मौसम के बदलते मिजाज से किसानों को भारी नुकसान

रिपोर्ट:-कमलेश गुप्ता
वाराणसी/रोहनिया
पिछले तीन दिनों से मौसम के बदलते मिजाज़ से किसानों को बड़ा नुकसान हुआ है। कहीं खेतों में खड़ी फसलें गिरीं तो कहीं बारिश से खेतों में काटकर रखी गई फसल खराब हो गई। बारिश से खेतों में तैयार होने वाली फसलों में रोग लगने की संभावना बढ़ गई है। इस बदलते मौसम को देख कर किसान हो रहे काफी परेशान हो भी क्यो न खुन पसिने कि पूरी पूंजी कहलो या कमाई खुले आसमान के नीचे पड़ा है जो किसानों का कहना तो ये है कि रात का नीद और दिन का सुकुन इस बदलते मौसम को देख कर सब खत्म हो गया है l भगवान से बस यही प्राथना कर रहे है कि हे भगवान कही ओला न पड़े नही तो किसान में साथ साथ उसका पूरा का पूरा परिवार खाने को लाले पड़ जायेगा और बात भी सही है अगर कही ऐसा हुआ तो लहलहाती रवि की फसल पूरा का पूरा नष्ट हो जाएगा जिससे किसानों का जीवको पार्जन करना मुश्किल हो जाएगा क्योंकि किसानों का कहना है कि यही खेती ही हमारे लिए सब कुछ है अगर यह चौपट हो जाए गा तो हम कहीं के नहीं रहेंगे रामसूरत कुशवाहा ने बताया की ये डरावना मौसम इस समय के हर एक फसल के लिए नुकसान दायक है चाहे वो आलू हो,चना,गेहू हो या अरहर हो सबके लिए खराब साबित हो सकता है इस मौसम को देखते हुए किसान काफी डरे और सहमे हुए है कि कही कुछ अनहोनी ना हो जाये l किसानों का यही तो एक मात्र जीवको पार्जन का जरिया होता है चाहे इसे बचत कह ले या कमाई और रामसूरत कुशवाहा ने बताया कि इस मौसम में इन सभी रोगों का खतरा है फसलो को
इन रोगों और कीटो की चपेट में आ सकती है फसल
सफेद मक्खी किट
वयस्क कीट सफेद रंग के होते हैं। ये कीट पौधों की पत्तियों का रस चूस लेते हैं, जिससे पत्तियां पीली पड़कर सूख जाती हैं। ये कीट सभी सब्जियों में लगती है।
फली भेदक किट
गेहूं, चना और मसूर की फसलों के लिए यह कीट घातक होता है। ये कीट फलियों में छेद बनाकर दानों को खाता रहता है।
पत्ती धब्बा रोग
मुख्य रूप से गेहूं की तैयार हो रही फसल में इस रोग के लगने की संभावना इस समय बढ़ गई है। इस रोग में पत्तियों पर अनियमित आकार के भूरे धब्बे बन जाते हैं। इससे पत्तियां सूख कर गिर जाती हैं। इसकी वजह से फल भी प्रभावित होते हैं। संक्रमित फल पीले पड़ जाते हैं और पकने से पहले ही गिर जाते हैं। यह रोग सब्जी की फसलों में भी लग सकता है।
कटुआ रोग
यह कीट चना, मटर, मसूर, गेहूं, सरसों को नुकसान पहुंचा सकता है। यह बुवाई के कुछ समय बाद से ही नुकसान पहुंचाने की प्रकिया शुरू कर देता है। यह कीट गहरे भूरे रंग की चिकनी होती है। कीट का संडिया गिडार रात के समय तनों को काट देती है।
गेरुआ रोग
गेहूं में गेरुआ रोग का प्रकोप उसकी बालियों पर पड़ता है। बालियों में दानों का विकास सही से नहीं हो पाता है। इसके साथ ही पत्तियां सफेद गेरुई रंग की हो जाती हैं। मसूर में भी यह रोग लग सकता है।