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उत्तर प्रदेश

मतदाता सूची में फर्जी नामों पर आपत्ति करना पत्रकार को पड़ा भारी, ग्राम पंचायत तिलकपुर में जानलेवा हमला

मतदाता सूची में फर्जी नामों पर आपत्ति करना पत्रकार को पड़ा भारी, ग्राम पंचायत तिलकपुर में जानलेवा हमला
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बस्ती।

ग्राम पंचायत तिलकपुर में मतदाता सूची में दर्ज फर्जी नामों पर आपत्ति दर्ज कराना एक पत्रकार को भारी पड़ गया। आपत्ति प्रक्रिया के दौरान पत्रकार पर जानलेवा हमला, गाली-गलौज और धमकी देने का गंभीर मामला सामने आया है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार ग्राम पंचायत तिलकपुर निवासी एवं “नजरिया बस्ती का” अख़बार के सह-संपादक दीपक दूबे उर्फ वेदिक द्विवेदी ने राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा निर्धारित प्रक्रिया के अंतर्गत मतदाता सूची में डुप्लीकेट नामों को लेकर बी.एल.ओ. के समक्ष आपत्ति दर्ज कराई थी। आपत्ति में यह सामने आया कि कुछ व्यक्ति ग्राम पंचायत तिलकपुर (विकास खंड कप्तानगंज) तथा ग्राम पंचायत जामडीह शुक्ल (विकास खंड बस्ती सदर) – दोनों जगह मतदाता सूची में दर्ज हैं।

दिनांक 24 दिसंबर 2025 को बी.एल.ओ. की सूचना पर जब पत्रकार दीपक दूबे प्राथमिक विद्यालय तिलकपुर में साक्ष्य प्रस्तुत करने पहुँचे, तभी ग्राम पंचायत की प्रधान के पति सचिदानंद मिश्रा वहाँ पहुँचे और उनसे अभद्र भाषा में गाली-गलौज करने लगे। आरोप है कि जब पत्रकार ने इस घटनाक्रम को मोबाइल से रिकॉर्ड करने का प्रयास किया, तो सचिदानंद मिश्रा ने उन पर जानलेवा हमला कर दिया।

हमले के दौरान पत्रकार का मोबाइल फोन छीनकर फेंक दिया गया, चश्मा तोड़ दिया गया तथा उनके साथ मारपीट की गई। मौके पर मौजूद ग्रामीणों के हस्तक्षेप से पत्रकार की जान बच सकी। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार यदि समय रहते लोग बीच-बचाव न करते तो कोई बड़ी अनहोनी हो सकती थी।

पीड़ित पत्रकार का आरोप है कि हमले के बाद उन्हें राजनीतिक दबाव बनाते हुए धमकी भी दी गई। आरोपी द्वारा यह कहा गया कि उसका भाई सत्तारूढ़ दल का जिलाध्यक्ष है और वह उन्हें घर से उठवा सकता है। इस धमकी के बाद पत्रकार एवं उनके परिवार में भय का माहौल व्याप्त है।

पीड़ित ने पूरे मामले की लिखित शिकायत पुलिस अधीक्षक बस्ती एवं थाना कप्तानगंज में देते हुए आरोपी के विरुद्ध कठोर धाराओं में मुकदमा दर्ज कर सुरक्षा की मांग की है। उन्होंने आशंका जताई है कि यदि भविष्य में उनके या उनके परिवार के साथ कोई अप्रिय घटना होती है, तो इसके लिए नामजद व्यक्ति जिम्मेदार होगा।

इस घटना ने एक बार फिर पंचायत स्तर पर मतदाता सूची में पारदर्शिता, राजनीतिक दबाव और पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

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