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चुनाव 2019

यूपी की 13 सीटों पर चलेगा गठबंधन का जादू, या मोदी फैक्टर का होगा असर?

यूपी की 13 सीटों पर चलेगा गठबंधन का जादू, या मोदी फैक्टर का होगा असर?
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लोकसभा चुनाव के आखिरी चरण के रण में पूर्वांचल की 13 सीटों पर 19 मई को वोट डाले जाएंगे. पूर्वांचल से दिल्ली का सफ़र तय करने की कोशिश में जुटे सभी दलों ने अपनी पूरी ताकत झोंकी हैं. वैसे तो पूर्वांचल के जातिगत समीकरण सपा-बसपा गठबंधन के पक्ष में नजर आते हैं, लेकिन राष्ट्रवाद और मोदी फैक्टर की वजह से केमिस्ट्री बीजेपी के साथ दिखाई दे रही है.

आखिरी चरण में पीएम नरेंद्र मोदी की संसदीय सीट वाराणसी, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष डॉ महेंद्रनाथ पांडेय की सीट चंदौली, केंद्रीय रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा की सीट गाजीपुर, केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल की मिर्जापुर, कभी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सीट रही गोरखपुर, महाराजगंज, देवरिया, सलेमपुर, बलिया, घोसी, मऊ, कुशीनगर, बांसगांव और राबर्ट्सगंज में रविवार को वोट डाले जाएंगे. इस चरण में कई दिग्गजों की प्रतिष्ठा भी दांव पर है.

वाराणसी लोकसभा सीट पर वैसे तो नरेंद्र मोदी को कोई टक्कर देता नहीं दिख रहा है, लेकिन यहां लड़ाई हार जीत के अंतर को लेकर है. जहां बीजेपी मोदी के जीत के अंतर को 6-7 लाख रखना चाहती है, वहीं गठबंधन और कांग्रेस की कोशिश कड़ी टक्कर देने की हिया. मोदी के खिलाफ गठबंधन की तरफ से सपा की शालिनी यादव मैदान में हैं तो कांग्रेस ने एक बार फिर अजय राय पर भरोसा जताया है.

चंदौली लोकसभा सीट भी बीजेपी के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बना हुआ है. इस सीट से पूर्व केंद्रीय मंत्री और बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष डॉ महेंद्रनाथ पांडेय मैदान में हिं. उन्हें गठबंधन के संजय चौहान और कांग्रेस की शिवकन्या कुशवाहा से टक्कर मिल रही है. जातिगत समीकरण को देखते हुए कहा जा रहा है कि इस बार बीजेपी की राह यहां आसान नहीं है.

गाजीपुर लोकसभा सीट पर केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा की प्रतिष्ठा दांव पर है. उनकी लड़ाई गठबंधन प्रत्याश और माफिया डॉन मुख़्तार अंसारी के भाई अफजाल अंसारी से है. अंकगणित की बात करें तो गठबंधन मजबूत दिख रहा है, लेकिन विकास कार्य और मोदी फैक्टर की वजह से मनोज सिन्हा भी मजबूती से चुनाव लड़ते नजर आ रहे हैं.

मिर्जापुर लोकसभा सीट पर इस बार मुकाबला त्रिकोणीय नजर आ रहा है. यहां से बीजेपी की सहयोगी अपना दल की टिकट पर अनुप्रिया पटेल मैदान में हैं. गठबंधन की तरफ से सपा ने मछलीशहर से मौजूदा सांसद रामचरित निषाद को टिकट दिया है. कांग्रेस ने ललितेश पति त्रिपाठी पर दांव खेला है.

राबर्ट्सगंज लोकसभा सीट पर सभी प्रमुख दलों ने बाहरी प्रत्याशियों पर दांव लगाया है. भाजपा ने यह सीट अपना दल को दी है, तो सपा-बसपा गठबंधन में यह सीट सपा के पास है. अपना दल से पकौड़ी लाल अपनी किस्मत आजमा रहे हैं, तो समाजवादी पार्टी से भाई लाल कोल चुनाव मैदान में हैं. कांग्रेस ने भगवती चौधरी को मैदान में उतारा है. तीनों ही प्रत्याशी मिर्जापुर के हैं. पकौड़ी लाल 2009 में सांसद रह चुके हैं. पिछली बार सपा के टिकट पर चुनाव लड़े थे. इस बार उन्होंने अपना पाला बदलकर 'अपना दल' से चुनाव लड़ रहे हैं.

