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उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग को मिला नया अध्यक्ष, पूर्व डीजीपी प्रशांत कुमार को सौंपी गई बड़ी जिम्मेदारी

उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग को मिला नया अध्यक्ष, पूर्व डीजीपी प्रशांत कुमार को सौंपी गई बड़ी जिम्मेदारी
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रिपोर्ट : विजय तिवारी

लखनऊ।

उत्तर प्रदेश सरकार ने शिक्षा व्यवस्था में सुधार और शिक्षक भर्ती प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी व प्रभावी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। राज्य सरकार ने 1990 बैच के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी एवं पूर्व पुलिस महानिदेशक (DGP) प्रशांत कुमार को उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग का नया अध्यक्ष नियुक्त किया है। खास बात यह है कि प्रशांत कुमार को उच्च शिक्षा सेवा चयन आयोग और माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन आयोग—दोनों की अध्यक्षता का दायित्व सौंपा गया है।

सरकारी आदेश के अनुसार, प्रशांत कुमार का कार्यकाल तीन वर्षों का होगा। इस दौरान वे प्रदेश में उच्च एवं माध्यमिक स्तर पर शिक्षकों की नियुक्ति, चयन प्रक्रिया, परीक्षा प्रणाली और प्रशासनिक निगरानी से जुड़े सभी प्रमुख निर्णयों के लिए जिम्मेदार होंगे।

शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में बड़े बदलाव की उम्मीद

उत्तर प्रदेश में लंबे समय से शिक्षक भर्ती प्रक्रिया को लेकर पारदर्शिता, देरी और लंबित मामलों जैसे मुद्दे सामने आते रहे हैं। ऐसे में एक अनुभवी प्रशासनिक अधिकारी को आयोग का अध्यक्ष बनाए जाने को सिस्टम में सख्ती और सुधार के संकेत के तौर पर देखा जा रहा है। सरकार का उद्देश्य है कि चयन प्रक्रिया को पूरी तरह निष्पक्ष, समयबद्ध और जवाबदेह बनाया जाए, ताकि योग्य अभ्यर्थियों को समय पर नियुक्ति मिल सके।

प्रशासनिक अनुभव का मिलेगा सीधा लाभ

पूर्व डीजीपी प्रशांत कुमार को कानून-व्यवस्था, प्रशासनिक अनुशासन और संस्थागत सुधारों में व्यापक अनुभव है। पुलिस सेवा के दौरान उन्होंने कई संवेदनशील और चुनौतीपूर्ण जिम्मेदारियों को संभाला है। सरकार का मानना है कि उनका यही अनुभव शिक्षा सेवा चयन आयोग की कार्यप्रणाली को सुदृढ़, पारदर्शी और प्रभावी बनाने में मददगार साबित होगा।

उच्च और माध्यमिक—दोनों आयोगों की कमान

एक ही व्यक्ति को उच्च शिक्षा और माध्यमिक शिक्षा—दोनों आयोगों की जिम्मेदारी सौंपे जाने से भर्ती प्रक्रिया में समन्वय और एकरूपता आने की उम्मीद जताई जा रही है। इससे नीतिगत निर्णयों में तेजी आएगी और दोहराव की समस्या कम होगी। साथ ही, चयन प्रक्रिया को आधुनिक तकनीक से जोड़ने और डिजिटल व्यवस्था को मजबूत करने पर भी विशेष जोर दिया जा सकता है।

शिक्षा क्षेत्र में सुशासन का संदेश

इस नियुक्ति के जरिए राज्य सरकार ने स्पष्ट संदेश दिया है कि शिक्षा क्षेत्र में सुशासन, पारदर्शिता और गुणवत्ता उसकी सर्वोच्च प्राथमिकताओं में शामिल है। विशेषज्ञों का मानना है कि प्रशांत कुमार के नेतृत्व में शिक्षा सेवा चयन आयोग न केवल लंबित मामलों का निपटारा करेगा, बल्कि भविष्य की भर्ती प्रक्रियाओं के लिए एक मजबूत और भरोसेमंद ढांचा भी तैयार करेगा।

कुल मिलाकर, पूर्व डीजीपी प्रशांत कुमार का उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग का अध्यक्ष बनना प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था और शिक्षक भर्ती प्रणाली के लिए एक महत्वपूर्ण और दूरगामी प्रभाव वाला फैसला माना जा रहा है, जिससे लाखों अभ्यर्थियों को निष्पक्ष और समयबद्ध अवसर मिलने की उम्मीद है।

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