तेज बहादुर यादव की PM मोदी को चुनौती, पता चलेगा कौन है असली चौकीदार

वाराणसी, । लोकसभा चुनाव 2019 में वाराणसी में होने वाले सातवें चरण के मतदान को गठबंधन प्रत्याशी तेज बहादुर सिंह यादव के मैदान में आने से मुकाबला अब रोमांचक हो गया है। बार्डर सिक्योरिटी फोर्स से अनुशासनहीनता के मामले में बर्खास्त तेज बहादुर सिंह यादव को गठबंधन से समाजवादी पार्टी के टिकट पर वाराणसी से मैदान में उतारा है।
वाराणसी संसदीय क्षेत्र से समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार तेज बहादुर सिंह यादव ने कहा कि इस बार चुनाव में हमारा मुद्दा नौजवान, जवान, किसान और रोजगार ही है। अब तो यहां के लोगों को यह पहचानना चाहिए कि राष्ट्र असली चौकीदार कौन है। मुझे वाराणसी से अपनी जीत का पूरा भरोसा है। वाराणसी में कल हाई वोल्टेज ड्रामा के बाद समाजवादी पार्टी के सिंबल पर तेज बहादुर सिंह यादव ने अपना नामांकन किया। इससे पहले समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस से मेयर का चुनाव लड़ी शालिनी यादव को 22 अप्रैल को प्रत्याशी घोषित किया था। पीएम मोदी की संसदीय सीट वाराणसी से कल अंतिम दौर में समाजवादी पार्टी ने प्रत्याशी बदल कर दूसरे दलों के साथ अपनों को भी चौंकाया। गठबंधन के प्रत्याशी के तौर पर बीएसएफ से बर्खास्त तेजबहादुर यादव को पार्टी सिंबल पर नामांकन कराया तो ठीक एक सप्ताह पहले घोषित प्रत्याशी शालिनी यादव का भी पर्चा दाखिल कराया।
Tej Bahadur Yadav, SP candidate from Varanasi parliamentary constituency:
— ANI UP (@ANINewsUP) April 30, 2019
Our issues are relating to Jawan, Kisan & employment for Naujawan. People should recognize who is the real Chowkidar of the nation. I'm confident of winning. (29.04.19) pic.twitter.com/lCdcLn6z87
सुबह से लेकर दोपहर बाद तक चले सियासी ड्रामे में सपा ने 22 अप्रैल को कांग्रेस के खिलाफ चले गए चरखा दांव को फाइनल रूप दे दिया। इससे माना जा रहा है सपा राष्ट्रवाद के तीर से ही भाजपा पर निशाना साधने की रणनीति बनाई है। 2017 में बीएसएफ जवान तेज बहादुर यादव का एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें उन्होंने जवानों को मिलने वाले भोजन की क्वालिटी को लेकर शिकायत की थी। इस वीडियो के बाद वह सुर्खियों में आए थे। उन्होंने सरकार के खिलाफ आवाज उठाई थी. तेज बहादुर यादव पहली बार किसी चुनाव में हिस्सा ले रहे हैं।
पूर्वांचल के कांग्रेसी परिवार की बहू शालिनी यादव ने 22 को ही सपा की सदस्यता ली थी। सपा ने कांग्रेस को झटका देते हुए उन्हें प्रत्याशी घोषित करने के साथ कल सुबह नामांकन की तिथि तय की थी। इसके लिए गठबंधन में शामिल सभी दलों के कार्यकर्ताओं की सुबह आठ बजे से नगर निगम के सामने जुटान होनी थी। रविवार शाम से ही सपा की ओर से तेज बहादुर को टिकट देने की चर्चा जोरों पर थी।
