श्रीनगर के नौगाम पुलिस स्टेशन में भीषण धमाका, 300 फीट दूर तक मिले मानव अंग — फरिदाबाद से लाई गई जब्त विस्फोटकों की जांच के दौरान हादसा

डेस्क रिपोर्ट : विजय तिवारी
श्रीनगर के दक्षिणी हिस्से में स्थित नौगाम पुलिस स्टेशन में शुक्रवार देर रात एक ऐसा भयानक धमाका हुआ कि पूरे इलाके में दहशत फैल गई। आधी रात के करीब हुए इस विस्फोट ने पुलिस परिसर का बड़ा हिस्सा मलबे में बदल दिया और आसपास के कई घरों की खिड़कियां भी टूट गईं। यह धमाका इतना तीव्र था कि मानव अंग लगभग 300 फीट की दूरी तक बिखरे पाए गए।
धमाका कैसे हुआ — प्रारंभिक सुराग
अधिकारियों के अनुसार, धमाका उस समय हुआ जब पुलिस और फॉरेंसिक टीम के सदस्य जप्त की गई विस्फोटक सामग्री की जांच कर रहे थे। यह वही विस्फोटक थे जो हाल ही में हरियाणा के फरीदाबाद से एक आतंकी मॉड्यूल के खिलाफ जारी जांच के दौरान बरामद किए गए थे।
इन विस्फोटकों में अमोनियम नाइट्रेट और अन्य उच्च क्षमता वाले केमिकल शामिल थे, जिन्हें सुरक्षित रूप से हैंडल करना बेहद चुनौतीपूर्ण होता है।
सीसीटीवी फुटेज में दिखा धमाके का क्षण
धमाके के कुछ ही घंटों बाद सामने आए सीसीटीवी वीडियो ने पूरी घटना की भयावहता को और साफ कर दिया। फुटेज में दिखा कि जांच कक्ष में मौजूद टीम विस्फोटक का निरीक्षण कर रही थी, तभी एक अचानक तेज चमक हुई और कुछ सेकंड में पूरा कमरा धुएँ और मलबे से भर गया। अधिकारियों के मुताबिक, यह धमाका एक “व्हाइट कॉलर मॉड्यूल” में जब्त किए गए विस्फोटकों से जुड़ा था, जिसमें शिक्षित और पेशेवर पृष्ठभूमि वाले लोग शामिल थे।
मौके पर तबाही का मंजर
धमाके के बाद पुलिस स्टेशन का बड़ा हिस्सा ध्वस्त मिल गया।
दीवारें और छतें ढह गईं,
वाहनों को भारी नुकसान हुआ,
कई पुलिसकर्मी और फॉरेंसिक स्टाफ मलबे में दब गए।
राहत टीमों ने काफी मशक्कत के बाद घायलों को बाहर निकाला। कई घायलों की हालत गंभीर बनी हुई है। प्रारंभिक रिपोर्टों में 9 लोगों की मौत और 30 से अधिक घायल होने की पुष्टि की गई है, हालांकि संख्या बढ़ने की आशंका बनी हुई है।
धमाके की तीव्रता का अंदाज़ा
राहत कर्मियों ने बताया कि धमाके की तीव्रता इतनी अधिक थी कि शरीर के अंग 300 फीट से भी ज्यादा दूरी पर बिखरे मिले। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि विस्फोटक सामग्री का स्तर बहुत ऊँचा था और उसमें मौके पर अत्यधिक संवेदनशीलता थी।
क्या यह दुर्घटना थी या किसी नेटवर्क का हिस्सा?
अधिकारियों का कहना है कि यह घटना फिलहाल दुर्घटना प्रतीत होती है, क्योंकि विस्फोटक की जांच के दौरान हैंडलिंग में कुछ गड़बड़ी हुई होगी।
हालाँकि, जांच एजेंसियों ने इसे हल्के में नहीं लिया है और यह भी देखा जा रहा है कि—
क्या विस्फोटक सामग्री के भीतर कोई ऐसा मेकनिज्म था जो हलचल से सक्रिय हो सकता हो?
क्या जब्त सामग्री में छिपे रासायनिक ट्रिगर की वजह से यह विस्फोट हुआ?
क्या यह नेटवर्क जानबूझकर खतरनाक स्तर का विस्फोटक तैयार कर रहा था?
इन पहलुओं की जाँच को विशेष टीमें लगा दी गई हैं।
फरीदाबाद आतंकी मॉड्यूल का लिंक
जिन विस्फोटकों की जांच की जा रही थी, वे हाल ही में हरियाणा के फरीदाबाद में पकड़े गए एक आतंकी नेटवर्क से जुड़े बताए जा रहे हैं। इस नेटवर्क का तार बड़ी आतंकी फंडिंग और हाई-टेक मैटेरियल तैयार करने में माहिर गिरोह से जुड़ता बताया गया था।
इस घटना के बाद अब जांच और गहरी हो गई है कि क्या यह वही नेटवर्क था जिसके बारे में एजेंसियों को अलर्ट मिला था।
सुरक्षा प्रक्रियाओं पर उठे गंभीर सवाल
इस विस्फोट ने पुलिस स्टेशनों में विस्फोटकों के सुरक्षित भंडारण और हैंडलिंग पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं—
क्या SOP का पालन किया गया था?
क्या फॉरेंसिक निरीक्षण के दौरान पर्याप्त सुरक्षा दूरी और प्रोटेक्टिव बैरियर्स लगाए गए थे?
क्या पुलिस स्टेशन जैसे भीड़भाड़ वाले परिसर में भारी क्षमता वाले विस्फोटक की जांच सही स्थान पर हो रही थी?
इस मामले में उच्चस्तरीय जांच समिति बनाई गई है, जो पूरी प्रक्रिया की समीक्षा करेगी।
इलाके में दहशत और हाई अलर्ट
धमाके के बाद नौगाम इलाके में सुरक्षा बढ़ा दी गई है। आसपास के क्षेत्रों में पुलिस पेट्रोलिंग तेज की गई है। स्थानीय निवासियों में बड़ा डर देखने को मिला, क्योंकि विस्फोट की आवाज कई किलोमीटर दूर तक सुनाई दी थी।




