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ममता बनर्जी का तीखा प्रहार : “इलेक्शन कमीशन निष्पक्ष नहीं, बीजेपी के इशारों पर काम कर रहा है”

ममता बनर्जी का तीखा प्रहार : “इलेक्शन कमीशन निष्पक्ष नहीं, बीजेपी के इशारों पर काम कर रहा है”
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रिपोर्ट : विजय तिवारी

CEC को पत्र, SIR प्रक्रिया पर तत्काल हस्तक्षेप की मांग

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी ने एक बार फिर केंद्र और चुनाव आयोग पर मोर्चा खोल दिया है। बोनगांव में एक बड़ी जनसभा को संबोधित करते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि “चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली अब संविधान की भावना से दूर होकर बीजेपी के हितों में काम करती दिख रही है।”

दीदी ने दावा किया कि आयोग द्वारा हालिया समय में जारी किए गए कई निर्देश विपक्षी दलों की स्वतंत्र गतिविधियों पर सीधा असर डाल रहे हैं, और यह लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए गंभीर संकेत है।

SIR प्रक्रिया पर सबसे बड़ा सवाल : “यह निगरानी नहीं, राजनीतिक दखल है”

चुनाव आयोग की SIR (Systematic Information Reporting) प्रणाली को ममता बनर्जी ने बेहद विवादास्पद करार दिया।

उन्होंने कहा कि —

“SIR प्रक्रिया विपक्षी दलों की हर गतिविधि पर नजर रखने का एक नया तरीका है, जबकि सत्ता पक्ष पर वही नियम लागू नहीं किए जा रहे। यह समान अवसर के सिद्धांत का खुला उल्लंघन है।”

ममता का आरोप है कि इस प्रक्रिया के जरिए प्रशासनिक तंत्र का दबाव विपक्ष पर बढ़ाया जा रहा है, जिसका उद्देश्य चुनावी मैदान को एकतरफा बनाना है।

CEC ज्ञानेश कुमार को विस्तृत पत्र भेजा—दो प्रमुख निर्देशों पर आपत्ति

तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ने मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार को दो पन्ने का विस्तृत पत्र भेजकर चुनाव आयोग के दो हालिया निर्देशों को चुनौती दी है।

ममता ने पत्र में कहा कि —

ये निर्देश चुनावी आचार संहिता की मूल भावना से मेल नहीं खाते।

शासन-प्रशासन को पक्षकार बनने का खतरा बढ़ रहा है।

विपक्ष की आवाज कुंद हो रही है, जबकि भारतीय लोकतंत्र समान अधिकारों पर आधारित है।

उन्होंने आयोग से तत्काल हस्तक्षेप की मांग करते हुए कहा कि किसी भी निर्देश में पारदर्शिता और न्यायसंगतता होनी चाहिए, वरना लोकतंत्र की जड़ें कमजोर होंगी।

बीजेपी पर सीधा वार—“हम पूरे भारत में आपकी नींव हिला देंगे”

बोनगांव की रैली में स्वर पहले से कहीं ज्यादा आक्रामक थे।

ममता ने मंच से कहा —

“बीजेपी चुनाव को अपने मुताबिक मोड़ने की कोशिश कर रही है। अगर ऐसा ही चलता रहा तो टीएमसी पूरे भारत में उसके गलत कामों को उजागर कर देगी और नींव तक हिला देगी।”

उनके इस बयान ने राजनीतिक तापमान और बढ़ा दिया है।

राजनीतिक संतुलन : केंद्र की प्रतिक्रिया का इंतजार

हालांकि बीजेपी और चुनाव आयोग की ओर से इस पर आधिकारिक प्रतिक्रिया अभी सामने नहीं आई है।

लेकिन राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि —

तृणमूल लगातार चुनाव आयोग की कार्यवाही पर सवाल उठा रही है।

आगामी चुनावों से पहले यह मुद्दा टीएमसी बनाम बीजेपी की सीधी भिड़ंत को और तेज करेगा।

चुनाव आयोग की विश्वसनीयता पर उठ रहे सवाल राष्ट्रीय स्तर पर भी राजनीतिक बहस का कारण बन सकते हैं।

राजनीतिक संकेत स्पष्ट : बंगाल से उठी आवाज राष्ट्रीय मुद्दा बन सकती है

ममता बनर्जी ने अपनी रैली में साफ कहा कि लोकतंत्र में कोई भी संस्था किसी दल की जागीर नहीं हो सकती।

उनके बयानों से यह संदेश गया है कि टीएमसी आने वाले चुनावों में निष्पक्ष चुनाव, आयोग की भूमिका और केंद्र की नीतियों को बड़ा मुद्दा बनाने की तैयारी कर चुकी है।

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