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उत्तर प्रदेश

लखनऊ में बीजेपी विधायकों की बैठक से बढ़ी सियासी हलचल, शिवपाल यादव ने सपा में आने का दिया न्योता

लखनऊ में बीजेपी विधायकों की बैठक से बढ़ी सियासी हलचल, शिवपाल यादव ने सपा में आने का दिया न्योता
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लखनऊ।

उत्तर प्रदेश की राजनीति में उस समय हलचल तेज हो गई जब राजधानी लखनऊ में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के 40 से अधिक विधायकों ने मंगलवार रात सहभोज के बहाने एक बैठक की। इस बैठक में बड़ी संख्या में ब्राह्मण विधायकों की मौजूदगी की चर्चा है, जिसके बाद इसे पार्टी के भीतर पनपते असंतोष से जोड़कर देखा जा रहा है।

हालांकि बीजेपी की ओर से इस बैठक को सामाजिक और अनौपचारिक बताया जा रहा है, लेकिन विपक्ष इसे पार्टी के अंदरूनी मतभेदों का संकेत मान रहा है। बैठक की खबर सामने आते ही समाजवादी पार्टी (सपा) ने बीजेपी पर तीखा हमला बोला है।

शिवपाल यादव का बीजेपी पर हमला

सपा के राष्ट्रीय महासचिव और पूर्व मंत्री शिवपाल सिंह यादव ने इस बैठक को लेकर बीजेपी पर जातिवाद फैलाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि बीजेपी में ब्राह्मण विधायकों को सम्मान नहीं मिल रहा है, इसी कारण वे अलग-अलग बैठकें करने को मजबूर हैं।

भारत समाचार से बातचीत में शिवपाल यादव ने कहा,

“भारतीय जनता पार्टी जातिवाद की राजनीति करती है। अगर ब्राह्मण समाज के लोग अलग से बैठक कर रहे हैं, तो साफ है कि वे खुद को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। हम उनसे कहेंगे कि वे समाजवादी पार्टी में आ जाएं, यहां उन्हें पूरा सम्मान मिलेगा।”

उन्होंने आगे दावा किया कि बीजेपी सरकार में किसी न किसी वर्ग में नाराजगी है, यही वजह है कि विधायक अलग-अलग गुटों में बैठकर चर्चा कर रहे हैं। शिवपाल यादव ने कहा कि समाजवादी पार्टी समाज के सभी वर्गों को साथ लेकर चलने वाली पार्टी है।

सपा विधायक अतुल प्रधान का बयान

इस मुद्दे पर सपा विधायक अतुल प्रधान ने भी बीजेपी सरकार को घेरा। उन्होंने कहा कि यह मामला सिर्फ ब्राह्मण विधायकों तक सीमित नहीं है, बल्कि प्रदेश का हर वर्ग मौजूदा सरकार से नाराज है।

अतुल प्रधान ने कहा,

“आज किसान, नौजवान, व्यापारी और अलग-अलग समुदाय सरकार से नाराज हैं। ब्राह्मण विधायकों की बैठक भी इसी नाराजगी का नतीजा है। यह बैठक बीजेपी को हराने की रणनीति का हिस्सा हो सकती है।”

राजनीतिक मायने

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि बीजेपी विधायकों की इस तरह की बैठकें पार्टी के भीतर असंतोष की ओर इशारा करती हैं। वहीं समाजवादी पार्टी इसे अपने पक्ष में भुनाने की कोशिश में जुट गई है। आने वाले समय में यदि ऐसे और संकेत सामने आते हैं तो यह 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक समीकरणों को प्रभावित कर सकते हैं।

फिलहाल बीजेपी की ओर से इस पूरे घटनाक्रम पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन विपक्ष लगातार इसे मुद्दा बनाकर सरकार को घेरने में लगा हुआ है।

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