छत्तीसगढ़ : MHA के नक्सल अभियान को ऐतिहासिक सफलता — एक करोड़ का इनामी कुख्यात नक्सली रामधेर मज्जी ग्रुप सहित आत्मसमर्पण

रिपोर्ट : विजय तिवारी
गृह मंत्रालय (MHA) की समन्वित रणनीति और लगातार दबाव के बाद नक्सल मोर्चे पर सुरक्षा बलों को बड़ी उपलब्धि मिली है। लंबे समय से वांछित और 1 करोड़ रुपये का इनामी कुख्यात शीर्ष माओवादी नेता रामधेर मज्जी ने अपने 12 साथी नक्सलियों, जिनमें 6 महिला नक्सली भी शामिल, के साथ आत्मसमर्पण कर दिया।
मज्जी को CPI (माओवादी) के शीर्ष नेतृत्व स्तर का प्रभावशाली चेहरा माना जाता था। वह संगठन की CCM कैडर श्रेणी में शामिल था और लगभग 40 वर्षों से नक्सली गतिविधियों में सक्रिय था। सुरक्षा एजेंसियों का कहना है कि मज्जी कई बड़े हमलों, सुरक्षा बलों पर घात लगाने की घटनाओं और अस्थिर क्षेत्रों में हिंसा की रणनीति तैयार करने में मुख्य भूमिका निभाता रहा है।
सरेंडर कार्यक्रम के दौरान नक्सलियों ने AK-47, INSAS, SLR, पिस्टल, राइफल और भारी मात्रा में गोलाबारूद सहित कई अत्याधुनिक हथियार भी सौंपे — जो यह संकेत देता है कि समूह संगठन के कोर युद्ध सेल का हिस्सा था।
संगठन के लिए करारा झटका — नेटवर्क बिखरने की कगार पर
सुरक्षा विश्लेषकों का मानना है कि मज्जी का आत्मसमर्पण नक्सली नेटवर्क के लिए बेहद बड़ा धक्का है।
चूँकि वह MMC (महाराष्ट्र—मध्य प्रदेश—छत्तीसगढ़) ज़ोन में नेतृत्व की अग्रिम कतार में था, इसलिए यह घटना माओवादी गतिविधियों की रीढ़ कहे जाने वाले इस क्षेत्र में अस्थिरता को और बढ़ा देगी।
विशेषज्ञों के मुताबिक -
कमांड स्ट्रक्चर अब लगभग ढह चुका है।
नई भर्ती और सप्लाई चैन पर गहरा असर -
फील्ड ऑपरेशन्स की क्षमता में भारी कमजोरी
जंगलों में सक्रियता के लिए संसाधन सीमित
हिडमा के समकक्ष प्रभाव वाला चेहरा
हालाँकि घटनाओं की क्रूरता और बस्तर में पकड़ के कारण हिडमा का नाम अभी भी सबसे भयावह माना जाता है, लेकिन संगठनात्मक रैंक और नेतृत्व क्षमता के आधार पर सुरक्षा अधिकारियों ने रामधेर मज्जी को शीर्ष स्तर के प्रभाव वाले नेताओं की बराबरी में रखा है।
इस दृष्टि से इसे नक्सल आंदोलन की दिशा बदल देने वाली निर्णायक सफलता समझा जा रहा है।
आत्मसमर्पण की वजह — दबाव, घिरे होने का डर और अंदरूनी टूट
सूत्रों का कहना है कि -
सुरक्षा बलों के द्वारा लगातार घेराबंदी और संयुक्त अभियान
ठिकानों पर फ़ोर्स की बढ़ती पकड़
हथियारों, दवाइयों और आर्थिक संसाधनों की भारी कमी
टीम में असंतोष और आपसी अविश्वास
इन कारणों से मज्जी और उसका समूह भागने की जगह सरेंडर करने को मजबूर हुए।
क्षेत्र में शांति और विकास की दिशा में बड़ा कदम
इस घटना को राज्य और केंद्रीय नेतृत्व दोनो स्तरों पर शांति प्रक्रिया और विकास मिशन की जीत माना जा रहा है।
आने वाले समय में -
सड़क, स्वास्थ्य, शिक्षा और उद्योग परियोजनाओं को गति
विस्थापित परिवारों की वापसी और पुनर्वास कार्यक्रमों को बढ़ावा
युवाओं के लिए रोजगार कार्यक्रम मुख्य फोकस होंगे
सुरक्षा एजेंसियों का अनुमान है कि अब इस संवेदनशील ज़ोन में करीब 150 से भी कम हथियारबंद सक्रिय नक्सली ही बचे हैं, जिससे यह संकेत मिलता है कि नक्सलवाद के अंत की दिशा स्पष्ट रूप से दिखाई देने लगी है।
नक्सल मोर्चे पर वर्ष 2025 — निर्णायक मोड़
यह ऑपरेशन गृह मंत्रालय की संकल्प-शक्ति, इंटेलिजेंस-समन्वय और आधुनिक टैक्टिक्स के सफल परिणाम का बड़ा उदाहरण माना जा रहा है—जो आने वाले अभियानों को और मजबूत दिशा देगा।




