एक दिन तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि मांगें पूरी न होने पर चरणबद्ध आंदोलन का रूप ले सकता है।

पीक ऑवर्स में देरी और कई इलाकों में डिलीवरी स्लॉट सीमित

रेस्टोरेंट पार्टनर्स पर दबाव, खासकर छोटे आउटलेट्स पर

ग्राहकों के लिए डिलीवरी चार्ज और वेटिंग टाइम बढ़ने की संभावना

वर्कर्स की प्रमुख मांगें

Zomato और Swiggy से जुड़े डिलीवरी राइडर्स का कहना है कि मौजूदा गिग मॉडल में जोखिम तो अधिक है, लेकिन सुरक्षा और आय की गारंटी नहीं। प्रमुख मांगें इस प्रकार हैं—

न्यूनतम आय की गारंटी

ऑर्डर-आधारित भुगतान प्रणाली में कभी-कभी लंबे समय तक इंतजार के बाद भी पर्याप्त कमाई नहीं हो पाती। वर्कर्स ‘फ्लोर पे’ तय करने की मांग कर रहे हैं।

काम के घंटे और ब्रेक

इंसेंटिव पाने के दबाव में 10–12 घंटे तक ऑनलाइन रहना पड़ता है। निर्धारित ब्रेक और साप्ताहिक अवकाश की मांग प्रमुख है।

सुरक्षा और बीमा कवर

सड़क दुर्घटनाओं के जोखिम के बावजूद कई वर्कर्स को समुचित दुर्घटना व स्वास्थ्य बीमा नहीं मिल पाता। यूनियन अनिवार्य बीमा की मांग कर रही है।

एल्गोरिदमिक पारदर्शिता

रेटिंग, इंसेंटिव कटौती और अकाउंट ब्लॉकिंग जैसे फैसले एल्गोरिदम से होते हैं, जिनमें स्पष्ट नियम और अपील प्रक्रिया नहीं बताई जाती।

कंपनियों का पक्ष

फूड-डिलीवरी प्लेटफॉर्म्स का तर्क है कि गिग मॉडल वर्कर्स को लचीलापन (Flexibility) देता है—वे अपनी सुविधा से काम कर सकते हैं। कंपनियों के अनुसार, अत्यधिक सख्त नियमों से संचालन लागत बढ़ेगी, जिसका असर उपभोक्ताओं और रेस्टोरेंट पार्टनर्स दोनों पर पड़ सकता है। साथ ही, कंपनियां यह भी दावा करती हैं कि वे समय-समय पर बीमा, इंसेंटिव और सेफ्टी फीचर्स में सुधार करती रही हैं।

क्या सख्त रेगुलेशन की जरूरत है?

विशेषज्ञों और श्रम संगठनों की राय में अब गिग इकॉनमी को संतुलित रेगुलेटरी फ्रेमवर्क की जरूरत है—

गिग वर्कर की पहचान बनी रहे, लेकिन न्यूनतम सामाजिक सुरक्षा अनिवार्य हो

बीमा, फ्लोर पे और काम के घंटे पर स्पष्ट दिशानिर्देश

एल्गोरिदम-आधारित फैसलों में जवाबदेही और शिकायत निवारण तंत्र

नए साल पर डिलीवरी वर्कर्स की हड़ताल केवल सेवाओं में बाधा का मामला नहीं, बल्कि गिग इकॉनमी में काम करने वाले लाखों लोगों के भविष्य से जुड़ा मुद्दा है। अगर सरकार, कंपनियां और वर्कर्स मिलकर स्मार्ट और व्यावहारिक रेगुलेशन की दिशा में कदम बढ़ाते हैं, तो न सिर्फ विवाद सुलझ सकता है, बल्कि यह सेक्टर अधिक टिकाऊ और भरोसेमंद बन सकता है।

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