रोहिंग्या-बांग्लादेशी घुसपैठियों पर व्यापक कार्रवाई — यूपी में बिजली-पानी कनेक्शन हटाने की प्रक्रिया शुरू, डिटेंशन सेंटर बनाने की तैयारी; मुद्दा राष्ट्रीय राजनीति में गर्माया

रिपोर्ट : विजय तिवारी
लखनऊ / नई दिल्ली।
उत्तर प्रदेश सरकार ने अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठियों के खिलाफ राज्यव्यापी अभियान का आगाज़ कर दिया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा सभी जिलों के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों, कमिश्नरों, और प्रशासन को जारी निर्देशों के बाद संदिग्ध व्यक्तियों की पहचान, दस्तावेज़ी सत्यापन और उन्हें डिटेंशन सेंटर में स्थानांतरित करने की प्रक्रिया तेजी से शुरू कर दी गई है। आदेश जारी होते ही राजधानी लखनऊ में नगर निगम और पुलिस विभाग ने संयुक्त अभियान चला कर कई संवेदनशील बस्तियों में सख्ती बढ़ा दी है।
नगर निगम का कड़ा रुख — बिजली-सबमर्सिबल हटाने की तैयारी
लखनऊ महापौर सुषमा खर्कवाल ने स्पष्ट संकेत दिए कि अवैध रूप से रह रहे व्यक्तियों को सरकारी या विभागीय सुविधाएं किसी भी कीमत पर नहीं मिलने दी जाएंगी। उनके अनुसार, जिन क्षेत्रों में बिजली कनेक्शन, अवैध सबमर्सिबल या अस्थायी पाइपलाइन लगाई गई हैं, उन्हें तुरंत हटाया जाएगा। नगर निगम, जलकल और विद्युत वितरण कंपनियों को सूची तैयार कर कार्रवाई करने के निर्देश जारी कर दिए गए हैं।
महापौर ने कहा कि जब बुनियादी सुविधाएं समाप्त होंगी, तो अवैध रूप से बसे लोग स्वेच्छा से उन स्थानों को खाली करेंगे। शासन स्तर पर यह भी जांच की जा रही है कि इन कनेक्शनों को किस स्तर पर और किन दस्तावेजों के आधार पर जारी किया गया।
झुग्गी-बस्तियों में पुलिस अभियान — दस्तावेज़ सत्यापन तेज
बुधवार को हजरतगंज और कृष्णानगर क्षेत्र में पुलिस की टीमों ने निरीक्षण अभियान चलाया और संदिग्ध बस्तियों से बड़ी संख्या में दस्तावेज़ एकत्र किए। एसीपी विकास जायसवाल और इंस्पेक्टर विक्रम सिंह के नेतृत्व में डालीबाग बस्ती में पहुंची टीम के आगमन से अस्थायी हलचल देखी गई, हालांकि अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि यह केवल पहचान जांच की औपचारिक प्रक्रिया है।
इसी प्रकार, एसीपी रजनीश वर्मा के निर्देशन में ओशो नगर बस्ती में भी छानबीन की गई, जहां लगभग 450 लोगों के पहचान-पत्र, आधार और एनआरसी-संबंधी दस्तावेज़ सत्यापित किए गए।
मतदाता सूची से बाहर रखने की मुहिम
भाजपा महानगर अध्यक्ष आनंद द्विवेदी ने पार्टी कार्यकर्ताओं से कहा कि विशेष पुनरीक्षण अभियान के दौरान ऐसी प्रविष्टियां रोकी जाएं जिनमें अवैध प्रवासियों के नाम मतदाता सूची में शामिल करने का प्रयास किया जा रहा हो। उनके अनुसार लखनऊ में लगभग 50,000 संदिग्ध रोहिंग्या और बांग्लादेशी पहले ही चिह्नित किए जा चुके हैं, और यह अभियान और व्यापक स्तर पर जारी रहेगा।
राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य — मामला अब देशव्यापी चर्चा का केंद्र
यूपी की यह कार्रवाई राष्ट्रीय सुरक्षा, जनसांख्यिकीय संतुलन और पहचान-पुष्टिकरण के बड़े प्रश्नों को सामने ला रही है। केंद्र सरकार पहले ही सुप्रीम कोर्ट में हलफ़नामा देकर रोहिंग्या समूहों को देश की सुरक्षा के लिए जोखिम बताया था। कई रिपोर्टों में यह भी सामने आया है कि फर्जी दस्तावेज़ों के माध्यम से संवेदनशील इलाकों में बसावट और राजनीतिक हस्तक्षेप की आशंकाएं मौजूद हैं।
अन्य राज्यों की स्थिति
देश के कई हिस्सों में रोहिंग्या और बांग्लादेशी प्रवासियों की उपस्थिति की पुष्टि की गई है —
दिल्ली, असम, बंगाल, जम्मू-कश्मीर, राजस्थान, महाराष्ट्र और तेलंगाना उन प्रमुख राज्यों में हैं जहां सत्यापन प्रक्रिया तेज़ की जा रही है।
विशेषज्ञों का कहना है कि यूपी का मॉडल भविष्य में राष्ट्रीय नीति का आधार बन सकता है।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
सत्तारूढ़ पक्ष — इसे राष्ट्रीय सुरक्षा और कानून-व्यवस्था से जुड़ा अनिवार्य कदम बता रहा है।
विपक्ष — प्रक्रिया की पारदर्शिता और मानवाधिकारों के पालन पर सवाल उठा सकता है।
कानूनी विशेषज्ञ — डिटेंशन सेंटर मॉडल और निष्कासन प्रक्रिया को लेकर व्यापक बहस की आशंका जता रहे हैं।
आगे की संभावनाएँ
आगामी दिनों में—
* डिटेंशन सेंटरों की अंतिम लोकेशन तय
* डिजिटल वेरिफिकेशन और बायोमेट्रिक काउंटिंग
* विभागीय स्तर पर फर्जी दस्तावेज़ नेटवर्क की जांच
* निष्कासन नीति पर केंद्र-राज्य तालमेल
अवैध प्रवास और घुसपैठ के मुद्दे पर शुरू हुआ यह अभियान अब राष्ट्रीय विमर्श का विषय बन चुका है। लखनऊ में प्रारंभिक कदमों ने संकेत दे दिए हैं कि कार्रवाई अब केवल स्थानीय स्तर तक सीमित नहीं रहेगी। आने वाले हफ्तों में यह मुद्दा देश की सुरक्षा, राजनीति, कानून और सामाजिक संरचना — सभी के केंद्र में रहेगा।




