हाईकोर्ट ने टीएमसी नेताओं की जमानत पर लगाई रोक, भेजे गए जेल
नारदा मामले को लेकर टीएमसी नेताओं की गिरफ्तार पर बंगाल में रात तक हंगामा मचा रहा। सीबीआई की विशेष अदालत ने इस मामले में टीएमसी के नेता फिरहाद हकीम, सुब्रत मुखर्जी, विधायक मदन मित्रा, पूर्व टीएमसी नेता एवं कोलकाता के पूर्व महापौर सोवन चटर्जी को जमानत दे दी थी लेकिन कलकत्ता उच्च न्यायालय ने जल्द ही निचली अदालत के आदेश के अमल पर रोक लगा दी।
उच्च न्यायालय ने 16 अप्रैल 2017 को स्टिंग ऑपरेशन की जांच सीबीआई को करने के निर्देश दिए थे। बाद में एक विशेष अदालत ने तृणमूल कांग्रेस के नेता और राज्य के मंत्रियों फिरहाद हकीम तथा सुब्रत मुखर्जी, पार्टी विधायक मदन मित्रा और पार्टी के पूर्व नेता तथा कोलकाता के पूर्व मेयर सोवन चटर्जी को जमानत दे दी।
सीबीआई ने चारों नेताओं और आईपीएस अधिकारी एसएमएच मिर्जा के खिलाफ अपना आरोप-पत्र दाखिल किया था। मिर्जा इस समय जमानत पर हैं। तृणमूल कांग्रेस ने भाजपा नीत केंद्र सरकार पर विधानसभा चुनाव में हार के बाद राजनीतिक प्रतिशोध के लिए सीबीआई के इस्तेमाल का आरोप लगाया। केंद्रीय जांच एजेंसी ने मामले के संबंध में चारों नेताओं को गिरफ्तार किया था जिन्हें 2014 में कथित तौर पर एक स्टिंग ऑपरेशन में रुपये लेते हुए देखा गया था।
कोलकाता स्थित निजाम पैलेस में सीबीआई दफ्तर राजनीतिक विवाद का नया केंद्र बन गया, जहां मुख्यमंत्री बनर्जी गिरफ्तार किये गये नेताओं के परिजनों के साथ पहुंचीं और उन्होंने खुद को भी गिरफ्तार करने की मांग की। वहीं मौके पर जमा हुए नाराज प्रदर्शनकारियों ने कोरोना वायरस को रोकने के लिए लागू लॉकडाउन का उल्लंघन किया। प्रदर्शनकारियों ने सुरक्षाकर्मियों पर पथराव भी किया।
दिल्ली में सीबीआई प्रवक्ता आर सी जोशी ने कहा कि एजेंसी ने नारद स्टिंग ऑपरेशन से संबंधित एक मामले में पश्चिम बंगाल की तत्कालीन सरकार के चार (पूर्व) मंत्रियों को आज गिरफ्तार किया। आरोप था कि तत्कालीन सरकारी सेवकों को स्टिंग ऑपरेशन करने वाले से रिश्वत लेते हुए कैमरे में कैद किया गया था।
वकील अनिंद्य राउत ने बताया कि विशेष सीबीआई न्यायाधीश अनुपम मुखर्जी ने डिजिटल सुनवाई में चारों नेताओं के वकीलों और एजेंसी के वकील की दलीलें सुनने के बाद उन्हें जमानत दे दी। इसी अदालत में एजेंसी ने अपना आरोप-पत्र दायर किया था।
विशेष अदालत के फैसले के खिलाफ सीबीआई की टीम ने उच्च न्यायालय में कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल और न्यायाधीश अरिजीत बनर्जी की खंडपीठ का रुख किया और जमानत रद्द करने का अनुरोध किया। उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने इस मामले में सुनवाई के दौरान कहा कि विशेष अदालत के आदेश पर रोक लगाना ही सही होगा। न्यायालय ने अगले आदेश तक सभी अभियुक्तों को न्यायिक हिरासत में भेजने का भी आदेश दिया। उच्च न्यायालय में सीबीआई का पक्ष सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने रखा।
बनर्जी तृणमूल नेताओं की रिहाई की मांग को लेकर पूर्वाह्न 11 बजे से शाम करीब 5 बजे तक धरने पर बैठीं। इसी तरह उन्होंने करोड़ों रुपये के सारदा चिटफंड घोटाले के मामले में 2019 में कोलकाता के तत्कालीन पुलिस आयुक्त राजीव कुमार से पूछताछ करने के सीबीआई के कदम के खिलाफ धरना दिया था।
सीबीआई अधिकारियों ने कहा कि बनर्जी का कदम कलकत्ता उच्च न्यायालय द्वारा एजेंसी को सौंपी गयी जांच में हस्तक्षेप के समान है। तृणमूल कांग्रेस नेताओं की गिरफ्तारी की खबर फैलते ही पार्टी कार्यकर्ताओं ने राज्य में लगे लॉकडाउन को तोड़ते हुए विभिन्न स्थानों पर प्रदर्शन किए और भाजपा नीत राजग सरकार के खिलाफ नारेबाजी की और सुरक्षा कर्मियों से उनकी झड़प हुई।
