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शहर के केमिकल उद्योग खेल रहे हैं आम आदमी के जीवन से, शहर की जल, जमीन और वायु पूरी तरह प्रदूषित

शहर के केमिकल उद्योग खेल रहे हैं आम आदमी के जीवन से, शहर की जल, जमीन और वायु पूरी तरह प्रदूषित
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ओमप्रकाश यादव

अहमदाबाद गुजरात। गुजरात पॉलुशन कन्ट्रोल बोर्ड (जीपीसीबी) की मेहरबानी से सामान्य व्यक्ति की जीवन दुर्भर होता जा रहा है। केमिकल माफिया खुल्लेआम नियमों का उलंघन करते हैं जिसकी वजह से अहमदाबाद की जल, वायु और जमीन दिन प्रतिदिन प्रदूषित होती जा रही है। उद्योगों में कार्यरत ईटीपी और सीईटीपी पूरी क्षमता से कार्य नहीं करते जिससे प्रदूषित पर्यावरण से परेशान आम आदमी का जीवन राम भरोसे चल रहा है। विकास हर राज्य का सपना होता है लेकिन विकास का आधार विनाश नहीं होना चाहिए। विनाश के पाया पर खड़ी विकास का फल कुछ तथाकथित लोगों को खुशियां भले ही देदे लेकिन ज़्यादातर लोगों को इसका स्वाद कड़वा लगता है।

उल्लेखनीय है, अहमदाबाद में केमिकल उद्योग, फार्मास्यूटिकल उद्योग और प्रोसेस हाउस का व्यापार खूब विकसित हुआ है, लेकिन यह सारा विकास पर्यावरण को तबाह करके हो रहा है। पर्यावरण की सुरक्षा की जिम्मेदारी जीपीसीबी की है।परन्तु केमिकल माफिया जीपीसीबी के सीने पर बैठ कर ही पर्यावरण को तबाह कर रहे हैं। करोड़ों की कमाई की लालच में कुछ तथाकथित अधिकारी अपनी आँखों पर पट्टी बांध लिए हैं। अहमदाबाद के औद्योगिक विस्तार ओढव, नरोड़ा, नारोल, वटवा, चांगोदर और दाणीलिमड़ा में डाल एण्ड डायकेम, पेस्टीसाइड्स, फार्मास्यूटिकल, मेटल फिनिसिंग, इलेक्ट्रोप्लेटिंग, और कपड़ों के प्रोसेस का उद्योग व्यापक स्तर पर होता है। इनसे निकलने वाली जहरीली गैस, धुआँ, केमिकल युक्त पानी और दुर्गंध आस पास के लोगों का जीवन नर्कागार बना दिया है। उद्योगों के कारण पर्यावरण पूरी तरह असंतुलित हो चुका है। प्रदूषण के कारण उक्त तथाकथित विस्तारों में जमीन से लाल और नीले रंग का पानी निकलता है।

प्रदूषण का मुख्य कारण टेक्सटाइल और फार्मास्यूटिकल उद्योगों में ओवर प्रोडक्शन किया जाता है ।इनमें कार्यरत एफ्युलेंट ट्रिटमेंट प्लांट (ईटीपी) और एयर कन्ट्रोल डिवाइसर पूरी क्षमता से कार्यरत नहीं होते। डायज और इन्टरमिडियट कारखाने अपनी स्वीकृति से कई गुना उत्पादन करते हैं। बिना मंजूरी के भी कई पदार्थों का उत्पादन कर कचरे को गैरकानूनी ढंग से वातावरण में छोड़ दिया जाता। केमिकल फैक्टरी प्रदूषण के मामले बंम के समान हैं। सबसे अधिक प्रदूषण इन्हीं से फैलता है। यह भी अपने स्वीकृति से कई गुना उत्पादन करती है। इनमें भी ईटीपी और ओपीसीडी कार्यरत नहीं होता है।

यह सर्वविदित है कि पर्यावरण की असंतुलित स्थिति वैश्विक समस्या है। ग्लोबल वार्मिंग, ग्लेशियर पर बर्फ का पिघलना और तापमान में वृद्धि पर्यावरण असंतुलन का ही परिणाम है। पर्यावरण में असंतुलन होने से प्रकृति ने अपना नियम भी बदल दिया है। हरे भरे प्रदेशों में अकाल पड़ने लगा है, रेगिस्तानी विस्तार में बाढ आने लगी है। पर्यावरण चिन्तकों द्वारा जितना पर्यावरण को बचाने का प्रयास किया जाता, उद्योग उससे कई गुना तबाह कर देते हैं।

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