घोसी लोकसभा सीट पर भी इस बार दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल रहा है. इस सीट पर सीधा मुकाबला गठबंधन और बीजेपी के बीच है. गठबंधन की तरफ से बसपा ने अतुल राय को मैदान में उतारा है तो बीजेपी ने मौजूदा सांसद हरिनारायण राजभर को टिकट दिया है. अतुल राय रेप के आरोप में फंसने के बाद से फरार चल रहे हैं और उनपर गिरफ्तारी तलवार लटक रही है. ऐसे में मतदाता भी पशोपेश में हैं कि किसे वोट दिया जाए.

कुशीनगर सीट कभी कांग्रेस का गढ़ रही है. इस सीट से पूर्व केंद्रीय मंत्री आरपीएन सिंह एक बार फिर कांग्रेस की वापसी कराने के लिए मैदान में हैं. उनका मुकाबला बीजेपी के विजय दुबे और गठबंधन के नथुनी कुशवाहा से है. इस सीट पर मुकाबला त्रिकोणीय होने की वजह से बीजेपी को फायदा मिल सकता है.

गोरखपुर लोकसभा सीट को भारतीय जनता पार्टी का गढ़ कहा जाता है. पूर्वंचल की इस सीट पर पिछले तकरीबन 29 साल से बीजेपी का दबदबा रहा है. हालांकि 2018 में हुए उपचुनाव में उसका यह ताज समाजवादी और बहुजन समाज पार्टी गठबंधन के प्रत्याशी प्रवीण निषाद ने छीन लिया. इस सीट पर संभवत: पूरे देश की नजरें टिकी होंगी. इस सीट पर बीजेपी ने बॉलीवुड एक्टर रवि किशन को उम्मीदवार बनाया है. उपचुनाव में गठबंधन में सपा के कोटे में गई गोरखपुर सीट पर रामभुआल निषाद प्रत्याशी हैं. पिछड़ों के बीच मजबूत पकड़ वाले नेता रामभुआल बीजेपी को कांटे की टक्कर दे रहे हैं.

महाराजगंज लोकसभा सीट पर इस बार मुकाबला दिलचस्प है. यहां से बीजेपी के पंकज चौधरी मैदान में हैं. सपा ने फिर से अखिलेश सिंह को टिकट दिया है. कांग्रेस ने भी यहां से सवर्ण प्रत्याशी सुप्रिया श्रीनेत को मैदान में उतारकर लड़ाई को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश की है.

देवरिया लोकसभा सीट भारतीय जनता पार्टी के लिए बहुत महत्वपूर्ण मानी जा रही है. गोरखपुर इस जिले से सटा हुआ है, जहां पर योगी आदित्यनाथ का काफी प्रभाव माना जाता है. इसलिए यह सीट बीजेपी के लिए नाक का सवाल बन गई है. गठबंधन का वोट अगर एक दूसरे को ट्रांसफर हो गया तो बसपा प्रत्याशी को जीत हासिल करने में कोई कठिनाई नहीं होगी.

सलेमपुर लोकसभा सीट पर बीजेपी और गठबंधन के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिल रहा है. यह सीट गठबंधन में बीएसपी के हिस्से आई है. उसने अपने प्रदेश अध्यक्ष आरएस कुशवाहा को उम्मीदवार घोषित किया है. कुशवाहा प्रदेश अध्यक्ष हैं. कांग्रेस ने एक बार फिर ब्राह्मण कार्ड खेलते हुए वाराणसी के पूर्व सांसद राजेश मिश्र पर दांव लगाया है. बीजेपी ने मौजूदा सांसद रविंद्र कुशवाहा पर ही दांव खेला है.

करीब 19 लाख मतदाताओं वाले बांसगांव संसदीय क्षेत्र से सिर्फ चार कैंडिडेट मैदान में हैं, जो उत्तर प्रदेश में किसी भी सीट पर उम्मीदवारों की सबसे कम संख्या है. इस सीट पर सीधा मुकाबला बीजेपी के कमलेश पासवान और बसपा के सदल प्रसाद के बीच है.

भदोही के सांसद और किसान मोर्चा के अध्यक्ष वीरेंद्र सिंह मस्त इस बार बीजेपी के टिकट पर बलिया से चुनाव लड़ रहे हैं. उनका मुकाबला गठबंधन की तरफ से सपा प्रत्याशी सनातन पांडेय से है. कांग्रेस ने राजेश मिश्र को मैदान में उतारा है, लेकिन मतदान से ठीक पहले कांग्रेस ने गठबंधन प्रत्याशी को समर्थन देकर बीजेपी का खेल बिगड़ दिया है

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