साध्वी प्रज्ञा ने उमर अब्दुल्ला पर किया पलटवार

साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने उमर अब्दुल्ला पर पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि अच्छा हुआ उमर अब्दुल्ला ने यह नहीं कहा कि साध्वी को फौरन फांसी पर लटका देना चाहिए, क्योंकि इनका षड्यंत्र यही था। उमर अब्दुल्ला को अपनी जानकारी ठीक करनी चाहिए, मुझे स्वास्थ्य के आधार पर जमानत नहीं मिली है।
उमर अब्दुल्ला ने भोपाल से साध्वी प्रज्ञा को टिकट दिए जाने पर निशाना साधा है। उनका कहना है कि साध्वी प्रज्ञा की जमानत रद्द होनी चाहिए। चुनाव लड़ने के लिए साध्वी प्रज्ञा की सेहत ठीक है? अगर उनकी तबियत ठीक है तो फिर जेल में डालो। उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट कर लिखा - साध्वी प्रज्ञा को भोपाल से भाजपा ने अपना प्रत्याशी बनाकर, कानून व्यवस्था का कैसा मखौल उड़ाया है? वह आतंकवाद की आरोपी हैं। उनके खिलाफ ट्रायल चल रहा है, स्वास्थ्य आधार पर जमानत पर बाहर हैं, लेकिन चुनाव लड़ने के लिए एकदम स्वस्थ हैं। उमर ने श्रीनगर में वोट करने के बाद भी साध्वी प्रज्ञा पर जमकर हमला बोला।
उमर अब्दुल्ला ने मतदान के बाद कहा कि भाजपा को अब मंदिर-मस्जिद पर वोट नहीं मिल रहे। तभी भोपाल से आतंकवाद की आरोपी को टिकट दिया है। भाजपा के पास जब कुछ नहीं रहता तो वह मजहब का कार्ड खेलने लगती है। गौरतलब है कि साध्वी प्रज्ञा ठाकुर भोपाल से कांग्रेस के दिग्विजय सिंह के खिलाफ चुनाव लड़ रही हैं। वह मालेगांव बम विस्फोट मामले में आरोपी हैं और इस वक्त जमानत पर बाहर हैं। भारतीय जनता पार्टी ने बुधवार को मध्य प्रदेश के चार उम्मीदवारों की सूची जारी की थी। इसमें साध्वी प्रज्ञा को भोपाल से टिकट दिया था। प्रज्ञा ठाकुर को 23 अक्टूबर 2008 को मालेगांव ब्लास्ट मामले में गिरफ्तार किया गया था। वह इस मामले में आरोपी हैं और नौ साल जेल में रही हैं।
जानिए कौन हैं साध्वी प्रज्ञा ठाकुर?
साध्वी प्रज्ञा ठाकुर मालेगांव धमाकों के बाद सुर्खियों में आईं। 2017 में सबूतों के अभाव में बॉम्बे हाई कोर्ट ने उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया। उनका जन्म मध्यप्रदेश के भिंड में हुआ। पिता आयुर्वेदिक डॉक्टर थे और संघ से जुड़े थे। इसकी वजह से प्रज्ञा ठाकुर का झुकाव बचपन से ही संघ की ओर हो गया। इतिहास विषय से परास्नातक प्रज्ञा ने संघ के संपर्क में आने के बाद संन्यास ले लिया। इससे पहले वे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और दुर्गा वाहिनी की सक्रिय सदस्य भी रहीं। अपनी भाषण शैली की वजह से उन्हें जल्द हिंदी भाषी प्रदेशों में लोकप्रियता मिलने लगी।




