वडोदरा : डिजिटल अरेस्ट ठगी से किसान की आत्महत्या - कंबोडिया कनेक्शन वाला अंतरराष्ट्रीय सिम सप्लाई रैकेट पकड़ा गया।

रिपोर्ट : विजय तिवारी
सूरत के दो चचेरे भाई गिरफ्तार, 438 सिम कार्ड बरामद — साइबर ठगों को सप्लाई, करोड़ों की ठगी उजागर
वडोदरा / सूरत। गुजरात में ऑनलाइन साइबर क्राइम के तेजी से फैलते जाल के बीच पुलिस ने एक संगठित नेटवर्क का खुलासा किया है। वडोदरा जिले के डभोई तालुका के कायावरोहन गांव के 58 वर्षीय किसान अतुल हीराभाई पटेल की ‘डिजिटल अरेस्ट’ जैसी धमकी के बाद हुई आत्महत्या की जांच में पुलिस को सूरत में सक्रिय सिम सप्लाई रैकेट का सुराग मिला, जिसके बाद दो चचेरे भाइयों को गिरफ्तार किया गया। पुलिस के अनुसार यह नेटवर्क कंबोडिया में बैठे साइबर ठगों को बड़ी मात्रा में सिम कार्ड सप्लाई कर रहा था, और इन्हीं में से एक नंबर से किसान को धमकाया गया था।
ATS अधिकारी बनकर ठगों की धमकी, मानसिक दबाव से किसान ने जान दी
सूत्रों के अनुसार, किसान अतुल पटेल को फोन कर एक व्यक्ति ने खुद को दिल्ली ATS के इंस्पेक्टर गौरव ग्रोवर के रूप में परिचित कराया। कॉलर ने किसान पर 40 करोड़ रुपये के ड्रग्स और मनी लॉन्ड्रिंग मामले में शामिल होने के आरोप लगाते हुए कहा कि उनके खिलाफ गंभीर आपराधिक केस दर्ज है और उन्हें जल्द ही गिरफ्तार किया जाएगा।
ठग ने किसान को वीडियो कॉल पर 24 घंटे रखने का दबाव बनाया, कहा कि उन्हें “डिजिटल अरेस्ट” में लिया जा रहा है और घर से बाहर निकलने या किसी से बात करने की अनुमति नहीं है।
लगातार मानसिक तनाव और डर में किसान ने अगले ही दिन जहरीला पदार्थ खाकर आत्महत्या कर ली। परिजनों के अनुसार, किसान पूरी रात दहशत में रहे और किसी को सच्चाई बताने की हिम्मत नहीं जुटा सके।
पुलिस ने किसान के मोबाइल की फॉरेंसिक जांच के आधार पर आगे की कार्रवाई शुरू की।
फोन ट्रेसिंग से खुला राज — सूरत से खरीदा गया सिम, कॉल कंबोडिया से
तकनीकी जांच में सामने आया कि :
धमकी देने वाला नंबर कंबोडिया में सक्रिय था।
जबकि सिम कार्ड सूरत में खरीदा गया था।
दूसरा नंबर बेंगलुरु में ₹50 लाख की ठगी में इस्तेमाल हो चुका था।
इस सुराग के आधार पर वडोदरा ग्रामीण पुलिस ने सूरत में दबिश दी और दो चचेरे भाइयों को पकड़ा :
निकुंज परेश पानसुरिया (29)
हेनिल भावेश पानसुरिया (20)
538 सिम खरीदे गए, 438 विदेशों में साइबर गिरोहों को भेजे
पुलिस की पूछताछ में पता चला कि दोनों आरोपियों ने :
538 सिम कार्ड ब्लैक मार्केट से खरीदे
जिनमें से 438 सिम कार्ड विदेशों और विभिन्न राज्यों में साइबर ठगों को सप्लाई किए।
₹1,100–₹1,500 प्रति सिम की दर पर बेचते थे
सिम्स व्हाट्सऐप वेरिफिकेशन, फर्जी KYC, ऑनलाइन बेटिंग, UPI फ्रॉड और वीडियो कॉल ठगी में उपयोग होते थे
पुलिस द्वारा बरामद सामग्री
वस्तु संख्या
सिम कार्ड 438
मोबाइल फोन 14
फर्जी दस्तावेज बड़ी मात्रा
बैंक खाते व डिजिटल डेटा महत्वपूर्ण
पूरी सप्लाई चेन उजागर — सूरत से कंबोडिया तक नेटवर्क
जांच में खुलासा हुआ कि निकुंज पानसुरिया का संपर्क चिंतन नागरभाई मांडलिया से था, जो ऑनलाइन गेमिंग और अवैध डिजिटल ऑपरेशंस के लिए सिम कार्ड जुटाता था।
चिंतन के माध्यम से ये सिम कार्ड कंबोडिया, दुबई और बांग्लादेश में बैठी साइबर ठग टीमों तक पहुंचते थे, जो सरकारी अधिकारी बनकर लोगों को ठगते थे।
एसपी सुशील अग्रवाल ने कहा—
“यह सिर्फ दो युवकों का मामला नहीं, बल्कि इंटरनेशनल सिम सप्लाई नेटवर्क है। मुख्य मास्टरमाइंड कंबोडिया में है, जिसके लिए लुकआउट सर्कुलर जारी किया गया है।”
3.50 करोड़ रुपये की ठगी का संदेह
बैंक ट्रांसफर व डिजिटल वॉलेट की प्रारंभिक जांच में :
3.50 करोड़ से अधिक की ठगी का अनुमान
कई लेन-देन क्रिप्टोकरेंसी के माध्यम से
अन्य राज्यों में भी नेटवर्क सक्रिय होने की संभावना
दोनों आरोपियों को अदालत में पेश किया गया और रिमांड पर लेकर पूछताछ जारी है, ताकि :
भुगतान चेन
विदेश बैठे साथियों की पहचान
ठगी के मामलों की सटीक संख्या
का पता लगाया जा सके।
‘डिजिटल अरेस्ट’ कैसे होता है?
साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ बताते हैं कि डिजिटल अरेस्ट ठगी में :
ठग खुद को CBI/ATS/पुलिस अधिकारी बताते हैं।
पीड़ित को गंभीर अपराध में आरोपी बताते हैं।
कहते हैं — “आप निगरानी में हैं, वीडियो कॉल पर रहें”
घंटों तक मनोवैज्ञानिक दबाव बनाते हैं।
बैंक खाते या UPI से रकम ट्रांसफर करवाते हैं।
पीड़ित परिवार से संपर्क नहीं कर पाता और मानसिक रूप से टूट जाता है
पुलिस की अपील – जागरूक रहें
🔹 पुलिस कभी फोन पर गिरफ्तारी नहीं करती
🔹 OTP, बैंक डिटेल या UPI भेजने को कहना ठगी का संकेत है
🔹 अपने नाम की सिम किसी के कहने पर न दें
🔹 साइबर हेल्पलाइन 1930 पर तुरंत शिकायत करें
समाज के लिए संदेश
अपराध को सपोर्ट करना भी अपराध है।
गलत रास्ता एक पल में लिया निर्णय, पूरी जिंदगी बर्बाद कर सकता है।
जागरूक रहें, सुरक्षित रहें।
आगे की कार्रवाई
इंटरनेशनल गिरफ्तारियों की तैयारी
विदेशी एजेंसियों से सहयोग
नेटवर्क के बाकी चेहरों की पहचान
कई राज्यों में सर्च ऑपरेशन




