Janta Ki Awaz
उत्तर प्रदेश

गुलिस्तान ए बिलारी का विमोचन

गुलिस्तान ए बिलारी का विमोचन
X

मुरादाबाद बिलारी नगर के मोहल्ला ठाकुरान में बीज गोदाम पर स्थित शहीद-ए-आजम पार्क में नगर के क्रांतिकारी शायर की गजलों के संग्रह की किताब गुलिस्तान ए बिलारी के विमोचन पर एक कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसमें विचार व्यक्त करते हुए जेएनयू से पोस्ट पी एच डी शिक्षाविद डिग्री कॉलेज के प्राचार्य डॉ राकेश रफीक ने कहा कि मुश्ताक हुसैन मुश्ताक द्वारा रचित ग़ज़लों के संग्रह की किताब गुलिस्तान ए बिलारी का इजरा नगर बिलारी के लिए बड़े फक्र की बात है। मुश्ताक हुसैन एक क्रांतिकारी व्यक्ति हैं। यह झलक उनकी शायरी में भी स्पष्ट दिखाई देती है। देश के प्रति प्रेम और राष्ट्रवाद इन में कूट-कूट कर भरा है। नगर पालिका परिषद बिलारी में स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर देशभक्ति की शायरी प्रस्तुत करते रहे हैं। 2 अक्टूबर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती पर भी इन्होंने अपनी शायरी से राष्ट्रवाद के लिए लोगों को प्रेरित किया है। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी के राष्ट्रवाद को देश में स्थापित करना आज की जरूरत है। ये मेहनतकश इंसान रहे हैं। हथकरघे पर कपड़ा बुनने से लेकर गांव गांव गली गली दरी चादर बेचकर अपनी कलाकृतियां मोहर्रम के निर्माण में उंडेलने और पतंग बनाने तक का सफर बड़े आर्थिक संकट से तय किया है। लेकिन सच्चाई और ईमानदारी का कभी साथ नहीं छोड़ा।मुश्ताक हुसैन ने बुनकर और मजदूरों के अधिकारों और उनकी समस्याओं के लिए भी जीवन भर संघर्ष किया। उनकी यह किताब उनके जीवन की एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। इससे पूर्व ख्याल मुरादाबादी जमीर सालकी ताहिर हुसैन संभाली हकीम तसद्दुक़ हुसैन जनेटवी डॉ शाकिर हुसैन आदि शायरों ने मुश्ताक हुसैन की किताब का मलट हटाकर विमोचन किया। उसके बाद ग़ज़लों का दौर शुरू हुआ। जिसमे ख़्याल मुरादाबादी ने कहा कि शरफ़े वफा का तुमने जो एलान कर दिया क्या जुर्म ऐसा मैंने मेरी जान कर दिया। अनवर कैफ़ी मुरादाबादी ने फरमाया चाहतें सब की घिरी हैं नफरतों के दरमियां बस्तियां कैसे बसेंगी ज़ल ज़लों के दरमियां।शकील अहमद साबरी ने कहा अपनी ताकत पर तू गुरूर ना कर ज़र्द पत्ते भी जान रखते हैं। अब्दुल कुद्दुस जोहर ने फरमाया जीते जी मेरे चमन पर आंच आ सकती नहीं जान दे सकता हूं मैं अपने वतन की शान पर। ताहिर हुसैन संभली ने कुछ इस तरह अपनी बात कही ताकि दाखिल हो ना पाए कोई भी उनके सिवा दिल के दरवाजे पर चौकीदार होना चाहिए। प्रोफेसर डॉ शाकिर हुसैन ने कहा इस शहर ना रसाई में मुर्दा जमीर लोग रहते हैं जिंदा लाशों की मानिंद साथ-साथ। इसके अलावा डॉक्टर नफीस अहमद मोहम्मद आसिफ कमल एडवोकेट आदि शायरों ने भी अपनी ग़ज़लों से वाहवाही लूटी। कार्यक्रम का संचालन प्रोफेसर अब्दुल कुद्दुस और ख़ुश्तर शादानी ने संयुक्त रूप से किया।कार्यक्रम की सदारत डॉ राकेश रफीक ने की। कार्यक्रम में सहयोग डॉ मीनाक्षी कसीम आजाद हाजी सुबहान अली प्रेम कुमार प्रेम मोहम्मद आसिफ कमल एडवोकेट आदि ने किया। कार्यक्रम में किसान यूनियन के चौधरी भयराज सिंह सामाजिक कार्यकर्ता रोहन समाजिक रंजीत सिंह यादव त्रिलोक चंद्र प्रेम सिंह दहिया प्रशांत गुप्ता मेहंदी हसन अंसारी शमसुद्दीन सईद अहमद मुकेश कल्लू मुख्य रूप से उपस्थित रहे। आगंतुकों का आभार मुश्ताक हुसैन ने व्यक्त किया।....

.... रिपोर्ट वारिस पाशा जनता की आवाज से बिलारी मुरादाबाद

Next Story
Share it