हाईकोर्ट में बड़ा खुलासा : मूर्ति विवाद पर अफसरों की भारी लापरवाही उजागर, डबल बेंच ने वरिष्ठ रजिस्ट्रार से सीलबंद रिपोर्ट मांगी

डेस्क रिपोर्ट : विजय तिवारी
सुलतानपुर : भूतपूर्व विधायक स्वर्गीय इंद्रभद्र सिंह की मूर्ति विवाद से जुड़े चर्चित मामले की बुधवार को हुई सुनवाई में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया। कोर्ट की डबल बेंच ने संबंधित अधिकारियों की गंभीर लापरवाही पर नाराजगी जताई और वरिष्ठ रजिस्ट्रार से सीलबंद लिफाफे में विस्तृत रिपोर्ट तलब की है।
मिली जानकारी के अनुसार, सुनवाई के दौरान प्रतिवादी पक्ष की ओर से जवाब दाखिल न होने पर कोर्ट ने असंतोष व्यक्त करते हुए सभी जिम्मेदारों को स्पष्ट दिशा-निर्देश दिए। अब यह मामला शुक्रवार, 31 अक्टूबर को नए सिरे से जनहित याचिका के रूप में सूचीबद्ध होगा।
हाईकोर्ट की जस्टिस राजन राय और जस्टिस राजीव भारती की पीठ ने टिप्पणी करते हुए कहा, “ऐसा प्रतीत होता है कि जिम्मेदार अधिकारी हाईकोर्ट के आदेशों को पढ़ने या समझने की भी जहमत नहीं उठाते।” कोर्ट ने आदेशों की अवहेलना पर संबंधित अधिकारियों से स्पष्टीकरण मांगा और कार्यवाही की चेतावनी दी।
पिछली पेशी में अदालत ने स्वतः संज्ञान लेते हुए याचिका को निर्धारित श्रेणी में दर्ज कर सूची में शामिल करने का आदेश दिया था, लेकिन अफसरों ने निर्देशों की अनदेखी करते हुए बिना पालन किए ही पत्रावली कोर्ट में पेश कर दी। इस गंभीर त्रुटि पर डबल बेंच ने तीखी नाराजगी जताई।
यह विवाद सुलतानपुर जिले के पूर्व विधायक स्वर्गीय इंद्रभद्र सिंह की मूर्ति से जुड़ा है, जो धनपतगंज थाना क्षेत्र के हलियापुर–कूरेभार मार्ग किनारे और जिला न्यायालय के पास स्थापित है। अधिवक्ता अमित कुमार वर्मा ने इस मूर्ति को हटाने की मांग में जनहित याचिका दाखिल की थी।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने याची को दायित्वों से मुक्त करते हुए स्वतः संज्ञान लेकर सीधे हस्तक्षेप किया। साथ ही डीएम सुलतानपुर, पीडब्ल्यूडी के अधिशासी अभियंता और अन्य संबंधित अधिकारियों को यह जांच करने का निर्देश दिया कि —
1. मूर्ति जिस भूमि पर स्थापित है, वह सरकारी श्रेणी में आती है या नहीं।
2. यदि भूमि सरकारी है तो मूर्ति किस प्रक्रिया से वहां स्थापित की गई।
3. सरकारी भूमि पर मूर्ति पाए जाने की स्थिति में उसे हटाने की वैधानिक प्रक्रिया क्या होगी।
इन सभी बिंदुओं पर स्पष्ट हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया गया था।
बताया जा रहा है कि भाजपा विधायक और पूर्व मंत्री विनोद सिंह द्वारा मूर्ति हटाने का मुद्दा उठाए जाने के बाद यह मामला चर्चा में आया। इसके बाद जिला प्रशासन और पीडब्ल्यूडी के बीच हुए पत्राचार के क्रम में प्रकरण हाईकोर्ट पहुंचा।
अब 31 अक्टूबर को प्रस्तावित अगली सुनवाई में यह तय होगा कि अदालत लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ क्या सख्त कार्रवाई करती है।




