चंदौली: जिला प्रशासन के नाक के नीचे अवैध मीट - मुर्गे का कारोबार, महकमा बना मूकदर्शक!

ब्यूरो रिपोर्ट/चंदौली...
चंदौली: कागज़ों में नियम सख्त, जमीनी हकीकत में ढीली पकड़… कुछ ऐसा ही नज़ारा चंदौली जिले में एनएच-19 पर देखने को मिल रहा है, जहां हाईवे की ड्रेन पर अवैध मीट व मुर्गे की दुकानें खुलेआम फल-फूल रही हैं। दुकानों के संचालन के साथ ही मांस की खुलेआम कटाई और बिक्री भी बेखौफ धड़ल्ले से जारी है।दिलचस्प ये है कि जिस जगह ये सब हो रहा है, वहीं से कुछ ही दूरी पर जिले के बड़े-बड़े अधिकारियों के दफ्तर भी मौजूद हैं—लेकिन लगता है उनकी खिड़कियों के शीशे सिर्फ अंदर की ही दुनिया दिखाते हैं।
खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2006, लाइसेंस नियम और हाईवे गाइडलाइन—सब के सब इन अवैध दुकानों के सामने फीके पड़ते दिख रहे हैं। जनता की आवाज की टीम ने जब इस अनियमितता पर खाद्य सुरक्षा अधिकारी कुलदीप सिंह से सवाल पूछा तो उन्होंने भी दुकानें अवैध रूप से चलने की बात स्वीकार की, मगर कार्रवाई के सवाल पर अचानक उनकी आवाज़ में मौन छा गया। शायद जवाबों की फाइलें भी उन्हीं दुकानों की तरह अनियमितता की धूल में दब गई हों।
स्थानीय लोग भी सवाल उठा रहे हैं कि जब डीडीयू नगर में अवैध संचालन रोकने के लिए कार्रवाई की जा सकती है, तो जिला मुख्यालय पर ऐसा कौन-सा अदृश्य दबाव है कि अधिकारी कठोर कदम उठाने से कतराते हैं? क्या वाकई योगी सरकार की शून्य सहनशीलता नीति जिले में पहुंचते-पहुंचते ‘शून्य कार्रवाई’ में तब्दील हो जाती है? इस बाबत जब हमने भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष राणा सिंह से बात की तो उन्होंने सीधे तौर पर कहा कि योगी सरकार में नियमों का उल्लंघन घोर अपराध है। मीट - मुर्गे के अवैध संचालन और मांस बिक्री प्रतिबंधित है, अधिकारियों की जवाबदेही तय होगी और जिसके दबाव में इस अवैध धंधे के रोक पर अधिकारियों को दबाव बनाया जा रहा है, सबसे पहले उसके ऊपर कार्रवाई सुनिश्चित कराई जाएगी।अब देखना ये है कि जांच की फाइल आगे बढ़ेगी या फिर बाकी मामलों की तरह ये भी उचित कार्रवाई की प्रतीक्षा के ढेर में कहीं गुम हो जाएगी।




