संघ की संगठनात्मक संरचना में बड़ा बदलाव, ज़मीनी कामकाज होगा और सशक्त

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अपनी संगठनात्मक संरचना में व्यापक बदलाव करने जा रहा है, जिससे कार्य-प्रणाली अधिक प्रभावी और ज़मीनी स्तर पर मज़बूत हो सके। नई व्यवस्था के तहत अब हर राज्य में राज्य प्रचारक की नियुक्ति की जाएगी, जो पूरे राज्य में संघ के कार्यों का समन्वय करेंगे।
संघ की नई संरचना में लगभग दो प्रशासनिक मंडलों (कमिश्नरी) को मिलाकर एक संभाग बनाया जाएगा। उत्तर प्रदेश में फिलहाल प्रशासनिक रूप से 18 मंडल हैं, जिन्हें नई व्यवस्था में घटाकर 9 संभाग किया जाएगा। इसके अनुसार यूपी में अब 9 संभाग प्रचारक कार्यरत होंगे।
वर्तमान में संघ ने उत्तर प्रदेश को छह प्रांतों-ब्रज, अवध, मेरठ, कानपुर, काशी और गोरक्ष-में विभाजित कर रखा है। बदलाव का असर क्षेत्र प्रचारकों की संख्या पर भी पड़ेगा। अभी पूर्वी यूपी के लिए एक और पश्चिमी यूपी व उत्तराखंड के लिए अलग क्षेत्र प्रचारक हैं, लेकिन नई व्यवस्था में पूरे उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के लिए एक ही क्षेत्र प्रचारक होगा। हालांकि दोनों राज्यों के राज्य प्रचारक अलग-अलग रहेंगे।
इसी तरह राजस्थान को अब संघ की दृष्टि से उत्तर क्षेत्र (दिल्ली, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा और पंजाब) के साथ जोड़ा जाएगा। इस पूरे क्षेत्र के लिए एक क्षेत्र प्रचारक नियुक्त होगा। देशभर में फिलहाल 11 क्षेत्र प्रचारक हैं, जो नई व्यवस्था लागू होने के बाद घटकर 9 रह जाएंगे। वहीं, पूरे देश में लगभग 75 संभाग प्रचारक होंगे।
संघ की बैठकों की संरचना में भी बदलाव प्रस्तावित है। मार्च में होने वाली संघ की सबसे बड़ी बैठक अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा अब हर साल नहीं, बल्कि हर तीन वर्ष में नागपुर में आयोजित होगी। हालांकि दीपावली के आसपास होने वाली अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की बैठक हर वर्ष जारी रहेगी।
सूत्रों के अनुसार इन बदलावों पर पिछले 5–6 वर्षों से मंथन चल रहा था। मार्च 2026 में होने वाली अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक में इन प्रस्तावों पर अंतिम मुहर लग सकती है और वर्ष 2027 से ये बदलाव ज़मीनी स्तर पर लागू होते दिखेंगे।




