ज्योतिरादित्य ने उस माँ का दिल तोड़ा, जिसने राहुल गांधी और उनमें कभी फर्क नहीं किया - प्रोफेसर डॉ योगेन्द्र यादव

यह प्रसंग 2012 का है। देश में लोकसभा चुनाव, संभावित जीत और प्रधानमंत्री कौन बनेगा ? इस पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के घर में चर्चा हो रही थी। वहाँ उपस्थित कई नेताओं ने राहुल गांधी को प्रधानमंत्री के रूप में राहुल गांधी को उस समय अपरिपक्व बताया, तब सोनिया गांधी ने तपाक से कहा था कि मेरा दूसरा बेटा है न । सभी लोग आश्चर्य में पड़ गए । एक दूसरे का मुंह देखने लगे । वहाँ उपस्थित एक वरिष्ठ नेता ने हिम्मत करके पूछा – मेडम आपका दूसरा बेटा ? हम लोग कुछ समझे नहीं । तब सोनिया गांधी ने जो नाम लिया, वह ज्योतिरादित्य सिंधिया का था।यानि सोनिया गांधी की दृष्टि में ज्योतिरादित्य सिंधिया सिर्फ प्रधानमंत्री के योग्य नाम ही नहीं था, बल्कि उन्हे अपने पुत्र मानती थी ।
कांग्रेस की राजनीतिक स्थिति ठीक नहीं है। लेकिन उसके अलावा देश में कोई ऐसा दूसरा दल नहीं है, जो कांग्रेस का विकल्प बन सके । ऐसे समय में ज्योतिरादित्य सिंधिया को राहुल गांधी का साथ देना चाहिए था। क्योंकि मित्र की, भाई की सही पहचान विपरीत परिस्थितियों में ही होती है । उस पर ज्योतिरादित्य सिंधिया खरे नहीं उतरे ।
भाजपा की सदस्यता ग्रहण करने के बाद उन्होने जो उद्बोधन किया, उसे मैंने बड़े ध्यान से सुना । उन्होने कहा कि अब कांग्रेस पहले वाली कांग्रेस नहीं रही। उसमें रह कर मैं राजनीति के माध्यम से जनसेवा नहीं कर पा रहा था, इस कारण मैंने भाजपा में आने का निर्णय लिया। यहाँ पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नेड्डा सहित सैकड़ों, हजारों, करोड़ों सदस्यों के साथ सेवा करने का मौका मिलेगा ।
इसके बाद उन्होने मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार पर हमले बोले। आमतौर पर राजनीतिक दलों पर कोई भी नेता पार्टी छोड़ने पर जो आरोप लगाता है, वैसे ही आरोप ज्योतिरादित्य सिंधिया ने लगाए । उसके बहुत मायने नहीं है, क्योंकि उनके वक्तव्यों में बहुत ही विरोधाभास है, जिसमें सवाल करने पर वे खुद ही आरोप के कठघरे में खड़े हो जाते । मंदसौर के जिस सत्याग्रह की बात की, उन किसानों पर गोलियां चलवाने और किसानों पर केस लगवाने वाली तत्कालीन सरकार भाजपा की ही थी।
मैं सिर्फ इतना ही कहना चाहता हूँ, कि परसों रात से ही ज्योतिरादित्य सिंधिया के चेहरे पर जो भाव उभर रहे थे, उससे साफ लग रहा था कि वे बेहद दबाव में हैं । आज जब उन्होने मीडिया को संबोधित किया, तो भी वे सहज नहीं रहे। जो ज्योतिरादित्य सिंधिया बोलते समय कभी हड़बड़ाते नहीं रहे, आज किसी दबाव की वजह से काफी हड़बड़ाए । लेकिन कुछ भी हो, उन्होने एक ऐसी औरत को धोखा दिया है, एक ऐसी पार्टी अध्यक्षा को धोखा दिया है, अपने तमाम कार्यकर्ताओं और मतदाताओं को धोखा दिया है, जिन्हें उन पर विश्वास था कि वे कुछ भी कर सकते हैं, लेकिन भाजपा में नहीं जा सकते हैं।
यह बात जरूर है कि सम्पूर्ण मध्य प्रदेश में सिंधिया के भाजपा में शामिल होने से भाजपा मजबूत हुई है। सिंधिया के समर्थक कट्टर हैं, और हर समय भाजपा के नेताओं और कार्यकर्ताओं के सामने चुनौती पेश करते रहे । अब वह चुनौती समाप्त हो चुकी है ।
प्रोफेसर डॉ योगेन्द्र यादव
पर्यावरणविद, शिक्षाविद, भाषाविद,विश्लेषक, गांधीवादी /समाजवादी चिंतक, पत्रकार, नेचरोपैथ व ऐक्टविस्ट