राहुल गांधी का बिहार दौरा : जनसभाओं, संवाद और बदलाव के संदेश के साथ चुनावी अभियान तेज

डेस्क रिपोर्ट : विजय तिवारी
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के मद्देनज़र कांग्रेस नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने अपने चुनावी अभियान को पूरी गति दे दी है। राज्यभर में उनकी रैलियों, रोड शो और जनसंवाद कार्यक्रमों की श्रृंखला ने माहौल में हलचल पैदा कर दी है। राहुल गांधी का यह दौरा न केवल कांग्रेस के पुनरुत्थान की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है, बल्कि सामाजिक न्याय, रोजगार और स्थानीय मुद्दों पर केंद्रित नया जनसंदेश भी लेकर आया है।
राहुल गांधी ने मुजफ्फरपुर जिले के सकरा विधानसभा क्षेत्र से अपने बिहार प्रचार अभियान की शुरुआत की, जहां विशाल जनसभा में हजारों की भीड़ उमड़ी। उन्होंने मंच से कहा — “यह चुनाव बिहार के भविष्य, युवाओं के रोजगार और गरीबों के सम्मान की लड़ाई है।”
कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक, राहुल गांधी आगामी दिनों में राज्य के 22 जिलों में लगभग 11 प्रमुख जनसभाएं और 4 रोड शो करेंगे।
मुजफ्फरपुर, दरभंगा, गया, बेगूसराय, समस्तीपुर, पटना और नालंदा जैसे जिलों में बड़ी रैलियां प्रस्तावित हैं।
पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा भी इस अभियान में शामिल होंगी और 6 जनसभाओं को संबोधित करेंगी, जबकि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे 3 प्रमुख रैलियों में भाग लेंगे।
कांग्रेस का यह प्रचार अभियान अगले 10 दिनों में 1300 किलोमीटर की यात्रा के रूप में पूरा किया जाएगा।
राहुल गांधी ने अपने हर भाषण में युवाओं, किसानों, मछुआरों और छोटे व्यापारियों के मुद्दों को केंद्र में रखा।
रोजगार पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि बिहार के युवाओं को अब दिल्ली या मुंबई की फैक्ट्रियों में नौकरी खोजने नहीं जाना होगा — “हम बिहार में उद्योग लगाएंगे, रोजगार यहीं देंगे।”
उन्होंने मछुआरा समुदाय से भी सीधा संवाद किया। बेगूसराय में स्थानीय मछुआरों से मुलाकात के दौरान राहुल गांधी ने उनके संघर्षों को सुना और कहा कि कांग्रेस सरकार बनने पर मछुआरों को “आर्थिक सुरक्षा और सब्सिडी योजना” के तहत सहयोग दिया जाएगा।
उन्होंने महिलाओं के सशक्तिकरण को लेकर भी वादा किया कि राज्य में महिला स्वयं सहायता समूहों को सीधी सरकारी सहायता दी जाएगी और स्थानीय रोजगार योजनाओं से जोड़ा जाएगा।
राहुल गांधी ने हर जनसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार पर तीखा प्रहार किया।
उन्होंने कहा, “मोदी जी सिर्फ बड़े उद्योगपतियों के लिए काम करते हैं, जबकि बिहार का किसान, मजदूर और नौजवान बेरोजगारी और महंगाई से त्रस्त है।”
उन्होंने तंज कसते हुए कहा, “अगर आप मोदी जी से कहें तो वे मंच पर नाच भी देंगे, लेकिन जनता की बात सुनेंगे नहीं।"
राहुल गांधी ने “वोट चोरी” जैसे शब्दों का प्रयोग करते हुए कहा कि अब बिहार की जनता “लोकतंत्र बचाने की लड़ाई” लड़ रही है। उन्होंने कहा कि अबकी बार जनता खुद चुनाव की दिशा तय करेगी — “अब वोट का अधिकार किसी के कब्जे में नहीं रहेगा।”
राहुल गांधी का यह दौरा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह क्षेत्र नालंदा और राजगीर तक भी पहुंचा। यह राहुल गांधी का पिछले पाँच महीनों में बिहार का पाँचवां दौरा है।
राजगीर की रैली में उन्होंने कहा — “बिहार के लोग समझ चुके हैं कि झूठे वादों से पेट नहीं भरता, अब बदलाव निश्चित है।”
भीड़ की भारी मौजूदगी ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं में जोश भर दिया और राज्य की राजनीति में नई सरगर्मी पैदा कर दी।
यह पूरा अभियान महागठबंधन की साझा रणनीति का हिस्सा है, जिसमें कांग्रेस, राजद और अन्य सहयोगी दल साथ मिलकर मैदान में हैं। राहुल गांधी ने कहा कि “यह गठबंधन गरीबों की आवाज है, और बिहार इस बार अन्याय को हराकर नया इतिहास लिखेगा।”
पार्टी की रणनीति है कि राहुल गांधी के भाषणों को सोशल मीडिया के माध्यम से अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाया जाए। कांग्रेस ने इसके लिए विशेष डिजिटल टीम बनाई है जो हर रैली की मुख्य बातें तुरंत प्रसारित कर रही है।
राहुल गांधी की सभाओं में भारी भीड़ और स्थानीय समर्थन देखकर राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि इस बार कांग्रेस का प्रदर्शन पिछली बार की तुलना में मजबूत हो सकता है। युवाओं और महिलाओं में उनके भाषणों को लेकर सकारात्मक प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है।
राजनीतिक विशेषज्ञों के मुताबिक, राहुल गांधी की यह यात्रा न केवल प्रचार का हिस्सा है बल्कि यह “संपर्क से समर्थन” की रणनीति पर आधारित है — यानी सीधा संवाद और जनविश्वास निर्माण।
राहुल गांधी का बिहार दौरा कांग्रेस की नई राजनीतिक दिशा और संगठनात्मक मजबूती की झलक दिखाता है। उनकी रैलियां और जनसंवाद कार्यक्रम आम जनता की समस्याओं को केंद्र में रखकर नए संदेश दे रहे हैं।
अब देखना यह होगा कि यह जनलहर और संदेश वोट में कितना तब्दील होता है, क्योंकि आने वाले चरणों में बिहार का चुनावी संग्राम और भी रोचक होने वाला है।




