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उत्तर प्रदेश

वाराणसी में आचार्य धीरेन्द्र शास्त्री का प्रखर संदेश: “जातिवाद नहीं, राष्ट्रवाद चाहिए ,अब समय है हिंदू एकता और सांस्कृतिक जागरण का”

वाराणसी में आचार्य धीरेन्द्र शास्त्री का प्रखर संदेश: “जातिवाद नहीं, राष्ट्रवाद चाहिए ,अब समय है हिंदू एकता और सांस्कृतिक जागरण का”
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रिपोर्ट : विजय तिवारी

वाराणसी पहुंचे बागेश्वर धाम सरकार के पीठाधीश आचार्य धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने अपने जोशीले और राष्ट्रवादी विचारों से माहौल में ऊर्जा भर दी। उन्होंने कहा कि आज भारत को सबसे ज्यादा ज़रूरत राष्ट्रवाद और एकता की है, न कि जाति-पांति के विवादों की। शास्त्री के अनुसार, समाज को तोड़ने वाली विचारधारा को खत्म कर, लोगों को धर्म, संस्कृति और राष्ट्रभावना के सूत्र में बांधना ही सच्चा देशप्रेम है।

उन्होंने ऐलान किया कि वे 7 से 16 नवंबर तक दिल्ली से वृंदावन तक “हिंदू राष्ट्र पदयात्रा” निकालेंगे। यह पदयात्रा सांस्कृतिक चेतना और एकता का संदेश देने के उद्देश्य से आयोजित की जा रही है। इस दौरान वे देश के युवाओं और आम नागरिकों से सीधा संवाद करेंगे ताकि “हिंदू राष्ट्र” की भावना जन-जन तक पहुँचे।

अपने संबोधन में शास्त्री ने कहा —

> “हमें कागजों पर नहीं, बल्कि लोगों के दिलों में हिंदू राष्ट्र चाहिए।

65 से अधिक देश मुसलमानों के हैं, 95 से ज़्यादा देश ईसाइयों के — तो एक देश हिंदू राष्ट्र होना चाहिए।”

उन्होंने कहा कि आज भारत में जातिवाद का जहर फैलाया जा रहा है, जो समाज को बांटने का काम कर रहा है। शास्त्री ने स्पष्ट कहा —

> “हम देश में जातिवाद नहीं, राष्ट्रवाद चाहते हैं।

किसी भी माँ, बहन या समाज के वर्ग के लिए अपमानजनक शब्दों की कोई जगह नहीं होनी चाहिए।”

उन्होंने आगे कहा कि भारत को बांग्लादेश और नेपाल जैसे देशों से सीख लेनी चाहिए, जिन्होंने अपनी सांस्कृतिक पहचान और धार्मिक गौरव को बरकरार रखा है।

शास्त्री ने कहा कि आने वाली पीढ़ियों को हमारी संस्कृति, परंपरा और आध्यात्मिक धरोहर का ज्ञान होना चाहिए, क्योंकि यही हमारे अस्तित्व की पहचान है। उन्होंने कहा —

> “हिंदू राष्ट्र केवल राजनीति नहीं, बल्कि यह हमारी आस्था और संस्कृति की आत्मा है। केवल एक हिंदू राष्ट्र ही विश्व में स्थायी शांति का मार्ग प्रशस्त कर सकता है।”

अपने संबोधन के अंत में उन्होंने देशवासियों से एकजुटता की अपील करते हुए कहा कि —

> “भारत तब सशक्त होगा जब समाज जाति, धर्म और वर्ग के विभाजन से ऊपर उठकर एक परिवार की तरह आगे बढ़ेगा। राष्ट्र पहले, बाकी सब बाद में — यही हमारा संकल्प है।”

इस प्रकार, आचार्य धीरेन्द्र शास्त्री का यह संदेश केवल एक धार्मिक आह्वान नहीं, बल्कि सांस्कृतिक चेतना, एकता और राष्ट्रीय गौरव का उद्घोष बनकर वाराणसी से पूरे देश में गूंज उठा।

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