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बिहार

पहले नहीं देखा कोरोना जैसा दहशत का माहौल, अबूझ बीमारी का खौफ

पहले नहीं देखा कोरोना जैसा दहशत का माहौल, अबूझ बीमारी का खौफ
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लखीसराय। बड़हिया प्रखंड के जैतपुर निवासी पूर्व शारीरिक शिक्षक नरेश प्रसाद शर्मा बताते हैं कि हैजा, प्लेग, वर्ड फ्लू आदि कई रूप में लोगों के बीच महामारी पहले भी आती रही है और लोग उससे निपटते रहे हैं। कोरोना जैसा दहशत का माहौल पहले कभी नहीं देखा। इस अबूझ बीमारी से हर तरफ खौफ है। अपने जीवन में इस तरह की भयंकर बीमारी कभी नहीं देखी थी। इससे पूरा विश्व परेशान है। इसके चेन को तोड़ना हम सभी के लिए चुनौती है। यह तभी संभव है जब हम अपने घरों में रहें। 50-60 वर्ष पूर्व हैजा महामारी का रूप ले लिया था। उस समय लोगों ने उसका चेन तोड़ने के लिए बीमारी से बचे लोगों को अपने गांव से दूसरे गांव जहां बीमारी का प्रकोप नहीं था वहां भेज देते थे। जो लोग बीमार होते थे, उन्हें घरेलू तथा डॉक्टरी उपचार से ठीक किया जाता था। हालांकि उस दौरान कई लोगों की जानें भी गई थी लेकिन गांव के लोग इतने सजग थे कि महामारी को बड़ा रूप लेने नहीं दिया था। हैजा महामारी में भी देखते ही देखते लोगों की जान चली जाती थी। कोरोना महामारी का रूप लेकर अब गांव की तरफ रुख कर चुका है। लोगों को चाहिए कि गांव में कोरोना संक्रमण नहीं फैले इसके लिए पूरे सूझबूझ से काम करें। कोरोना सबके लिए चुनौती है। हमें घरेलू नुस्खे का उपयोग करना चाहिए। उन्होंने बताया कि की हम 82 वर्ष के हैं उसके बावजूद नित्य दिन एक घंटा व्यायाम, गरम पानी का सेवन, दूध में हल्दी डालकर उसका सेवन तथा लहसुन का प्रयोग करते रहते हैं। पहले सर्दी-जुकाम होने पर लोग गर्म दूध में हल्दी डालकर सेवन करते थे तो ठीक हो जाते थे। आज छोटी-छोटी सी बात पर लोगों को अंग्रेजी दवा खाने की आदत हो गई है। शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता घटने के कारण कोरोना प्रहार कर रहा है। हम सतर्क रहकर कोरोना को मात दे सकते हैं। घर में रहकर शुद्ध भोजन करना, सुबह में व्यायाम करना, सामाजिक दूरी बनाकर दैनिक कार्य को निपटाना है तभी इस जानलेवा वायरस से बच सकते हैं।

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