हापुड़ : गढ़मुक्तेश्वर ब्रजघाट में आस्था के साथ छल — असली शव की जगह मानव डमी मिलने पर अफरा-तफरी, दो युवक हिरासत में

रिपोर्ट : विजय तिवारी
उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले के गढ़मुक्तेश्वर स्थित ब्रजघाट श्मशान घाट पर अंतिम संस्कार के दौरान शव की जगह प्लास्टिक और कपड़ों से बनी डमी मिलने की घटना ने पूरे क्षेत्र में सनसनी फैला दी। पवित्र धाम पर दाह-संस्कार की तैयारी के बीच जब कफन हटाया गया, तो असली मृत शरीर के स्थान पर नकली मानव आकृति मिलने से अफरा-तफरी मच गई। वहां मौजूद लोगों, घाट कर्मियों और पंडितों ने तुरंत दाह-संस्कार की प्रक्रिया रोक दी और पुलिस को सूचना दी।
घटना का पूरा क्रम
दो युवक एक कफन में शव होने का दावा करते हुए ब्रजघाट पहुंचे थे।
उन्होंने कहा था कि उनके कर्मचारी की मृत्यु हो गई है और उसका अंतिम संस्कार किया जाना है। लेकिन चिता सजने के दौरान जब शव का मुंह देखने की औपचारिकता शुरू हुई, तो लाश के बदले एक डमी दिखाई दी — जिसकी बनावट, वजन और संरचना वास्तविक शव से बिल्कुल अलग थी। उसी क्षण उपस्थित लोगों को संदेह हुआ और पूरी प्रक्रिया रोक दी गई।
मामले की सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंची और दोनों व्यक्तियों को तुरंत हिरासत में ले लिया। पूछताछ के दौरान उनकी कार की तलाशी ली गई, जिसमें दो और डमी बरामद की गईं। पुलिस ने दाह-संस्कार के लिए प्रस्तुत किए गए दस्तावेजों — अस्पताल से जारी कागज, मृत्यु प्रमाण, और अन्य फाइलों की जांच प्रारंभ कर दी है।
घटना से उठते गंभीर प्रश्न
यह मामला केवल एक धोखाधड़ी नहीं, बल्कि धार्मिक भावनाओं, सामाजिक विश्वास और कानूनी व्यवस्था के साथ अत्यंत खतरनाक प्रयोग है। अंतिम संस्कार जैसे संवेदनशील संस्कार का दुरुपयोग करके कौन-सा लाभ प्राप्त करना चाहते थे और मृत घोषित व्यक्ति वास्तव में जीवित था या नहीं — यह जांच का महत्वपूर्ण भाग है।
महत्वपूर्ण सवाल यह भी है कि :
यदि कफन हटाने की मांग न की जाती, तो क्या यह डमी चिता पर जला दी जाती?
क्या यह बीमा क्लेम या पहचान छुपाने जैसे किसी बड़े नेटवर्क का हिस्सा हो सकता है?
धार्मिक स्थल की प्रक्रियाओं में सुरक्षा और सत्यापन व्यवस्था कितनी कमजोर है?
ये प्रश्न प्रशासनिक प्रणाली की वास्तविकता और सतर्कता दोनों पर गंभीर टिप्पणी हैं।
धार्मिक स्थल पर धोखाधड़ी — समाज के लिए चेतावनी
श्मशान घाट वह स्थान है जहाँ लोग अंतिम विदाई के सबसे पवित्र और भावनात्मक क्षणों से गुजरते हैं। वहाँ नकली शव का इस्तेमाल आस्था और मानवीय संवेदनाओं का सबसे बड़ा अपमान है। ऐसी घटनाएँ बताती हैं कि छल-कपट का जाल समाज के सबसे संवेदनशील स्थलों तक पहुँच चुका है।
यह आवश्यक है कि :
अस्पताल से शव जारी करने की प्रक्रिया पारदर्शी और सुरक्षित हो
पहचान सत्यापन अनिवार्य बनाया जाए
अंतिम संस्कार स्थलों पर निगरानी और प्रोटोकॉल मजबूत हों
“जहाँ इंसान विदा होता है, वहाँ धोखा सबसे घोर अपराध है।”
पुलिस जांच और अपेक्षाएँ
पुलिस ने त्वरित कार्रवाई कर मामले को गंभीरता से लिया है। बरामद दस्तावेजों और पहचानों की पुष्टि की जा रही है तथा संभावित साजिश के उद्देश्य की जांच जारी है। अब समाज की उम्मीद है कि :
इस कृत्य के पीछे की पूरी साजिश सामने आए
दोषियों को कठोर दंड मिले
यह घटना उदाहरण बने जो भविष्य में ऐसे प्रयासों को रोक सके
ब्रजघाट की यह घटना केवल एक पुलिस केस नहीं, बल्कि चेतावनी है कि लालच और धोखाधड़ी धर्म, कानून और संवेदनशील संस्कारों को भी नहीं छोड़ते। इस घटना ने प्रशासन को सतर्क रहने, समाज को जागरूक होने और कानून को और अधिक सख्त होने की आवश्यकता पर प्रकाश डाल दिया है।
धर्म का स्थान आस्था का है — और आस्था के साथ विश्वासघात कभी स्वीकार नहीं होगा।




