कानपुर में साइबर फ्रॉड पर नकेल कसने के लिए पुलिस का बड़ा अभियान -डीजीपी राजीव कृष्ण ने दिए कड़े निर्देश

रिपोर्ट : विजय तिवारी
कानपुर, 7 नवंबर 2025 —
साइबर ठगी और डिजिटल अपराधों के बढ़ते मामलों पर अंकुश लगाने के लिए उत्तर प्रदेश पुलिस ने आज एक व्यापक राज्यस्तरीय अभियान की शुरुआत की। राजधानी लखनऊ स्थित पुलिस मुख्यालय से डीजीपी राजीव कृष्ण (IPS) ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्रदेशभर के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों और साइबर शाखा के कर्मियों को दिशा-निर्देश दिए।
कार्यक्रम में कानपुर जोन के एडीजी आलोक सिंह, आईजी जोन मोहित अग्रवाल, एसएसपी श्रद्धा पाण्डेय, एसपी ट्रैफिक विजय शंकर, एसपी क्राइम अजय कुमार सिंह, एएसपी नीरज कुमार जायसवाल सहित कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे। इन सभी ने मिलकर साइबर अपराध की बदलती प्रवृत्तियों, ठगी के नए तौर-तरीकों और जनता तक जागरूकता पहुंचाने की योजना पर विस्तार से चर्चा की।
डीजीपी राजीव कृष्ण ने दिया स्पष्ट संदेश — “जागरूकता ही सबसे बड़ा हथियार”
डीजीपी राजीव कृष्ण ने कहा कि साइबर फ्रॉड आज के समय का सबसे बड़ा “नॉन-वॉयलेंट क्राइम” बन चुका है, जिससे हर वर्ग प्रभावित हो रहा है। अपराधी अब तकनीक का इस्तेमाल कर आम जनता की मेहनत की कमाई को निशाना बना रहे हैं।
उन्होंने निर्देश दिया कि —
हर जिले में साइबर हेल्प डेस्क को 24 घंटे सक्रिय रखा जाए।
शिकायत दर्ज होने के तुरंत बाद संबंधित बैंक व एजेंसियों से “गोल्डन ऑवर एक्शन” (पहले एक घंटे में फंड रोकने की कार्रवाई) अनिवार्य की जाए।
हर थाना प्रभारी सप्ताह में एक दिन अपने क्षेत्र में साइबर जागरूकता अभियान चलाए।
मीडिया व डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिए आमजन को साइबर अपराध के प्रति संवेदनशील बनाया जाए।
एडीजी आलोक सिंह ने दी तकनीकी ब्रीफिंग
एडीजी जोन आलोक सिंह ने पुलिसकर्मियों को बताया कि साइबर अपराध अब पारंपरिक फोन कॉल ठगी से आगे बढ़ चुका है। अब यू-पी-आई फ्रॉड, ऑनलाइन शॉपिंग स्कैम, क्यूआर कोड जालसाजी, नकली एप्लिकेशन डाउनलोड ठगी और सोशल मीडिया हैकिंग जैसे नए तरीकों से लोग शिकार बन रहे हैं।
उन्होंने कहा कि पुलिस को सिर्फ अपराधी पकड़ने पर ही नहीं, बल्कि रोकथाम और शिक्षा पर भी जोर देना होगा। इसके लिए प्रत्येक थाना क्षेत्र में “साइबर सुरक्षा सप्ताह” मनाने की रूपरेखा तैयार की गई है।
एसएसपी श्रद्धा पाण्डेय ने साझा की कानपुर की रूपरेखा
कानपुर की एसएसपी श्रद्धा पाण्डेय ने बताया कि शहर में साइबर फ्रॉड की शिकायतें लगातार बढ़ रही हैं, विशेष रूप से बैंकिंग और सोशल मीडिया से जुड़ी।
उन्होंने कहा —
> “हमारी प्राथमिकता है कि हर नागरिक को डिजिटल सुरक्षा के बारे में सही जानकारी मिले। पुलिस की कोशिश है कि कोई भी व्यक्ति अपनी मेहनत की कमाई ऑनलाइन अपराधियों के हाथों न गंवाए।”
उन्होंने बताया कि अब प्रत्येक थाना परिसर में ‘साइबर सहायता डेस्क’ के साथ-साथ ‘साइबर जागरूकता बोर्ड’ भी लगाया जाएगा, जहां नागरिकों को ऑनलाइन ठगी से बचने के उपाय बताए जाएंगे।
कार्यक्रम में रखे गए मुख्य बिंदु
1. साइबर फ्रॉड की शिकायतों के लिए राष्ट्रीय हेल्पलाइन नंबर 1930 का प्रचार हर जिले में किया जाएगा।
2. पुलिसकर्मियों को “साइबर पेट्रोलिंग यूनिट” के जरिए संदिग्ध ऑनलाइन गतिविधियों की निगरानी करने के निर्देश दिए गए।
3. हर स्कूल, कॉलेज और बैंक शाखा में जागरूकता शिविर आयोजित किए जाएंगे।
4. साइबर अपराधों की त्वरित जांच के लिए कानपुर रेंज में ‘रैपिड रेस्पॉन्स टीम’ (RRT) गठित होगी।
5. सोशल मीडिया पर फर्जी लॉटरी, जॉब ऑफर या निवेश योजनाओं को लेकर विशेष मॉनिटरिंग अभियान चलेगा।
नागरिकों के लिए पुलिस की अपील
किसी भी अज्ञात कॉल, लिंक या ईमेल पर भरोसा न करें।
किसी को भी OTP, ATM PIN या पासवर्ड न बताएं।
किसी संदिग्ध लेन-देन पर तुरंत 1930 नंबर या cybercrime.gov.in पर शिकायत दर्ज करें।
बैंकिंग ऐप या वेबसाइट हमेशा आधिकारिक स्रोत से ही डाउनलोड करें।
सोशल मीडिया अकाउंट पर “टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन (2FA)” जरूर सक्रिय रखें।
आगे की कार्ययोजना
राज्य पुलिस ने निर्णय लिया है कि दिसंबर 2025 तक सभी जिलों में साइबर थाने और प्रशिक्षण केंद्रों का नेटवर्क पूर्ण रूप से सक्रिय किया जाएगा। इसके साथ ही प्रत्येक जिले में “साइबर सुरक्षा स्वयंसेवक” नियुक्त किए जाएंगे जो पुलिस के साथ मिलकर जनता को जागरूक करेंगे।
कार्यक्रम के अंत में डीजीपी राजीव कृष्ण ने सभी अधिकारियों की सराहना करते हुए कहा —
> “हमारा लक्ष्य सिर्फ अपराधियों को पकड़ना नहीं, बल्कि समाज को डिजिटल रूप से शिक्षित और सुरक्षित बनाना है।”
यह पहल उत्तर प्रदेश पुलिस की एक निर्णायक कोशिश है, जो जनता, प्रशासन और तकनीक को एक साथ जोड़कर साइबर अपराध के विरुद्ध एक सशक्त दीवार खड़ी करने की दिशा में अहम कदम साबित होगी।




