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चुनाव 2019

देवरिया में रमापति राम त्रिपाठी का बाहरी के नाम पर विरोध, 'देखअ...जूता खोरवा का बाप आइल बा.'

देवरिया में रमापति राम त्रिपाठी का बाहरी के नाम पर विरोध, देखअ...जूता खोरवा का बाप आइल बा.
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रमापति राम त्रिपाठी को लोगों को जानने पहचानने और लोगों को उन्हें जानने पहचानने की एक चुनौती है . लोग जूता कांड का जिक्र करते हुए भोजपुरी में बताते हैं कि 'देखअ...जूता खोरवा का बाप आइल बा.'

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने देवरिया से हाल ही में जूता कांड से चर्चा में आए संतकबीर नगर के सांसद शरद त्रिपाठी का टिकट काट कर उनके पिता रमापति राम त्रिपाठी को देवरिया से टिकट दिया है.

रमापति राम त्रिपाठी को प्रत्याशी बनाने को लेकर माना जा रहा है कि बीजेपी ने देवरिया के जातिगत समीकरण साधने की कोशिश की है. बीजेपी के इस कदम को लेकर स्थानीय लोगों में मिलीजुली प्रतिक्रिया देखने को मिली. एक पक्ष का मानना है कि कलराज मिश्रा के बाद दोबारा बाहरी प्रत्याशी को उतारना देवरिया का दुर्भाग्य है, वहीं दूसरे पक्ष का कहना है कि बाहर से उम्मीदवार लाकर बीजेपी ने स्थानीय खेमेबाजी को रोकने का काम किया है.

लोगो का कहना है 'बीजेपी का स्थानीय कार्यकर्ता सालों भर झंडे बैनर लेकर पार्टी के लिए काम करता है. ठंड हो, बरसात हो, गर्मी हो, हर मौसम में पार्टी के लिए काम करता है, लेकिन जैसे ही चुनाव लड़ने की बारी आती है, बाहरी प्रत्याशी का लाकर थोप दिया जाता है.' स्थानीय प्रत्याशी से लोग मिलने में सहजता महसूस करते हैं. शादी ब्याह में बुलाते हैं, एक आत्मीयता महसूस करते हैं, बाहरी में वो बात नहीं होती है.

स्थानीय प्रत्याशी होता तो उसका पक्ष ज्यादा मजबूत होता, वह लोगों से आसानी से मिल पाता. लेकिन बाहरी उम्मीदवार के लिए स्थानीय जनता से मेल-मिलाप करने में ही काफी समय लग जाएगा और चुनाव में ज्यादा समय नहीं बचे हैं. लिहाजा रमापति राम त्रिपाठी को लोगों को जानने पहचानने और लोगों को उन्हें जानने पहचानने की एक चुनौती होगी.

बाहरी प्रत्याशी लेकर स्थानीय लोगों में नाराजगी है, वह नाराजगी सोशल मीडिया में भी दिख रही है.इसका असर वोटिंग पर पड़ सकता है, दो चीजें हो सकती हैं या तो NOTA का बटन ज्यादा दबेगा या वोटिंग परसेंट प्रभावित होगा. देवरिया में राजपूत और ब्राह्मण का सवाल कायम है. जाहिर है जूता कांड हवा में बना रहेगा.


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