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गायिका पलक मुच्छल का मानवीय चमत्कार : संगीत की सुरमयी आवाज़ ने बचाईं 3,800 से अधिक धड़कनें, गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हुआ नाम

गायिका पलक मुच्छल का मानवीय चमत्कार : संगीत की सुरमयी आवाज़ ने बचाईं 3,800 से अधिक धड़कनें, गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हुआ नाम
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डेस्क रिपोर्ट : विजय तिवारी

मुंबई / इंदौर।

भारतीय संगीत जगत की प्रसिद्ध पार्श्वगायिका पलक मुच्छल ने अपने सुरों से न केवल लोगों के दिलों को छुआ, बल्कि हजारों बच्चों के दिलों में नई जान भी फूंकी है। अपनी मानवीय सेवा और करुणा की अद्भुत मिसाल पेश करते हुए पलक मुच्छल का नाम अब गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स और लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स दोनों में दर्ज हो गया है। उन्होंने अपने “पलक पलाश चैरिटेबल फाउंडेशन” के जरिए अब तक 3,800 से अधिक गरीब बच्चों की दिल की सर्जरी का खर्च उठाया है — एक ऐसा कार्य जो उन्हें सिर्फ गायिका नहीं, बल्कि जीवनदाता बना देता है।

संगीत से सेवा तक — पलक की प्रेरणादायक यात्रा

इंदौर (मध्य प्रदेश) में 30 मार्च 1992 को जन्मी पलक मुच्छल बचपन से ही संगीत के प्रति गहरी रुचि रखती थीं। उनके माता-पिता — राजकुमार मुच्छल (बैंक कर्मचारी) और अमृता मुच्छल (गृहिणी) — ने उनकी प्रतिभा को बचपन से ही प्रोत्साहित किया।

महज चार वर्ष की आयु में पलक ने संगीत सीखना शुरू किया और आठ वर्ष की उम्र तक वे स्थानीय आयोजनों में गाने लगीं।

लेकिन उनका जीवन उस दिन बदल गया, जब एक ट्रेन यात्रा के दौरान उन्होंने फटे कपड़ों में सर्दी से कांपते बच्चों को देखा। उसी पल उनके भीतर सेवा का संकल्प जन्मा। उन्होंने मन ही मन तय किया — “अगर ईश्वर ने मुझे आवाज़ दी है, तो इसका उपयोग दूसरों के लिए करूंगी।”

“पलक पलाश चैरिटेबल फाउंडेशन” का उदय

साल 2000 में पलक ने अपने छोटे भाई पलाश मुच्छल (जो खुद भी सिंगर और म्यूज़िक कंपोज़र हैं) के साथ मिलकर “पलक पलाश चैरिटेबल फाउंडेशन” की स्थापना की।

इस फाउंडेशन का लक्ष्य था — “किसी भी बच्चे की जान सिर्फ इसलिए न जाए कि उसके पास इलाज के पैसे नहीं हैं।”

अपने शुरुआती दौर में पलक ने इंदौर और आसपास के इलाकों में छोटे-छोटे संगीत कार्यक्रम आयोजित किए। धीरे-धीरे लोगों ने उनकी नेक नीयत को समझा, और दान की राशि बढ़ती गई। इसी से उन्होंने पहला हृदय-रोगी बच्चा का ऑपरेशन करवाया। इसके बाद यह सिलसिला थमा नहीं — अब तक 3,800 से अधिक ओपन हार्ट सर्जरी इस फाउंडेशन के सहयोग से हो चुकी हैं।

इन सर्जरियों के लिए धन जुटाने का माध्यम पलक के संगीत कार्यक्रम, एल्बम रिलीज़, व्यक्तिगत बचत और दानदाता संस्थाएँ हैं।

संगीत करियर और मानवीय पहचान का संगम

पलक मुच्छल का संगीत करियर भी प्रेरणादायक रहा है। उन्होंने बॉलीवुड को कई सुपरहिट गाने दिए, जैसे —

“मेरी आशिकी” (आशिकी 2),

“कौन तुझे” (एम.एस. धोनी),

“तेरा नाम जापूं” (बजरंगी भाईजान),

“प्रेम रतन धन पायो” (प्रेम रतन धन पायो),

“लबों पे आके”, “छोटा सा नाम है”, और कई अन्य गीत।

उनकी आवाज़ जितनी मधुर है, उनकी सोच उतनी ही करुणामयी है। वे कहती हैं —

> “मेरे लिए हर वो बच्चा, जो नई जिंदगी पाता है, वही मेरा सबसे बड़ा पुरस्कार है।”

मानवता के लिए उनके अन्य योगदान

पलक ने सिर्फ दिल के मरीजों की मदद ही नहीं की, बल्कि कई अन्य सामाजिक कार्यों में भी सक्रिय रहीं —

कारगिल युद्ध के शहीदों के परिवारों को आर्थिक मदद दी।

गुजरात भूकंप राहत कोष में ₹10 लाख का योगदान दिया।

कोविड-19 महामारी के दौरान ऑक्सीजन सिलिंडर, दवाइयाँ और आवश्यक सहायता सामग्री उपलब्ध कराई।

आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों की शिक्षा में सहायता की और कई बेटियों की शादी में आर्थिक सहयोग दिया।

संगीतकार मिथुन के साथ जीवन और सेवा की साझेदारी

पलक मुच्छल के जीवनसाथी और प्रसिद्ध संगीतकार मिथुन न केवल उनके पेशेवर सहयोगी हैं, बल्कि उनके समाजसेवी मिशन में भी बराबर के भागीदार हैं।

मिथुन ने एक बार कहा था —

> “अगर कभी शो न हो, आमदनी न हो, तब भी किसी बच्चे की सर्जरी रुकेगी नहीं। पलक का मिशन हमारी जिंदगी का मकसद है।”

उनकी यह सोच दिखाती है कि यह जोड़ी केवल संगीत में नहीं, बल्कि इंसानियत के सुरों में भी एक-दूसरे की ताकत है।

पुरस्कार और सम्मान

पलक मुच्छल को अब तक अनेक प्रतिष्ठित सम्मानों से नवाजा गया है, जिनमें शामिल हैं —

गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स (2025)

लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स

राज्यस्तरीय बाल सेवा सम्मान (मध्य प्रदेश)

ग्लोबल यूथ आइकन अवार्ड

लाडली अवार्ड, यूनिसेफ प्रशंसा पत्र, और कई अन्य समाजसेवी सम्मान।

एक प्रेरणा, एक मिसाल

आज पलक मुच्छल सिर्फ एक गायिका नहीं, बल्कि मानवता की प्रतीक हैं। उनकी कहानी यह सिखाती है कि प्रतिभा का सबसे सुंदर रूप वह है, जो दूसरों की जिंदगी में उम्मीद जगाए।

उन्होंने दिखा दिया कि संगीत केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि सेवा और संवेदना का साधन भी बन सकता है।

उनकी आवाज़ अब सिर्फ गीतों में नहीं, बल्कि 3,800 बच्चों की धड़कनों में हमेशा गूंजती रहेगी।

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