मथुरा अधिवेशन में जयंत चौधरी फिर निर्विरोध अध्यक्ष चुने गए; एनडीए के साथ मजबूती का संदेश, विपक्ष को बताया “नीति-विहीन”

डेस्क रिपोर्ट : विजय तिवारी
राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) ने रविवार को मथुरा के कोसीकलां में अपना राष्ट्रीय अधिवेशन आयोजित किया, जिसमें केंद्रीय मंत्री जयंत चौधरी को एक बार फिर से निर्विरोध राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया। इस पुनर्निर्वाचन के साथ पार्टी ने साफ संकेत दिया है कि रालोद अपने मौजूदा नेतृत्व और दिशा पर पूरी तरह भरोसा बनाए हुए है।
अधिवेशन में पहुंचे पार्टी प्रतिनिधियों ने जयंत चौधरी का जोरदार स्वागत किया और उन्हें सर्वसम्मति से दोबारा शीर्ष पद की जिम्मेदारी सौंप दी।
एनडीए के साथ तालमेल पर साफ़ घोषणा
पुनर्निर्वाचन के बाद अपने संबोधन में जयंत चौधरी ने यह स्पष्ट कर दिया कि रालोद आने वाले वर्षों में भी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) का मज़बूत हिस्सा बना रहेगा।
उन्होंने कहा—
> “हम एनडीए के साथ मजबूती से खड़े हैं। प्रधानमंत्री ने मुझे बड़ी जिम्मेदारी दी है और हम इसे पूरी निष्ठा के साथ निभाएंगे।”
जयंत चौधरी के इस बयान को गठबंधन की दिशा में एक बड़े राजनीतिक संकेत के रूप में देखा जा रहा है, क्योंकि यह रालोद की भविष्य की रणनीति की नींव भी तय करता है।
विपक्ष पर सीधा हमला — “परिवार है, नेता नहीं… इसलिए विफल”
अपने संबोधन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा उन्होंने विपक्ष पर निशाना साधने में लगाया।
उन्होंने कहा—
> “आज विपक्ष के पास परिवार तो है, पर न नेता है न नीति… ऐसे में वे जनता का भरोसा नहीं जीत पा रहे हैं। यही उनकी सबसे बड़ी विफलता है।”
इस टिप्पणी को राजनीतिक हलकों में आगामी राज्यों के चुनावों से पहले रणनीतिक संदेश माना जा रहा है।
अधिवेशन में तीन बड़े प्रस्ताव: किसान, युवा और सामाजिक न्याय फोकस में
रालोद ने इस अधिवेशन में कई महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित किए, जिनका केंद्र ग्रामीण भारत और सामाजिक उत्थान रहा।
1. कृषि एवं आर्थिक प्रस्ताव
खेती की ज़मीनों के लगातार विखंडन को रोकने के उपाय
पानी और उर्वरक के अनियंत्रित उपयोग पर नियंत्रण
फसल विविधीकरण को बढ़ावा
शुगर मिलों और ग्रामीण उद्योगों को पुनर्जीवित करने की योजना
2. सामाजिक प्रस्ताव
महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी बढ़ाने के कार्यक्रम
ग्रामीण युवाओं के लिए खेल एवं रोजगार अवसरों का विस्तार
वंचित समाज समूहों को सरकारी योजनाओं का समान लाभ
3. संगठनात्मक एवं राजनीतिक प्रस्ताव
कार्यकर्ताओं के लिए नियमित प्रशिक्षण
बूथ नेटवर्क मज़बूत करने की रणनीति
गठबंधन राजनीति में स्पष्ट और स्थिर रुख
इन प्रस्तावों से साफ दिखता है कि पार्टी अब सिर्फ जाट–किसान केंद्रित पार्टी की छवि से आगे बढ़ते हुए व्यापक सामाजिक आधार खड़ा करना चाहती है।
पार्टी का विस्तार मिशन: पश्चिमी यूपी से केंद्रीय–पूर्वी इलाकों तक पैठ बढ़ाने की पहल
अधिवेशन के दौरान जयंत चौधरी ने इस बात पर जोर दिया कि रालोद अब पश्चिमी यूपी तक सीमित नहीं रहना चाहता।
हाल के महीनों में उनकी पूर्वांचल व बुंदेलखंड यात्राओं,
युवा सम्मेलन,
किसान संवाद कार्यक्रमों
को संगठन विस्तार के हिस्से के तौर पर देखा जा रहा है।
रिपोर्ट के मुताबिक पिछले एक वर्ष में पार्टी की सदस्यता में 40–45% तक बढ़ोतरी दर्ज की गई है, जिसका श्रेय एनडीए के साथ तालमेल और जमीनी सक्रियता को दिया जा रहा है।
राजनीतिक परिदृश्य में RLD की भूमिका क्यों अहम होती जा रही है?
विशेषज्ञों के अनुसार:
पश्चिमी यूपी में RLD अभी भी प्रभावी गठबंधन साथी है
ग्रामीण वोटरों में पार्टी की पकड़ बरकरार
एनडीए के साथ गठबंधन उसे राजनीतिक स्थिरता देता है
और जयंत चौधरी की व्यक्तिगत लोकप्रियता युवा मतदाताओं में तेजी से बढ़ रही है
इन सभी कारणों का सीधा असर 2027 के विधानसभा चुनावों और 2029 के लोकसभा चुनाव पर पड़ सकता है।
चुनौतियाँ भी कम नहीं…
हालाँकि पार्टी के सामने कुछ प्रमुख चुनौतियाँ भी हैं:
अपने पारंपरिक वोट बैंक के बाहर प्रभाव बढ़ाना
बूथ स्तर पर मजबूत कैडर तैयार करना
गठबंधन राजनीति में अपनी हिस्सेदारी मजबूत बनाए रखना
वादों को जमीन पर उतारने के लिए प्रशासनिक समर्थन जुटाना
परंतु अधिवेशन के माहौल और जयंत चौधरी की नेतृत्व-शैली को देखते हुए पार्टी कार्यकर्ताओं में उत्साह स्पष्ट दिखाई दिया।
मथुरा का यह अधिवेशन रालोद के लिए एक नए राजनीतिक चरण का संकेत है।
जयंत चौधरी के पुनर्निर्वाचन से संगठन में स्थिरता का संदेश गया है, वहीं एनडीए के साथ मजबूती से खड़े होने का ऐलान आने वाले चुनावों में नई रणनीतिक धार पैदा कर सकता है।
अधिवेशन में पारित प्रस्ताव बताते हैं कि पार्टी किसान, युवा, महिला और ग्रामीण मुद्दों पर व्यापक ढंग से सक्रिय होना चाहती है — और विपक्ष पर निशाना साधते हुए उसने खुद को “नीति आधारित राजनीति” का चेहरा बताया है।




