अयोध्या के गौरव को अपूरणीय क्षति-राम जन्मभूमि आंदोलन के प्रमुख स्तंभ, पूर्व सांसद पूज्य महंत श्री रामविलास वेदांती जी महाराज का निधन

रिपोर्ट : अमित तिवारी
अयोध्या / उत्तर प्रदेश।
राम जन्मभूमि आंदोलन के अग्रणी नेता, प्रखर वक्ता, संत-समाज के प्रतिष्ठित मार्गदर्शक और पूर्व सांसद पूज्य महंत श्री रामविलास वेदांती जी महाराज का निधन हो गया। उनके देहावसान से अयोध्या, संत-समाज और राष्ट्रवादी चेतना को गहरा आघात पहुँचा है। वे लंबे समय से धार्मिक-सामाजिक गतिविधियों में सक्रिय थे। हाल ही में मध्य प्रदेश के रीवा में आयोजित एक धार्मिक कार्यक्रम के दौरान उनकी तबीयत बिगड़ गई थी, जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहाँ उपचार के दौरान उनका निधन हो गया।
प्रारंभिक जीवन और पैतृक पृष्ठभूमि
पूज्य वेदांती जी महाराज का जन्म उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जनपद में एक धार्मिक और संस्कारवान परिवार में हुआ। उनका पैतृक निवास सुल्तानपुर क्षेत्र से जुड़ा रहा। बाल्यकाल से ही उन्हें धर्म, संस्कृत साहित्य और सनातन परंपराओं के प्रति विशेष रुचि थी। प्रारंभिक संस्कारों और अध्ययन ने उनके व्यक्तित्व को दिशा दी, जो आगे चलकर संन्यास और सार्वजनिक जीवन का आधार बने।
संन्यास और आध्यात्मिक यात्रा
युवावस्था में ही उन्होंने संन्यास मार्ग अपनाया और वैदिक-शास्त्रीय अध्ययन में स्वयं को समर्पित कर दिया। वेद, उपनिषद, रामायण और पुराणों पर उनकी गहरी पकड़ रही। उनकी पहचान एक निर्भीक संत, ओजस्वी वक्ता और स्पष्ट विचारक के रूप में बनी। उन्होंने अयोध्या को अपनी कर्मभूमि बनाया और यहीं से उनका धार्मिक-सामाजिक कार्य व्यापक रूप से विस्तारित हुआ।
राम जन्मभूमि आंदोलन में ऐतिहासिक भूमिका
पूज्य वेदांती जी महाराज राम जन्मभूमि आंदोलन के सबसे मुखर और प्रभावशाली चेहरों में शामिल रहे। दशकों तक उन्होंने आंदोलन को वैचारिक मजबूती, जनसमर्थन और नेतृत्व प्रदान किया। श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए चले ऐतिहासिक संघर्ष में वे संत-समाज और जनमानस के बीच सेतु बने। देशभर में धर्मसभाओं, यात्राओं और जनसभाओं के माध्यम से उन्होंने राम मंदिर आंदोलन को राष्ट्रीय चेतना का विषय बनाया। कठिन दौर में भी उनका संकल्प अडिग रहा।
संसदीय भूमिका और सार्वजनिक जीवन
धार्मिक नेतृत्व के साथ-साथ वे संसदीय राजनीति में भी सक्रिय रहे। सांसद के रूप में उन्होंने राष्ट्रीय मंच पर राम मंदिर, भारतीय संस्कृति और राष्ट्रीय अस्मिता से जुड़े मुद्दों को स्पष्ट और दृढ़ता से उठाया। उनका सार्वजनिक जीवन सादगी, स्पष्टवादिता और सिद्धांतों पर आधारित रहा, जिससे वे जनमानस में विशेष सम्मान के पात्र बने।
शोक की लहर और श्रद्धांजलि
उनके निधन की खबर मिलते ही अयोध्या सहित देशभर में संत-समाज, श्रद्धालुओं और अनुयायियों में शोक की लहर दौड़ गई। मंदिरों और आश्रमों में शोक सभाओं का आयोजन किया जा रहा है। अनेक राष्ट्रीय और प्रदेश स्तरीय नेताओं ने उन्हें सनातन संस्कृति का निर्भीक प्रहरी, रामभक्त संत और समर्पित जननेता बताते हुए गहरी श्रद्धांजलि अर्पित की।
पूज्य वेदांती जी महाराज का पार्थिव शरीर अयोध्या लाया जा रहा है, जहाँ परंपरागत विधि-विधान से अंतिम संस्कार/समाधि संपन्न की जाएगी। अंतिम दर्शन के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के पहुँचने की संभावना है।
पूज्य महंत श्री रामविलास वेदांती जी महाराज का निधन केवल एक व्यक्तित्व का जाना नहीं, बल्कि राम जन्मभूमि आंदोलन के एक युग का अवसान है। सुल्तानपुर की मिट्टी से उठकर अयोध्या की आध्यात्मिक चेतना तक पहुँची उनकी जीवन-यात्रा आस्था, साहस, साधना और राष्ट्र के प्रति समर्पण की अनुपम मिसाल है। अयोध्या और देश उन्हें सदैव कृतज्ञ स्मरण के साथ याद रखेगा।




