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CBI का शिकंजा: जय अनमोल अंबानी पर ₹228 करोड़ बैंक फ्रॉड केस में बड़ी कार्रवाई

CBI का शिकंजा: जय अनमोल अंबानी पर ₹228 करोड़ बैंक फ्रॉड केस में बड़ी कार्रवाई
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10 वर्षों की वित्तीय अनियमितताओं का नेटवर्क उजागर

रिपोर्ट : विजय तिवारी

नई दिल्ली/मुंबई। रिलायंस एडीए समूह की सहायक कंपनी Reliance Home Finance Limited (RHFL) से जुड़े बहुचर्चित बैंक धोखाधड़ी मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने बड़ी कार्रवाई करते हुए RHFL के तत्कालीन निदेशक जय अनमोल अंबानी, पूर्व CEO एवं निदेशक रविंद्र शरद सुधाकर सहित अन्य आरोपियों के खिलाफ ₹228.06 करोड़ के बैंक फ्रॉड को लेकर आपराधिक FIR दर्ज कर दी है। सोमवार देर रात हुई इस कार्रवाई से कॉर्पोरेट जगत, बैंकिंग सेक्टर और वित्तीय बाजार में हड़कंप मच गया है।

शिकायत की जड़: गलत सूचनाएँ, फंड डायवर्जन और भुगतान में चूक

CBI की FIR Union Bank of India (पूर्व में Andhra Bank) की विस्तृत शिकायत पर दर्ज हुई है। बैंक ने आरोप लगाया कि RHFL ने वर्ष 2015 से 2019 के बीच बैंक से ₹450 करोड़ से अधिक का लोन लिया और यह भरोसा दिलाया कि राशि का उपयोग हाउसिंग-फाइनेंस, NBFC संचालन और रियल-एस्टेट फंडिंग में होगा।

हालाँकि बैंक के अनुसार—

RHFL ने गलत और अपूर्ण वित्तीय जानकारी देकर लोन हासिल किया।

लोन की राशि को उद्देश्य से हटकर दूसरी जगह डायवर्ट किया गया।

ब्याज और किस्तों का भुगतान लगातार टालते रहे।

खाता 30 सितंबर 2019 को NPA घोषित हुआ।

10 अक्टूबर 2024 को इसे Fraud श्रेणी में दर्ज किया गया।

फोरेंसिक ऑडिट के बड़े खुलासे — शेल कंपनियों का जाल

फोरेंसिक ऑडिट रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि—

लोन की राशि को shell companies, संबंधित समूह संस्थाओं और नेटवर्क एंटिटीज में ट्रांसफर किया गया।

“कागज़ी लेन-देन” और गलत लेखांकन के जरिए वास्तविक उपयोग छिपाया गया।

फंड की अंतिम दिशा जानबूझकर छुपाने के लिए जटिल ट्रांजैक्शन लेयरिंग की गई।

रिपोर्ट के अनुसार यह मामला साधारण डिफॉल्ट नहीं बल्कि योजनाबद्ध वित्तीय धोखाधड़ी है।

CBI की छापेमारी—अनमोल अंबानी के आवास से लेकर RHFL ऑफिस तक दबिश

CBI की टीम ने विशेष अदालत की अनुमति के बाद मुंबई में एक साथ कई ठिकानों पर छापेमारी की—

RHFL के दो प्रमुख कॉर्पोरेट कार्यालय

जय अनमोल अंबानी का निजी आवास

पूर्व CEO रविंद्र सुधाकर का घर

छापों में कंप्यूटर सिस्टम, बैंक दस्तावेज़, ईमेल रिकॉर्ड, फंड-ट्रेल फाइलें और कई महत्वपूर्ण वित्तीय डाटा जब्त किया गया। टीम अब धन प्रवाह की पूरी गुत्थी सुलझाने में जुटी है।

मामला सिर्फ ₹228 करोड़ का नहीं — ₹5,500 करोड़ से अधिक का वित्तीय जाल

जांच में सामने आया कि—

RHFL ने कुल 18 बैंकों व NBFCs से ₹5,572.35 करोड़ के लोन लिए।

प्रवर्तन निदेशालय (ED) पहले ही ₹1,120 करोड़ से अधिक की संपत्तियाँ अटैच कर चुका है।

SEBI ने भी पहले General Purpose Corporate Loans के नाम पर फंड डायवर्जन के आरोप लगाए थे।

स्पष्ट है कि यह मामला समूह-स्तरीय कॉर्पोरेट वित्तीय हेराफेरी की बड़ी योजना का हिस्सा हो सकता है।

10 वर्षों की पूरी टाइमलाइन — 2015 से 2025 तक

वर्ष प्रमुख घटनाएँ

2015 RHFL को कई बैंकों से भारी लोन स्वीकृत

2016-17 NBFC विस्तार और विकास का दावा

2018 समूह की वित्तीय स्थिति पर सवाल, रेटिंग एजेंसियों ने चेताया

2019 खाता NPA घोषित, फोरेंसिक ऑडिट शुरू

2020-21 ऑडिट में फंड डायवर्जन और शेल कंपनियाँ उजागर

2022 ED ने मनी-लॉन्ड्रिंग जांच शुरू की

2023 बैंकिंग नियमों में सख्ती

2024 खाता Fraud घोषित, UBI ने CBI को शिकायत दी

09 दिसंबर 2025 CBI FIR, छापेमारी और दस्तावेज़ जब्ती

CBI की अगली कार्रवाई — पूछताछ, गिरफ्तारी और चार्जशीट की तैयारी

जय अनमोल अंबानी और अन्य आरोपियों को नोटिस भेजने की तैयारी

संभावित गिरफ्तारी की दिशा में कदम

फंड-ट्रेल और shell firms की गहन जांच

बैंक रिकवरी और संपत्ति जब्ती की गति तेज हो सकती है

विशेषज्ञों की राय

वित्तीय कानून विशेषज्ञ का मत:

“यह मामला भारत में कॉर्पोरेट गवर्नेंस और बैंकिंग जवाबदेही का ऐतिहासिक मोड़ बन सकता है।”

प्रमुख अर्थशास्त्री का बयान:

“यह सिर्फ एक कंपनी का संकट नहीं, बल्कि सार्वजनिक धन और बैंकिंग सुरक्षा का सवाल है।”

अहम संकेत

यह जय अनमोल अंबानी के खिलाफ दर्ज पहली आपराधिक FIR है, जो स्पष्ट करता है कि—

कानून अब नाम नहीं, बल्कि अपराध देखकर चलता है।

यह केस भारतीय बैंकिंग प्रणाली में

पारदर्शिता, जवाबदेही और वित्तीय अनुशासन का नया अध्याय लिख सकता है।

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