कल तय कार्यक्रम के मुताबिक सुबह शालिनी यादव के समर्थन में पार्टी की ओर से जिलाध्यक्ष व महानगर अध्यक्ष के नेतृत्व में नामांकन जुलूस निकाला गया। मलदहिया चौराहे पर सरदार पटेल और वरुणापार आंबेडकर प्रतिमा पर माल्यार्पण कर कलेक्ट्रेट में नामांकन प्रक्रिया शुरू कराई गई। इस बीच तेजबहादुर यादव को लेकर सपा प्रदेश प्रवक्ता मनोज राय धूपचंडी जिला मुख्यालय पहुंचे और 24 घंटे चल रही चर्चा ने पुष्ट रूप ले लिया। आनन-फानन तेजबहादुर यादव का नामांकन भी करा लिया गया। इससे यह तय हो गया कि वाराणसी संसदीय सीट से तेजबहादुर यादव ही उम्मीदवार होंगे। इससे शालिनी समेत उनके समर्थक सकते में आ गए। काफी मान-मनौव्वल के बाद उन्होंने मय सिंबल पर्चा दाखिल किया। प्रदेश प्रवक्ता ने कहा कि तेजबहादुर यादव ही सपा से प्रत्याशी होंगे, पहले से घोषित प्रत्याशी शालिनी यादव अपना नामांकन पत्र वापस ले लेंगी।
शालिनी यादव कांग्रेस के पूर्व केंद्रीय मंत्री व राज्यसभा के उपसभापति श्याम लाल यादव की बहू हैं। नगर निकाय के पिछले चुनाव में वे कांग्रेस से महापौर प्रत्याशी भी थीं। उसमें उन्हें 1.28 लाख वोट मिले थे और दूसरे स्थान पर रही थीं।
मोदी के सामने बड़ी जीत की चुनौती
वाराणसी से भाजपा महागठबंधन, कांग्रेस के अलावा निर्दलीय भी ताल ठोक रहे हैं। अभी तक के चुनावी गणित में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जीत के प्रबल दावेदार हैं। भाजपा ने से पीएम मोदी जबकि गठबंधन से समाजवादी पार्टी के तेज बहादुर सिंह यादव और कांग्रेस से पांच बार विधायक रहे अजय राय उम्मीदवार हैं। चुनाव में निर्दलीय अतीक अहमद के आने के बाद से खेल बिगडऩा तय है।
अब वाराणसी में जीत-हार से ज्यादा वोटों के अंतर पर नजरें रहेंगी। यह पीएम मोदी की सेफ सीट मानी जा रही है। 25 को पीएम मोदी अपने मेगा रोड शो के जरिए पार्टी और एनडीए की ताकत दिखा चुके हैं। बाकी दल के नेताओं का गणित बदलना तय है। अब निर्दलीय से गठबंधन के उम्मीदवार बने पूर्व बीएसएफ जवान तेज प्रताप यादव के वोट पर निर्दलीय अतीक अहमद चोट कर सकते हैं। ऐसा कहा जा रहा है कि मुस्लिम वोटर निर्दलीय अतीक अहमद की ओर मूव कर सकते हैं। कांग्रेस के अजय राय का असर भी कम दिख रहा है। उनसे पहले यहां से कांग्रेस राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी के चुनाव लडऩे की अटकलें थी। कुछ रोज पहले ही कांग्रेस ने अजय राय को प्रत्याशी के तौर पर मैदान में उतारा है।
वाराणसी का जातीय समीकरण
वाराणसी लोकसभा सीट पर सातवें चरण में वोट डाले जाएंगे। यहां के जातीय समीकरण को देखें तो ब्राह्मण, वैश्य व कुर्मी मतदाता काफी निर्णायक भूमिका में हैं। यहां करीब तीन लाख वैश्य, 2.5 लाख कुर्मी, 2.5 लाख ब्राह्मण, तीन लाख मुस्लिम, एक लाख 30 हजार भूमिहार, एक लाख राजपूत, 1.75 लाख यादव, 80 हजार चौरसिया, एक लाख दलित और एक लाख के करीब अन्य ओबीसी मतदाता हैं। भाजपा ने अनुप्रिया पटेल की अपना दल (एस) के साथ गठबंधन करके कुर्मी वोट को एक बार फिर साधने की कवायद की है।
3,71,784 वोट से जीते थे पीएम मोदी
नरेंद्र मोदी ने 2014 लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार अरविंद केजरीवाल को 3,71,784 वोटों के अंतर से हराया था। नरेंद्र मोदी को कुल 5,81,022 वोट मिले थे, जबकि अरविंद केजरीवाल को 2,09,238 मत मिले। कांग्रेस प्रत्याशी अजय राय 75,614 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर थे। 2014 में बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी विजय प्रकाश जायसवाल चौथे स्थान पर थे। उन्हें 60,579 वोट मिले थे। समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी कैलाश चौरसिया 45,291 मतों के साथ पाचवें स्थान पर थे।




