महाराजगंज घटना के मुख्य आरोपी सरफराज को फांसी की सजा, आठ आरोपियों को उम्रकैद की मिली सजा

13 माह 26 दिन के अल्प समय में विचारण उपरांत हुआ सजा का ऐलान
अनुराग गुप्ता
बहराइच। यूपी के चर्चित रामगोपाल मिश्रा हत्याकांड में गुरुवार को न्यायालय ने सजा का ऐलान कर दिया। न्यायालय ने घटना के मुख्य साजिशकर्ता सरफराज उर्फ रिंकू को मृत्युदंड की सजा सुनाई है जबकि अन्य आठ आरोपियों को उम्रकैद की सजा दी गई है। वहीं एक आरोपी को आठ वर्ष की सजा हुई है।
अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम पवन कुमार शर्मा की अदालत ने मात्र 13 माह 26 के विचारण उपरान्त उक्त सजा का ऐलान किया है। मंगलवार को न्यायालय ने 13 आरोपियों में से 10 के खिलाफ दोषसिद्ध किया था जबकि तीन आरोपियों को बरी कर दिया था। बरी किये गए आरोपियों में खुर्शीद,अफजल और शकील के नाम शामिल हैं।
हरदी थाना क्षेत्र के महराजगंज कस्बे में बीते वर्ष 13 अक्टूबर 2024 को मां दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के दौरान साम्प्रदायिक हिंसा हो गयी थी। उपद्रवियों ने हिंसा के दौरान पूरे कस्बे में पत्थरबाजी,आगजनी व फायरिंग की घटना को अंजाम दिया था। घटना के दौरान रेहुआ मंसूर निवासी राम गोपाल मिश्रा की गोली लगने से मौत हो गई थी।
जिसके बाद पुलिस ने विभिन्न धाराओं में मुकदमा पंजीकृत किया था। 13 माह 26 दिन के अल्प समय मे विचारण उपरान्त अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम पवन कुमार शर्मा ने आज सजा का ऐलान करते हुए घटना के मुख्य साजिशकर्ता सरफराज उर्फ रिंकू को मृत्युदंड की सजा सुनाई है।जबकि एक आरोपी को आठ वर्ष के कारावास एवं अन्य आठ आरोपियों को सश्रम उम्रकैद की सजा सुनाई गई है।
इस मामले में पुलिस ने 11 जनवरी को सभी आरोपियों के खिलाफ अपर सत्र न्यायाधीश के न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल किया था। 18 फरवरी को बहस की प्रक्रिया शुरू हुई। घटना से जुड़े एक दर्जन गवाहों ने न्यायालय के समक्ष अपनी-2 गवाही दी। प्रक्रिया पूर्ण होने पर अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था।
मंगलवार को सरफराज,अब्दुल हमीद,फहीम,तालिब,जावेद,जीशान,ननकऊ,शोएब और मारूफ को अदालत ने दोषी करार देते हुए अन्य तीन आरोपियों शकील,खुर्शीद और अफजल को संदेह का लाभ देते हुए दोषमुक्त कर दिया।
अपर शासकीय अधिवक्ता अपराध प्रमोद कुमार सिंह ने बताया कि अदालत ने धारा 103/2 के अंतर्गत मुख्य अभियुक्त को फांसी की सजा सुनाई है। धारा 103/2 मॉब लिंचिंग से सम्बन्धित धारा है। इसके अन्तर्गत किसी समूह द्वारा जाति धर्म या नस्ल के नाम पर हत्या करने वाले प्रत्येक व्यक्ति के दोष सिद्ध होने पर फांसी या आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान है।




