बिहार चुनाव 2025 : एनडीए, राजद और प्रशांत किशोर की नई ताक़त में त्रिकोणीय मुकाबला, कोई भी दल नहीं दिख रहा स्पष्ट बहुमत में, वोट बँटवारा और स्थानीय समीकरण तय करेंगे नतीजा

पटना, अक्टूबर 2025
बिहार विधानसभा चुनाव इस बार बेहद रोमांचक होने जा रहा है। ताज़ा जनमत सर्वेक्षणों और ज़मीनी रिपोर्टों के अनुसार, सत्ता पक्ष एनडीए, विपक्षी महागठबंधन (राजद-कांग्रेस) और नई उभरती ताक़त प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी – तीनों ही मैदान में पूरी ताक़त झोंक चुके हैं। नतीजा किसके पक्ष में जाएगा, यह कहना अभी मुश्किल है।
🔹 मुख्य दावेदार
1. एनडीए (भाजपा + जद(यू) व सहयोगी दल)
एनडीए इस चुनाव में “विकास की निरंतरता” के नारे के साथ उतर रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जोड़ी बार-बार जनता से स्थिर सरकार देने की अपील कर रही है। संगठनात्मक मज़बूती, बूथ स्तर की पकड़ और केंद्र की योजनाओं पर भरोसा इसके मुख्य हथियार हैं।
फिर भी, कुछ इलाक़ों में विरोध-भावना (Anti-incumbency) और स्थानीय असंतोष चुनौतियाँ पेश कर रहे हैं।
2. महागठबंधन (राजद-कांग्रेस व अन्य सहयोगी)
तेजस्वी यादव के नेतृत्व में विपक्ष इस बार युवाओं, बेरोज़गारी और सामाजिक न्याय को मुख्य मुद्दा बना रहा है। कई सर्वेक्षणों में तेजस्वी को “पसंदीदा मुख्यमंत्री” के रूप में एनडीए नेताओं से आगे दिखाया गया है।
महागठबंधन की असली चुनौती सीट बँटवारे और स्थानीय उम्मीदवारों की चयन प्रक्रिया में है।
3. जन सुराज पार्टी (प्रशांत किशोर)
चुनाव रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर ने अपनी पार्टी जन सुराज के साथ मैदान में उतरकर तीसरा विकल्प पेश किया है। वे खुद को “नीति और नैतिक राजनीति” के प्रतीक के रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं।
हालाँकि उनकी पार्टी का संगठन अभी शुरुआती दौर में है, लेकिन उनका वोट प्रतिशत कई सीटों पर पारंपरिक समीकरण बिगाड़ सकता है। यही उन्हें संभावित “किंगमेकर” बना सकता है।
🔸 सर्वेक्षण क्या कहते हैं?
हाल के सर्वेक्षणों से संकेत मिलता है कि बिहार में कोई भी गठबंधन अकेले बहुमत की सीमा को पार करने की स्थिति में नहीं है। अनुमानित सीट दायरे इस प्रकार हैं:
गठबंधन / पार्टी संभावित सीटें (अनुमान) प्रमुख ताक़त
एनडीए (भाजपा+जदयू) 120–170 मोदी-नीतीश गठजोड़, संगठन
महागठबंधन (राजद-कांग्रेस) 100–160 तेजस्वी की लोकप्रियता, युवा समर्थन
जन सुराज / प्रशांत किशोर 5–30 वोट-कटवा या किंगमेकर की भूमिका
(नोट: यह अनुमान सार्वजनिक सर्वेक्षणों और मीडिया रिपोर्टों पर आधारित है, न कि आधिकारिक नतीजों पर।)
🔹 निर्णायक सीटें और मत-विभाजन
विशेषज्ञों का मानना है कि इस बार का चुनाव “माइक्रो-लेवल” यानी सीट-दर-सीट लड़ा जाएगा। सीमांचल, मगध और तिरहुत क्षेत्र की लगभग 40–50 सीटें बेहद निर्णायक मानी जा रही हैं।
इन इलाक़ों में 2–3% वोट का झुकाव किसी भी पक्ष को स्पष्ट बढ़त दिला सकता है।
🔸 ज़मीनी आवाज़ें
“लोग बदलाव चाहते हैं, पर स्थिरता भी चाहते हैं — यही असमंजस सबसे बड़ा फैक्टर बनेगा,” — एक स्थानीय कार्यकर्ता, मुज़फ्फरपुर।
“प्रशांत किशोर ने नए विकल्प की उम्मीद जगाई है, पर ज़मीनी नेटवर्क अभी सीमित है,” — एक राजनीतिक विश्लेषक, पटना।
🔹 आगे की तस्वीर
चुनाव विशेषज्ञों के अनुसार, अगले कुछ हफ़्तों में अभियान की दिशा, गठबंधनों की घोषणाएँ और अंतिम उम्मीदवार सूची नतीजों की दिशा तय करेगी।
अगर जन सुराज पार्टी को 5-10% वोट भी मिलते हैं, तो वह पारंपरिक वोट-बैंकों में सेंध लगा सकती है और “हंग असेंबली” की संभावना बढ़ा सकती है।
🧾 संदर्भ और आधार
स्रोत: सी-वोटर, लोकनीति-सीएसडीएस, टाइम्स ऑफ इंडिया, एनडीटीवी, मनीकंट्रोल आदि के सार्वजनिक सर्वेक्षण व रिपोर्टें
विश्लेषण अवधि: 1 से 7 अक्टूबर 2025
विधि: विभिन्न जनमत सर्वेक्षणों, मीडिया रिपोर्टों और सोशल-मीडिया ट्रेंड्स का संकलन
अस्वीकरण: यह रिपोर्ट केवल सार्वजनिक डेटा पर आधारित विश्लेषण है, कोई आधिकारिक परिणाम या चुनाव आयोग का अनुमान नहीं।