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चुनाव 2019

आखिरी चरण के मतदान से पहले ही कांग्रेस ने सरकार बनाने को लेकर अपने सिपहसालार तयार किये

आखिरी चरण के मतदान से पहले ही कांग्रेस ने सरकार बनाने को लेकर अपने सिपहसालार तयार किये
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लोकसभा चुनाव के आखिरी चरण के मतदान से पहले ही कांग्रेस ने सरकार बनाने को लेकर मास्टर प्लान तैयार करना शुरू कर दिया है. इस प्लान में कई किरदार हैं, कोई राजा, कोई रानी, कई मोहरे और कई प्यादे. और मिशन यह है कि अगर बीजेपी बहुमत तक नहीं पहुंचती है तो कांग्रेस किसी तरह से सभी पार्टियों को साथ लाकर सरकार बनाने का जादुई आंकड़ा पा सके.

इस प्लान की शुरुआत UPA प्रमुख और कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी से करते हैं. सोनिया गांधी की वजह से 2004 में कांग्रेस ने 145 सीट पर ही मनमोहन सिंह के नेतृत्व में सरकार बना ली थी. कांग्रेस का ये इतिहास रहा है कि 100 पार होते ही सरकार बनाने की रणनीति में कांग्रेस का कोई मुकाबला नहीं है. और इस बार भी ये काम सोनिया गांधी ने अपने हाथों में ले लिया है. इसके साथ ही सोनिया गांधी और उनकी टीम एक बार फिर सक्रिय हो गई है, क्योंकि उन्हें भी ये अहसास है कि कई क्षेत्रीय पार्टियां ऐसी हैं, जो सीधे राहुल गांधी से संवाद करने में असहज होंगी. इसलिए रणनीतिक तौर पर सोनिया गांधी को एक बार फिर आगे लाया गया है. 23 मई के नतीजे से पहले ही कांग्रेस पूरी तैयारी कर रही है.

सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस अपने सहयोगियों के साथ मिलकर एक ड्रॉफ्ट बना रही है. जिसे राष्ट्रपति को दिया जाएगा. इसके जरिए ये दिखाने की कोशिश रहेगी कि NDA का एक बड़ा समूह मोदी विरोधी है. कांग्रेस को कहीं न कहीं लगता है कि, बीजेपी को 2014 के मुकाबले 100 सीटों का नुकसान होगा, जिसका सीधा फायदा क्षेत्रीय पार्टियों का होगा.

सहयोगी पार्टी, मित्र पार्टी

सहयोगी पार्टियां वो हैं जिनके साथ अलग-अलग राज्यों में कांग्रेस गठबंधन में चुनाव लड़ रही हैं. उनके प्रमुखों से सोनिया गांधी ने सीधे बात की है. मित्र पार्टी वो जो न तो UPA और न ही NDA का हिस्सा हैं, लेकिन मोदी विरोध में जिनको एक छत के नीचे लाया जा सकता है. ऐसे दलों को भी साधने की कोशिश में सोनिया गांधी लगी हुई हैं. जानकारी के मुताबिक, सोनिया गांधी ने अखिलेश और मायावती दोनों से ही फ़ोन पर बात की है कि 23 मई के नतीजे के बाद किस तरह आगे बढ़ा जाए और रणनीति क्या रहेगी.

गुलाम नबी आज़ाद/अशोक गहलोत

कर्नाटक में कांग्रेस और JDS की सरकार बनाने के पीछे कांग्रेस के दो बड़े नेताओं का नाम और राजनीतिक अनुभव बताया गया था. जिसमें राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आज़ाद और उस समय कांग्रेस के संगठन महासचिव और तत्कालीन राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत थे. इन दोनों नेताओं को जिम्मेदारी दी गई है कि वो साउथ भारत के बड़े स्टेक होल्डर जिसमें YSR और TRS हैं, इनके साथ राजनीतिक तौर पर कैसे बढ़ा जाए. इसी में जदयू प्रमुख और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लेकर गुलाम नबी आज़ाद के बयान को भी इसी रणनीति का हिस्सा बताया जा रहा है, जिसमें आज़ाद ने नीतीश कुमार से गैर NDA सरकार बनाने में सहयोग की बात की थी.

मुख्यमंत्री कमलनाथ

मध्य प्रदेश के सीएम कमलनाथ को ओडिशा के CM नवीन पटनायक से तालमेल बैठाने और मोदी के खिलाफ इस महागठबंधन कुनबे में जुड़ने की जिम्मेदारी दी गई है. जिस बाबत कमलनाथ ने कुछ दिन पहले नवीन पटनायक से फ़ोन पर बात भी की है.

अहमद पटेल

सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल को गठबंधन की सरकार बनाने को लेकर हो रही सभी रणनीति पर नज़र बनाने और सारी रिपोर्ट सोनिया गांधी तक पहुंचाने की जिम्मेदारी दी गई है.

कांग्रेस ने अपनी तरफ से पूरी किलेबंदी कर ली है. किस तरह 23 मई की सुबह रुझान के बाद परिस्थिति बनती है, उसके बाद कांग्रेस अपने पत्ते खोलेगी और बैठकों का दौर चलेगा.

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