लखनऊ में साथ आ रहे हैं शिया और सुन्नी मुसलमान?

लखनऊ लोकसभा सीट की राजनीतिक सरगर्मी को देख लगता है कि केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह को सबसे बड़ी चुनौती कांग्रेस के उम्मीदवार प्रमोद कृष्णम दे रहे हैं.
हालांकि, कुछ लोगों का मानना है कि गठबंधन उम्मीदवार पूनम सिन्हा भी बीजेपी के परंपरागत वोट बैंक में सेंध लगा रही हैं. वहीं कांग्रेस उम्मीदवार प्रमोद कृष्णम की नजर मुस्लिम वोटों पर है. ऐसे में गठबंधन उम्मीदवार पूनम सिन्हा के लिए लखनऊ में मुस्लिम वोटों को एक साथ रखना बड़ी चुनौती है.
बता दें कि लखनऊ में करीब 21 फीसदी मुस्लिम वोटर हैं और 10 फीसदी के आसपास दलित वोटर हैं. कांग्रेस की नजर इसी वोट बैंक पर है, लेकिन ये गणित सिर्फ किताबी है. उत्तर प्रदेश में लखनऊ एक ऐसा शहर है, जहां मुस्लिम बनाम मुस्लिम में हीं लड़ाई होती है. यहां मुस्लिमों के दो तबके शिया और सुन्नी अक्सर आमने-सामने रहते हैं.
राजनीतिक लिहाज से शिया वोटर बीजेपी का परंपरागत वोटर माना जाता रहा है, जबकि सुन्नी बीजेपी के खिलाफ वोट करते रहे हैं. कांग्रेस उम्मीदवार प्रमोद कृष्णम की मुसलमानों में अच्छी पैठ के कारण कांग्रेस को उम्मीद है कि प्रमोद कृष्णम मुस्लमानों के इन दोनों तबकों को एक साथ ला पाएंगे?
मुस्लिम वोटर बीजेपी से नाराज हैं, लेकिन शिया और सुन्नी एक साथ आ सकते हैं, इसकी उम्मीद नहीं है. शिया जैसे-जैसे प्रमोद कृष्णम के करीब आ रहे हैं, वैसे-वैसे सुन्नी गठबंधन के साथ जा रहा है.
वैसे भी लखनऊ का राजनीतिक इतिहास इस बात का गवाह रहा है कि शिया, बीजेपी के ज्यादा करीब रहा है जबकि सुन्नी बीजेपी विरोधी रहा है, ऐसे में दोनों का साथ आना फिलहाल संभव नहीं दिख रहा है.