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उत्तर प्रदेश

छह महीने की राहत पर जेल से बाहर आसाराम, अनुयायियों ने मोटेरा आश्रम में मनाया दीपोत्सव

छह महीने की राहत पर जेल से बाहर आसाराम, अनुयायियों ने मोटेरा आश्रम में मनाया दीपोत्सव
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डेस्क रिपोर्ट : विजय तिवारी

अहमदाबाद / जोधपुर / नई दिल्ली :

बलात्कार के मामलों में आजीवन कारावास की सज़ा काट रहे स्वयंभू धर्मगुरु आसाराम उर्फ असुमल हरपालानी को गुजरात हाईकोर्ट ने छह महीने की अंतरिम राहत दी है। अदालत ने उनकी सज़ा को छह महीने के लिए निलंबित करते हुए चिकित्सकीय कारणों से जमानत की अनुमति प्रदान की है। इससे पहले राजस्थान हाईकोर्ट ने भी अक्टूबर में उन्हें स्वास्थ्य आधार पर अस्थायी राहत दी थी।

84 वर्षीय आसाराम पिछले 31 अगस्त 2013 से जेल में बंद हैं और बलात्कार के दो मामलों में दोषी ठहराए जा चुके हैं। उन पर पॉक्सो अधिनियम और अनुसूचित जाति एवं जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत गंभीर आरोप हैं।

गांधीनगर सेशंस कोर्ट ने जनवरी 2023 में आसाराम को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई थी। अदालत ने पाया था कि 2001 से 2006 के बीच उन्होंने अपने मोटेरा आश्रम में सूरत निवासी एक महिला अनुयायी के साथ कई बार यौन उत्पीड़न किया था।

उन्हें भारतीय दंड संहिता की धाराओं 376(2)(C) (बलात्कार), 377 (अप्राकृतिक अपराध), 342 (गलत तरीके से बंदी बनाना), 354 (महिला की गरिमा भंग करने हेतु हमला), 357 और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत दोषी ठहराया गया था।

इसके अतिरिक्त, 2013 में जोधपुर में नाबालिग शिष्या से दुष्कर्म के मामले में भी आसाराम को आजीवन कारावास की सज़ा मिली थी।

स्वास्थ्य के आधार पर मिली राहत

राजस्थान हाईकोर्ट ने अंतरिम जमानत देते हुए कहा था कि आसाराम की तबीयत लगातार बिगड़ रही है और जेल में उनके इलाज की आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं।

उनके वकील ने गुजरात हाईकोर्ट में दलील दी कि 84 वर्ष की उम्र में आसाराम गंभीर रूप से अस्वस्थ हैं और नियमित चिकित्सकीय देखरेख की आवश्यकता है।

वहीं, राज्य सरकार के वकील ने सुझाव दिया था कि यदि चिकित्सा सुविधाएं अपर्याप्त हों तो उन्हें गुजरात की किसी जेल में स्थानांतरित किया जा सकता है।

हालांकि, पीड़िता की ओर से पेश वकील ने इसका विरोध करते हुए कहा कि मेडिकल रिपोर्ट में कहीं भी “गंभीर अवस्था” का स्पष्ट उल्लेख नहीं है।

मोटेरा आश्रम में जश्न का माहौल

जोधपुर जेल से रिहाई के बाद आसाराम को अस्पताल से सीधे अहमदाबाद के मोटेरा आश्रम ले जाया गया। देर रात उनके पहुंचते ही अनुयायियों ने दीप जलाकर, पटाखे फोड़कर और फूल बरसाकर स्वागत किया। आश्रम में दीपोत्सव जैसा माहौल बना रहा और समर्थकों ने “बापू के जयकारे” लगाए।

अस्पताल की खिड़की से बाहर आकर आसाराम ने भी हाथ हिलाकर अनुयायियों को दर्शन दिए।

अदालत की सख्त शर्तें

गुजरात हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि यह राहत केवल चिकित्सकीय आधार पर दी गई है, और इस अवधि में आसाराम को किसी सार्वजनिक धार्मिक आयोजन या प्रवचन की अनुमति नहीं होगी। उन्हें अपनी स्वास्थ्य रिपोर्ट अदालत में नियमित रूप से प्रस्तुत करनी होगी, और सभी कानूनी शर्तों का पालन अनिवार्य रहेगा।

आसाराम ने 1970 के दशक में अहमदाबाद में साबरमती नदी के किनारे अपना पहला आश्रम स्थापित किया था। बाद में उन्होंने देशभर में दर्जनों आश्रमों का विशाल नेटवर्क बनाया, जिसे करोड़ों रुपये के धार्मिक–आर्थिक साम्राज्य के रूप में देखा जाता है।

दोषसिद्धि के बाद से वे जेल में थे और कई बार स्वास्थ्य आधार पर जमानत की मांग कर चुके थे, जिसे पहले खारिज कर दिया गया था।

अदालत के ताज़ा आदेश के बाद अब वे अगले छह महीने तक आश्रम में रहकर उपचार लेंगे और अदालत के निर्देशानुसार पुलिस सुरक्षा के बिना सामान्य नागरिक की तरह रह सकते हैं। प्रशासन ने कहा है कि उनकी गतिविधियों पर अदालत के आदेशानुसार नज़र रखी जाएगी।

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