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धुरंधर पर खाड़ी में प्रतिबंध — छह देशों की रोक, भारत में धमाका… एक फिल्म जिसने भू-राजनीति तक हिला दी

धुरंधर पर खाड़ी में प्रतिबंध — छह देशों की रोक, भारत में धमाका… एक फिल्म जिसने भू-राजनीति तक हिला दी
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रिपोर्ट : विजय तिवारी

मुंबई | अंतरराष्ट्रीय विवाद के केंद्र में खड़ी ‘धुरंधर’

भारतीय सिनेमा की हाई-इंटेंसिटी एक्शन फिल्म धुरंधर ने न सिर्फ बॉक्स ऑफिस पर तहलका मचाया है, बल्कि उसने वह कर दिखाया है जो बहुत कम फिल्मों में होता है—मनोरंजन से उठकर राष्ट्रों के राजनीतिक गलियारों तक चर्चा का विषय बन जाना।

छह खाड़ी देशों का सख्त फैसला — एक साथ लागू प्रतिबंध

खाड़ी क्षेत्र के बहरीन, कुवैत, UAE, ओमान, क़तर और सऊदी अरब—इन सभी ने एकमत होकर फिल्म के प्रदर्शन पर रोक लगा दी।

इन देशों के प्रमाणन प्राधिकरणों ने फिल्म के कुछ हिस्सों को “क्षेत्रीय संतुलन के खिलाफ”, और कथानक को “पाकिस्तान को नकारात्मक रूप में प्रस्तुत करने वाला” बताते हुए मंजूरी देने से इनकार कर दिया।

यह फैसला किसी एक देश का अलग निर्णय नहीं, बल्कि पूरे GCC ब्लॉक के स्तर पर लिया गया सिंक्रोनाइज़्ड स्टैंड माना जा रहा है—जो स्वयं में एक बड़ी अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया है।

खाड़ी देशों ने क्या कहा?

समीक्षा रिपोर्टों के अनुसार संबंधित सेंसर बोर्डों ने प्रमुख तौर पर आपत्ति इन बिंदुओं पर जताई -

फिल्म के कुछ दृश्य “राजनयिक संवेदनशीलता” को प्रभावित करते दिखे।

कथानक में प्रदर्शित संघर्ष सीमापार राजनीतिक समीकरणों को सीधे छूता है।

स्थानीय दिशा-निर्देशों के तहत ऐसे कंटेंट को मंजूरी नहीं दी जाती जो किसी राष्ट्र को प्रत्यक्ष रूप से विरोधी रूप में दिखाए।

यह वही कारण है जिसकी वजह से कई बार भारतीय जासूसी/एक्शन फिल्मों को खाड़ी में भारी कट या बैन का सामना करना पड़ा है—धुरंधर सिर्फ नवीनतम उदाहरण है।

फिल्म का पक्ष — “हम आतंकवाद पर हैं, किसी देश पर नहीं”

फिल्म के निर्देशक और निर्माताओं ने अपना रुख साफ करते हुए कहा है कि - फिल्म काल्पनिक है, किसी विशेष राष्ट्र को टारगेट करने के उद्देश्य से नहीं बनाई गई।

इसका मुख्य फोकस आतंकवाद-विरोधी अभियान, जासूसी और एक्शन-ड्रामा है।

किसी देश के प्रति नफ़रत फैलाने का आरोप “असंगत और भ्रमित” बताया गया।

बावजूद इसके GCC देशों ने फिल्म पर अपना स्टैंड नहीं बदला।

भारत और बाकी दुनिया में धुआंधार कमाई — विवाद बना वरदान

प्रतिबंध के ठीक उलट, धुरंधर भारत और कई अंतरराष्ट्रीय मार्केट्स में रेकॉर्ड-तोड़ प्रदर्शन कर रही है।

पहले हफ्ते में 200 करोड़ से अधिक घरेलू कलेक्शन का अनुमान।

वैश्विक बाज़ार में 300 करोड़+ वर्ल्डवाइड ग्रॉस की चर्चा।

कई देशों में फिल्म ब्लॉकबस्टर स्टेटस प्राप्त कर चुकी है।

फिल्म ट्रेड विश्लेषकों का कहना है कि -

“प्रतिबंध ने विवाद को जन्म दिया, और विवाद ने फिल्म को असाधारण दृश्यता दिला दी—यह ‘रिवर्स पब्लिसिटी इफेक्ट’ का सीधा उदाहरण है।”

मीडिया आलोचकों पर ऑनलाइन हमला भी चर्चा में

फिल्म की समीक्षा करते समय कई आलोचकों ने इसे सशक्त लेकिन राजनीतिक रूप से उत्तेजक बताया।

इसके बाद सोशल मीडिया पर कुछ आलोचकों को ऑनलाइन ट्रोलिंग और धमकियों का सामना करना पड़ा, जिसकी कई पत्रकार संगठनों ने निंदा की।

यह मुद्दा अब “फिल्म समीक्षा की स्वतंत्रता” बनाम “राष्ट्रवादी नैरेटिव की डिजिटल लामबंदी” जैसी बहसों में बदल गया है।

क्या यह सिर्फ एक फिल्म का मामला है? — बड़ा सवाल

विशेषज्ञ मानते हैं कि यह प्रतिबंध सिर्फ धुरंधर पर कार्रवाई नहीं, बल्कि:

भारत–GCC सांस्कृतिक समीकरण,

सिनेमा में भू-राजनीति,

और कंटेंट-सेंसरशिप की बदलती परिभाषा

के बीच एक तीखा टकराव है।

खाड़ी देश अक्सर ऐसी फिल्मों पर कड़ी नीति अपनाते हैं जिनमें सीमा-पार संघर्ष, जासूसी या किसी विशेष देश को नकारात्मक प्रस्तुतिकरण से जोड़ा जाए।

धुरंधर इस पैटर्न में फिट बैठती है—लेकिन इसका बॉक्स ऑफिस प्रभाव इसे सामान्य फिल्म विवादों से कहीं ऊपर ले जाता है।

प्रतिबंध बहस का केंद्र, फिल्म सफलता के शिखर पर

एक तरफ खाड़ी देशों का सख्त फैसला, दूसरी तरफ भारत और दुनिया में दर्शकों का अभूतपूर्व समर्थन—धुरंधर इन दोनों ध्रुवों के बीच खड़ी एक ऐसी फिल्म बन गई है जिसने - सिनेमा, राजनीति,

सेंसरशिप और डिजिटल विमर्श चारों मोर्चों पर गर्मी बढ़ा दी है।

विवाद जहाँ बढ़ रहा है, वहीं फिल्म का कलेक्शन लगातार नए रिकॉर्ड बना रहा है। यह वही स्थिति है जहाँ एक फिल्म मनोरंजन के दायरे से निकलकर अंतरराष्ट्रीय कूटनीति की भाषा बोलने लगती है।

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