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आयी भयावह तबाही

आयी भयावह तबाही
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आयी भयावह तबाही।

टूटा बनकर जो कहर।।

डूबता गया जीवन।

करता गया खहर।।

बाढ़ और सुखाड़।

सदैव ही हमें डराती।।

छीन लेती खुशियां।

गमगीन कर जाती।।

त्रासदी व अनावृष्टि।

से विदित है संसार।।

हुई स्थिति बदतर।

बेबस और लाचार।।

प्रकृति करती आगाह।

छेड़छाड़ है अपनाया।।

संभलने ना देती।

शायद है चेताया।।

अभय सिंह ....

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