UP : सातवें चरण में पिछड़ों और सवर्णों को साधने की होड़

चुनाव अंतिम चरण की तरफ बढ़ चला है। सातवें चरण में प्रदेश की 13 सीटों की जंग के केंद्र में पिछड़ी और सवर्ण जातियों के मतदाता हैं। प्रमुख दलों का फोकस भी कुछ खास जातियों और उनके रहनुमाओं के ईद-गिर्द ही नजर आ रहा है। सभी दलों की खास निगाहें कुर्मी, कोयरी, निषाद, राजभर, चौहान और यादव मतदाताओं पर है। कुछ सीटों पर भूमिहार और ब्राह्मण बिरादरी को साधने की कोशिश की गई है।
सातवें चरण में प्रदेश की 13 लोकसभा सीटों में महाराजगंज, गोरखपुर, देवरिया, कुशीनगर, बांसगांव, सलेमपुर, घोसी, बलिया, गाजीपुर, चंदौली, वाराणसी, मिर्जापुर और राबर्ट्सगंज शामिल हैं। इनमें से कुछ सीटें ऐसी हैं जो खास जातियों के लिए जानी जाती हैं। इन सीटों के जातीय गणित के कारण ही भाजपा ने जातीय राजनीति की नींव पर खड़े सुभासपा, अपना दल (सोनेलाल) और फिर निषाद पार्टी को अपने खेमे में शामिल किया। यह अलग बात है कि बात नहीं बन पान से सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के नेता ओम प्रकाश राजभर ने पूर्वांचल की अधिकांश सीटों पर अपने प्रत्याशी मैदान में उतार दिए।
भाजपा ने जताया है सवर्णों और पिछड़ों पर भरोसा: पूर्वांचल में भाजपा की निगाहें अगड़ी जातियों से ब्राह्मण, क्षत्रिय, कायस्थ के साथ भूमिहार पर पहले से रही हैं। भाजपा इस क्षेत्र में राजभर, कुशवाहा, निषाद, पटेल (कुर्मी), यादव बिरादरी के मतदाताओं पर पर फोकस किए हुए है। 2014 में इन सीटों पर भाजपा और सहयोगी अपना दल को जीत मिली थी, 2019 में भी भाजपा इन बिरादरी के मतदाताओं को अपने खेमे में करने की जुगत में है। इसी कोशिश में भाजपा छह सीटों पर सवर्ण जाति के नेताओं को मौका दिया है। पिछड़ी जाति से पांच तथा सुरक्षित सीटों में से एक पर पासवान तथा एक पर कोल प्रत्याशी बनाया है।
सपा-बसपा गठबंधन ने अपने आधार वोट बैंक पिछड़ी और एससीएसटी जातियों पर अधिक भरोसा जताया है। साथ ही सवर्ण मतों में सेंधमारी की कोशिश भी की है। 2014 में इस चरण की किसी भी सीट पर सपा-बसपा को जीत नहीं मिली थी। इस चरण में दो निषाद और दो कुशवाहा को मैदान में उतारकर गठबंधन ने बड़ा पासा फेंकने की कोशिश की है। एक मुस्लिम व एक चौहान को भी प्रत्याशी बनाया है यानी गठबंधन ने यादव, मुस्लिम, दलित वोटों के साथ ही पिछड़ी जातियों से कुशवाहा, चौहान, निषाद को साधने की कोशिश की है।
भाजपा की ओर से मुकाबले में उतरे प्रत्याशी
गाजीपुर से मनोज सिन्हा, कुशीनगर से विजय दूबे, सलेमपुर से रवीन्द्र कुशवाहा, मिर्जापुर से अनुप्रिया पटेल, बलिया से वीरेंद्र सिंह मस्त, देवरिया से रमापति राम त्रिपाठी, चंदौली से डा. महेंद्र नाथ पांडेय, बांसगांव (सु.) से कमलेश पासवान, घोसी से हरिनारायण राजभर, महाराजगंज से पंकज चौधरी, गोरखपुर से रविकिशन, राबर्ट्सगंज से पकौड़ी लाल कोल तथा वाराणसी से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मैदान में उतारा है।
गठबंधन से चार सवर्ण व छह पिछड़ी जाति के
गठबंधन से गोरखपुर से रामभुआल निषाद, कुशीनगर से नथुनी प्रसाद कुशवाहा, देवरिया से विनोद जायसवाल, बांसगांव (सु.) से सदल प्रसाद, घोसी से अतुल राय, सलेमपुर से आरएस कुशवाहा, गाजीपुर से अफजाल अंसारी, चंदौली से संजय चौहान, वाराणसी से शालिनी यादव, मिर्जापुर से रामचरित्र निषाद, राबर्ट्सगंज (सु.) से भाईलाल कोल, बलिया से सनातन पांडेय और महाराजगंज से अखिलेश सिंह मैदान में जातियों को एकजुट करने की कोशिश में हैं।
कांग्रेस ने सवर्णों को केंद्र में रखा
13 सीटों में से कांग्रेस और सहयोगी दल 11 सीटों पर ही मैदान में हैं। बलिया और बांसगांव (सु.) सीट से इस गठबंधन के प्रत्याशियों का नामांकन खारिज हो चुका है। छह प्रत्याशी सवर्ण जातियों से हैं। दो कुशवाहा और एक चौहान प्रत्याशी मैदान में हैं। कांग्रेस से गोरखपुर से मधुसूदन तिवारी, कुशीनगर से आरपीएन सिंह, देवरिया से नियाज अहमद, घोसी से बालकृष्ण चौहान, सलेमपुर से राजेश मिश्रा, गाजीपुर से अजीत कुशवाहा, चंदौली से शिवकन्या कुशवाहा, वाराणसी से अजय राय, मिर्जापुर से ललितेश पति त्रिपाठी, राबर्ट्सगंज (सु.) से भगवती प्रसाद चौधरी तथा महाराजगंज से सुप्रिया श्रीनेत मैदान में हैं। इस चरण की दो सीटें जिनमें बलिया से अमरजीत यादव और बांसगांव (सु.) से कुश सौरभ का नामांकन खारिज हो गया है।