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उत्तर प्रदेश

माघी पूर्णिमा: ब्रज मंडल में छाई होली की मस्ती

माघी पूर्णिमा:  ब्रज मंडल में छाई होली की मस्ती
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ब्रज के मंदिरों में होली का खुमार और सिर चढ़कर बोलने लगा है। मंदिरों में होली के रसिया, धमार और गीत सुनाई दे रही है। बरसाने में लाडलीजी महल गुंजायमान है। वृंदावन में ठाकुरजी के आंगन में ढप बजाए और गुलाल के बदरा छाए। देश भर से आने वाले श्रद्धालु होली का आनंद ले रहे हैं।

माघी पूर्णिमा पर ब्रज मंडल में होली की मस्ती स्थानीय निवासियों के साथ देश के कोने-कोने से आये भक्तों पर चढ़ने लगी है।। लाडलीजी महल में रोजाना गुलाल के उमड़ते बदराओं के मध्य श्रद्धालु मस्ती के सागर में गोते लगाते नजर आए। इसके बाद नंदगांव बरसाना की लठामार होली की तैयारियां अपने चरम पर पहुंचने लग जाएंगी। साथ ही ब्रज के अन्य मंदिरों में भी होली की धमार शुरू होगी। अष्टसखी के गांव में होली की चौपाई गायन शुरू हो जाएगा।

मथुरा के द्वारिकाधीश मंदिर में पड़वा से परंपरागत होली का शुभारंभ हो गया। मंदिर प्रांगण में सुबह 10 से 11 बजे तक ढप की तान पर रसिया मंडल के पदाधिकारी ठाकुरजी को रसिया सुनाए गए। इसी दिन से मंदिर में गुलाल की होली भी हुई। प्राचीन केशवदेव मंदिर में माघी पूर्णिमा के अवसर पर सुबह ठाकुर केशवदेव महाराज के श्री विग्रह का अभिषेक हुआ और ठाकुरजी को नवीन पोशाक धारण कराई गई। मंदिर के मीडिया प्रभारी नारायण प्रसाद शर्मा ने बताया कि माघी पूर्णिमा पर आयोजित भजन संध्या में श्री कृष्ण सामूहिक मंडल द्वारा ठाकुरजी को होली के गीत और रसिया सुनाए गए।

नंदगांव के प्रसिद्ध नंदबाबा मंदिर में धमार गायन शुरू होता है। संगीताचार्य एवं नंदबाबा मंदिर के सेवायत राधारमण गोस्वामी ने बताया कि पूर्णिमा के बाद पड़वा से फाल्गुन मास लगते ही होरी धमार प्रारंभ हो जाएगा। इस दौरान 'रंगन रंगिलौ बहु रंगन रंगिलौ इत गुण निधि राधा गोरी उत सांवरो, गोरी आयो फागुन मास खेल तू रसिया ते होरी' आदि धमारों का गायन किया जाएगा। ठाकुर जी पर अबीर, गुलाल, टेसू के फूलों का रंग बरसना प्रारंभ हो जाता है। नंदगांव बरसाना की विश्व प्रसिद्ध लठमार होली की तैयारियां जोरों से शुरू हो जाती हैं। ढप, मृदंग, झांझ, मंजीरा आदि वाद्य यंत्रों की धुन पर रसिक कवियों के पद खेलत फाग परस्पर हिलमिल शोभा बर्नी न जाई,या ब्रज में कैसी धूम मचाई इतते आई कुंबर राधिका उतते आये कुंबर कन्हाई...आदि होली के पदों के साथ पूर्णिमा (रविवार) से श्रीजी का आंगन गुंजायमान हुआ। भक्त इन होली के पदों को सुनकर आनंद से सराबोर होकर झूमने लगे।

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