धानमंत्री मोदी ने गंगा आरती के बाद कार्यकर्ताओं को किया संबोधित

वाराणसी : रोड शो के बाद पीएम नरेंद्र मोदी एक रैली को संबोधित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस धरती से जो प्यार मिला है वो अविस्मरणीय है। यह धरती महान मनीषियों की धरती रही है। यह धरती भगवान बुद्ध, तुलसीदास और रविदास की है। यहां वो जब जब आते हैं तो उनका संबंध सिर्फ मतपत्रों तक सीमित नहीं है। वो यहां के लोगों से दिल का नाता रखते हैं। वो यहां के लोगों के सुख और दुख में बराबर के भागीदार हैं।
5 वर्ष पहले जब काशी की धरती पर मैंने कदम रखा, तब मैंने कहा था कि मां गंगा ने मुझे बुलाया है।मैया ने ऐसा दुलार दिया, काशी के बहन-भाइयों ने इतना प्यार दिया कि बनारस के फक्कड़पन में ये फकीर भी रम गया। मैंने पहले भी कहा है कि बाबा की इच्छा के बगैर यहां एक पत्ता भी नहीं हिलता। मैं तो निमित्त मात्र हूं। बाबा विश्वनाथ धाम का काम प्रगति पर है। मंदिर से मां गंगा का दर्शन और गंगा तट से बाबा का दर्शन ईश्वरीय इच्छा रही है। हर काशी वासी मुझे कहता रहता है कि देवी अहिल्याबाई होल्कर के बाद पहली बार किसी ने इस परिसर के बारे में सोचा है
पीएम मोदी ने कहा कि काशी के फक्कड़पन में यह फकीर भी रंग चुका है। काशी की जनता ने न केवल उन्हें सांसद बनाया बल्कि पीएम भी बनाया। आज का भारत पहले की भारत से बदल चुका है। आज का भारत जवाब देना जानता है। अब हम सहते नहीं है बल्कि मुंहतोड़ जवाब भी देते हैं।आतंकवाद अब जम्मू-कश्मीर के छोटे से हिस्से में सिकुड़ कर रह गया है। याद करिये संकट मोचन मंदिर, अयोध्या, अक्षरधाम मंदिरों में आतंकी हमले हुए। यहां आरती कर रहे भक्तों की कायरतापूर्ण हत्या याद कर मन पिघल जाता है। तत्कालीन सरकार वार्ता के अलावा कुछ नहीं करती थी
PM Narendra Modi in Varanasi: Chahe kuch bhi hojaaye, deshhit ke ilawa kisi aur ka hit nahi sochunga, chahe vo Pulwama ka sankat ho, Uri ki ghatna ho ya पह
— ANI UP (@ANINewsUP) April 25, 2019
ir mere jivan ko anya koi aur pal, mera ek hi mantra hai aur vahi mantra lekar main jiya hun, Rashtra Pratham - India First. pic.twitter.com/5Jq3F8MnT4
पीएम मोदी ने कहा कि चाहे कुछ भी हो जाए वो देशहित के अलावा और कुछ नहीं सोचेंगे। चाहे वो पुलवामा का संकट हो या उड़ी की घटना हो या मेरा जीवन का कोई अन्य पल हो, मेरा एक ही मंत्र है और वहीं मंत्र लेकर जिया हूं, राष्ट्र प्रथम यानि इंडिया फर्स्ट।
PM Narendra Modi in Varanasi: Kashi ne mujhe sirf MP nahi, PM banne ka aashirwad diya. Mujhe aatankiyon ko unhi ki baasha mein jawaab dene ka saahas diya. Humne unhe batha diya ki naya Bharat sehta aur kehta nahi hai, vo aatank ko muh todh jawaab deta hai. pic.twitter.com/sUr5SR4XCw
— ANI UP (@ANINewsUP) April 25, 2019
पीएम मोदी ने कहा कि काशी की जनता ने उन्हें आतंकियों को उनकी भाषा में जवाब देने का साहस दिया। हमने आतंकियों को बता दिया कि अब भारत किसी भी हिमाकत को जवाब देने से नहीं हिचकेगा। आतंक की चुनौती को एक पल के लिए भी कम आंकना देश के लिए अन्याय है।पुलवामा हमले के बाद 42 आतंकियों को ठिकाने लगया जा चुका है, यह हमारा काम करने का तरीका
समर्थ, सम्पन्न और सुखी भारत के लिए विकास के साथ-साथ सुरक्षा अहम है। मेरा यह मत रहा है कि परिवर्तन तभी सार्थक और स्थायी होता है, जब जन-मन बदलता है। इस जन-मन को साधने के लिए तपस्या करनी पड़ती है।काशी ने मुझे सिर्फ एमपी नहीं पीएम बनने का आशीर्वाद दिया। मुझे 130 करोड़ भारतीयों के विश्वास की ताकत दी है।
काशी के विकास को लेकर हम जिस दिशा में बढ़ रहे हैं उसके तीन पहलू हैं- पहला आध्यात्मिक, दूसरा व्यावहारिक, तीसरा मानवीय है।लोग पूछते हैं कि मोदी ने काशी में क्या बदलाव किया, लेकिन मैं पूछना चाहता हूं कि काशी ने मुझमें क्या बदलाव किया।हमारी विरासत, हमारी आस्था के प्रतीक बाबा विश्वनाथ और गंगा मां की सेवा का अवसर मिलना वाकई सौभाग्य है। मां गंगा को निर्मल और अविरल बनाने की दिशा में भी हम काफी आगे बढ़ गए हैं।
गंगा जी पर देश का पहला जलमार्ग बनना, वाराणसी में क्रूज जहाजों का चलना ये हमारे पर्यटन और व्यापार के अच्छे संकेत हैं। मां गंगा के ईमानदार सेवक हमारे मल्लाह साथियों को इसका लाभ मिलना निश्चित है।यहां रेलवे स्टेशनों और सड़कों को सुधारा गया है। लटके तार गायब हो रहे हैं और गंगा घाट में भी अलग ही रौनक है।
पीएम मोदी बोले कि सही कहूं तो 17 मई 2014 को गंगा तट पर कुछ संकल्प मैं ले रहा था तो मन में ये सवाल जरूर था कि काशी की उम्मीद पर खरा उतर पाउंगा क्या। जो सपना मन में है वो पूरा हो गया ऐसा मैं कभी दवा नहीं करता हूँ लेकिन उस सपने को पूरा करने की दिशा में हमारा रास्ता और रफ़्तार सही है ये मैं जरूर कह सकता हूं।
पीएम मोदी के हम देश के हर हिस्से, हर वर्ग को मजबूत करने के संकल्प के साथ लगे हैं।बीते पांच वर्ष पुरुषार्थ के थे, आने वाले पांच वर्ष परिणाम के होंगे।बीते पांच वर्ष ईमानदारी के प्रयास के थे। आने वाले पांच वर्ष उन प्रयासों को विस्तार देेने के होंगे। बीते पांच वर्ष परिवर्तन की शुरुआत के थे। आने वाले पांच वर्ष देश की प्रतिष्ठा के होंगे।




