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उत्तर प्रदेश

आज ही जलियांवाला बाग का बदला लिया था, भारत माता के अमर सपूत ऊधम सिंह ने

आज ही जलियांवाला बाग का बदला लिया था, भारत माता के अमर सपूत ऊधम सिंह ने
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भारत माता के अमर सपूत ऊधम सिंह। ऊधम सिंह ने बर्बर जलियांवाला बाग नरसंहार के प्रतिशोध स्वरूप लंदन जाकर पंजाब के तत्कालीन लेफ्टिनेंट गर्वनर माइकल ओ डायर की हत्या कर दी थी। इस आजादी के दीवाने ने 13 मार्च,1940 को उस पर ताबड़तोड़ गोलियां चलाकर प्रतिशोध लिया और बहादुरी की एक मिसाल कायम की।

भारत के वीर सपूत उधम सिंह इस बर्बरतापूर्ण हत्या के प्रत्यक्षदर्शी रहे जिन्हें इस घटना ने अंदर तक हिलाकर रख दिया। इस घटना के बाद जहां एक तरफ से देश में भगत सिंह और चंद्रशेखर आज़ाद जैसे राष्ट्रवादी क्रांतिकारियों ने अंग्रेजों की उखाड़ फेंकने की ठान ली तो वहीं दूसरी तरफ उधम सिंह ने जलियांवाला कांड के 21 साल बाद अंग्रेजों की सरजमीं पर जाकर उसका बदला लिया और बिना किसी डर के खुशी खुशी फांसी पर झूल गए। जिसकी वजह से उन्हें शहीद ए आजम की उपाधि से नवाजा गया।

जनरल डायर के इशारे पर हुए जलियांवाला कांड ने उधम सिंह को इस कदर हिला कर रख दिया कि उन्होंने यहां की मिट्टी हाथ में लेकर उसे सबक सिखाने की कसम खायी और क्रांतिकारी घटनाओं में उतर पड़े। उसके बाद उधम सिंह चंदा इकट्ठा कर देश के बाहर चले गए और दक्षिण अफ्रीका, जिम्बॉव्बे, ब्राजील और अमेरिका की यात्रा कर क्रांति के लिए धन इकट्ठा किया। इस बीच देश के बड़े क्रांतिकारी एक-एक कर अंग्रेजों से लड़ते हुए जान देते रहे। ऐसे में उनके लिए आंदोलन चलाना मुश्किल हो चला था। पर अपनी अडिग प्रतिज्ञा के पालन के पर वो डटे रहे।

1934 में लंदन पहुंचे उधम सिंह

उधम सिंह के लंदन पहुंचने से पहले जनरल डायर की साल 1927 में बीमारी से मौत हो गई। ऐसे में उधम सिंह ने अपना पूरा ध्यान माइकल ओ डायर को मारने पर लगाया और किसी तरह से वो छिपते-छिपाते साल 1934 में लंदन पहुंचे। वहां पर वे 9, एल्डर स्ट्रीट कमर्शियल रोड पर रहने लगे। उधम सिंह ने यात्रा के उद्देश्य से एक कार खरीदी और साथ में अपना मिशन पूरा करने के लिए छह गोलियों वाली एक रिवॉल्वर भी खरीद ली। और माइकल ओ डायर को ठिकाने लगाने के लिए उचित वक्त का इंतजार करने लगे।

माइकल ओ डायर पर गोलियां बरसायी

जलियांवाला बाग हत्याकांड के 21 साल बाद 13 मार्च 1940 को रॉयल सेंट्रल एशियन सोसायटी की लंदन के काक्सटन हॉल में बैठक थी। यहां पर माइकल ओ डायर भी वक्ताओं में से एक था। उधम सिंह को वह वक्त मौका मिला गया जिसका उन्हें इंतजार था।। उधम सिंह अपनी रिवॉल्वर को एक मोटी किताब में छिपा ली और इसके लिए उन्होंने किताब के पृष्ठों को रिवॉल्वर के आकार में उस तरह से काट लिया था ताकि डायर की जान लेने वाला हथियार आसानी से छिपाया जा सके।

सभा के बाद दीवार के पीछे से मोर्चा संभालते हुए उधम सिंह ने माइकल ओ डायर पर धुआंधार गोलियां दाग दीं। दो गोलियां माइकल ओ डायर को लगीं जिससे उसकी तत्काल मौत हो गई। लेकिन, वह उसी जगह पर खड़े रहे। उधम सिंह को फौरन गिरफ्तार किया गया और अदालत ने उन्हें फांसी दे दी।

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