हुगली, उत्तर 24 परगना और दक्षिण 24 परगना जिलों समेत अन्य इलाकों में प्रदर्शनकारियों ने टायर जलाये, सड़कों को अवरुद्ध किया। राज्य में प्रदर्शनों का संज्ञान लेते हुए राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि वह विस्फोटक स्थिति पर रोकथाम लगाएं। सीबीआई ने हकीम, मुखर्जी, मित्रा और चटर्जी के अभियोजन की मंजूरी के लिए पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ से संपर्क किया था।
उन्होंने बताया कि धनखड़ ने सात मई को सभी चारों नेताओं के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दी थी जिसके बाद सीबीआई ने अपने आरोप-पत्र को अंतिम रूप दिया और उन्हें गिरफ्तार किया। नारद टीवी न्यूज चैनल के मैथ्यू सैमुअल ने 2014 में कथित स्टिंग ऑपरेशन किया था जिसमें तृणमूल कांगेस के मंत्री, सांसद और विधायक लाभ के बदले में एक कंपनी के प्रतिनिधियों से कथित तौर पर धन लेते नजर आए।
जांच एजेंसी ने आरोप लगाया कि हकीम को स्टिंग ऑपरेशन करने वाले से पांच लाख रुपये रिश्वत लेने की बात स्वीकार करते हुए देखा गया जबकि मित्रा और मुखर्जी को कैमरे पर पांच-पांच लाख रुपये रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया। चटर्जी को स्टिंग करने वाले से चार लाख रुपये लेते हुए देखा गया। सीबीआई के अनुसार मिर्जा को भी कैमरे पर पांच लाख रुपये लेते हुए पकड़ा गया।
यह टेप पश्चिम बंगाल में 2016 के विधानसभा चुनाव के ठीक पहले सार्वजनिक हुआ था। हालांकि, चुनाव पर इसका असर नहीं पड़ा और बनर्जी की सत्ता में वापसी हुई। सीबीआई ने 16 अप्रैल 2017 को दर्ज प्राथमिकी में 13 लोगों को नामजद किया है जिनमें वर्ष 2014 के ममता बनर्जी सरकार में मंत्री रहे तृणमूल नेता हकीम, मुखर्जी, मित्रा और चटर्जी शामिल हैं। हकीम और मुखर्जी हाल में संपन्न विधानसभा चुनाव में दोबारा जीते हैं जबकि चटर्जी तृणमूल छोड़ भाजपा में शामिल हो गए।
अधिकारियों ने बताया कि आठ आरोपियों पर मामला चलाने की मंजूरी अबतक नहीं मिली है क्योंकि वे सभी संसद सदस्य हैं। पश्चिम बंगाल विधानसभा अध्यक्ष बिमान बनर्जी ने नारद मामले में बंगाल के दो मंत्रियों तथा अन्य लोगों की गिरफ्तारी को गैरकानूनी बताया और कहा कि राज्यपाल की मंजूरी के आधार पर सीबीआई ने जो कदम उठाया है वह कानून संगत नहीं है।
बिमान बनर्जी ने कहा कि मुझे सीबीआई की ओर से कोई पत्र नहीं मिला है और न ही प्रोटोकॉल के तहत आवश्यक मंजूरी मुझसे ली गई। विधानसक्षा अध्यक्ष ने कहा, ''वे राज्यपाल के पास क्यों गए और उनकी मंजूरी क्यों ली, इसकी वजह मुझे नहीं पता। तब विधानसभा अध्यक्ष का पद खाली नहीं था और मैं पद पर था। यह मंजूरी पूरी तरह से गैरकानूनी है और इस मंजूरी के आधार पर किसी को गिरफ्तार करना भी गैरकानूनी है।''
तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता कुणाल घोष ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि बंगाल में रोजाना आने-जाने वाले जिन मुसाफिरों को राज्य की जनता ने चुनाव में पूरी तरह नकार दिया, उन्होंने इस महामारी के संकट के बीच पिछले दरवाजे से घुसने की साजिश रची है। उन्होंने भी तृणमूल कार्यकर्ताओं से संयम बरतने का आग्रह किया।
कुणाल घोष ने कहा कि तृणमूल कांग्रेस छोड़कर भाजपा में चले गये मुकुल रॉय और शुभेंदु अधिकारी के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गयी है जबकि उनके नाम भी मामले में सामने आये थे। इन आरोपों को खारिज करते हुए भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा कि रॉय और अधिकारी ने सीबीआई की जांच में सहयोग दिया जबकि हिरासत में लिये गए तृणमूल नेताओं ने ऐसा नहीं किया।