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बिहार

जब-जब बिहार में मतदान बढ़ा, नीतीश कुमार की सत्ता में वापसी हुई।

जब-जब बिहार में मतदान बढ़ा, नीतीश कुमार की सत्ता में वापसी हुई।
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बिहार की सत्ता नीतीश कुमार के इर्द-गिर्द 20 सालों से सिमटी है. 2005 में नीतीश कुमार पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री बनी थे, उसके बाद से चार विधानसभा चुनाव हो चुके हैं, वोटिंग पैटर्न बता रहा है कि जब-जब वोटिंग बढ़ी है तो नीतीश कुमार की सरकार सत्ता में लौटी है

इसका कारण यह माना जाता है कि उच्च मतदान का मतलब ग्रामीण और महिला मतदाताओं की अधिक भागीदारी होती है, जो अक्सर नीतीश कुमार के विकास और सामाजिक योजनाओं के पक्ष में जाती है (जैसे - साइकिल योजना, महिला आरक्षण, स्कॉलरशिप आदि)।

बिहार की सत्ता और नीतीश कुमार (2005–2025)

2005: पहली बार नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने। लालू प्रसाद यादव के लंबे शासन के बाद जनता ने बदलाव का फैसला लिया। उस चुनाव में मतदाता उत्साह से निकले थे — वोटिंग प्रतिशत में इज़ाफा हुआ और एनडीए को स्पष्ट बहुमत मिला।

2010: इस बार वोटिंग और भी ज़्यादा हुई। नीतीश सरकार के "सुशासन" और विकास के नारों ने असर दिखाया। उन्हें भारी बहुमत मिला।

2015: इस चुनाव में महागठबंधन (जेडीयू + आरजेडी + कांग्रेस) के साथ आने से वोटिंग फिर बढ़ी, और नीतीश कुमार ने सत्ता बरकरार रखी, हालांकि आरजेडी सबसे बड़ी पार्टी बनी।

2020: इस बार वोटिंग में गिरावट आई, और जेडीयू की सीटें घटीं, लेकिन भाजपा के सहयोग से नीतीश फिर मुख्यमंत्री बने।

जब भी मतदान प्रतिशत बढ़ा (2005 अक्टूबर, 2010, 2015, 2020) — नीतीश कुमार ने सत्ता में वापसी की।

केवल फरवरी 2005 में मतदान कम था और नतीजा हंग असेंबली रहा।

यानी बढ़ता मतदान → नीतीश की जीत या वापसी का ट्रेंड साफ दिखता है।


2005 से 2020 तक बिहार विधानसभा चुनावों का सारांश, जिसमें वोटिंग प्रतिशत और नीतीश कुमार की स्थिति (सत्ता में रहे या नहीं) स्पष्ट रूप से दिखाया गया है

फरवरी 2005 विधानसभा चुनाव (पहला) 46.5% सरकार नहीं बन पाई (हंग असेंबली) जेडीयू–भाजपा गठबंधन, पर बहुमत नहीं

अक्टूबर 2005 विधानसभा चुनाव (दूसरा) 52.6% मुख्यमंत्री बने एनडीए (जेडीयू + भाजपा) को बहुमत

2010 विधानसभा चुनाव 52.7% सत्ता में लौटे एनडीए को भारी जीत (जेडीयू-भाजपा)

2015 विधानसभा चुनाव 56.8% फिर मुख्यमंत्री बने महागठबंधन (जेडीयू + आरजेडी + कांग्रेस)

2020 विधानसभा चुनाव 57.1% फिर मुख्यमंत्री बने एनडीए (जेडीयू + भाजपा), पर जेडीयू कमजोर

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