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उत्तर प्रदेश

जलवायु परिवर्तन: विकासशील देशो पर प्रभाव'' विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारम्भ हुआ

जलवायु परिवर्तन: विकासशील देशो पर प्रभाव विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारम्भ हुआ
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वाराणसी : आज महात्मा गांधी काषी विद्यापीठ के गांधी अध्ययन पीठ के सभागार में राजनीति विज्ञान विभाग द्वारा आयोजित एवं उत्तर प्रदेश उच्च शिक्षा परिषद के सहयोग से ''जलवायु परिवर्तन: विकासशील देशो पर प्रभाव'' विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारम्भ हुआ।

संगोष्ठी के उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में पर्व एयर वाइस मार्शल डाॅ0 अजीत त्यागी जी, विशिष्ट अतिथि श्री दीपक अग्रवाल, कमिश्नर वाराणसी मण्डल एवं श्री मोहम्मद अली ए0डी0जे0 आजमगढ़ रहे। मुख्य वक्ता के रूप में प्रो0 ध्रुव सेन सिंह, लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ एवं प्रो0 एन0के0 दूबे, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी थे। संगोष्ठी की अध्यक्षता प्रो0 टी0एन0 सिंह, माननीय कुलपति, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, वाराणसी ने की।

मंचासीन अतिथियों के सम्मान में स्वागत भाषण व विषय प्रस्तावित करते हुए संगोष्ठी के संयोजक प्रो0 मो0 आरिफ, विभागाध्यक्ष राजनीति विज्ञान विभाग, म0गां0का0वि0 ने कहा कि नया भारत बनाने के लिए ईमानदार होना आवष्यक है।

विशिष्ट अतिथि प्रो0 ध्रुव सेन सिंह (भूविज्ञान विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय) ने कहा कि जलवायु परिवर्तन कोई नवीन प्रक्रिया नहीं है, बल्कि करोड़ो वर्षो से होती रही है। जलवायु परिवर्तन के कारण ही सिंधु घाटी जैसी सभ्यता का अवसान हुआ। जलवायु परिवर्तन केवल मात्र संस्कृति को ही प्रभावित नही करती साथ ही मानवीय शारीरिक संरचना और स्वरूप में भी परिवर्तन करती है। जिसके संदर्भ के लिए उन्होंने अफ्रीकी और यूरोपीय देशो का उदाहरण प्रस्तुत किया। उन्होंने 2007 में प्रस्तुत रिपोर्ट के माध्यम से यह उल्लेखित किया कि तापमान के कारण ग्लेसियर समुद्र के जल का स्तर, तटीय देषों पर प्रभाव और जीव जन्तुओं की अधिकतम छति हुई है। उन्होंने जेम हर्टन की थ्योरी आॅफ यूनिफार्मेटिक के माध्यम से बताया कि कोई भी चीज पृथ्वी पर अचानक नही होती, वह पहले भी होती रही है। पर्यावरण में असंतुलन के लिए मानव के हस्तक्षेप को जिम्मेवार माना।

मुख्य वक्ता डाॅ0 काशिफ अहमद (भूगोल विभाग, छत्रपति षाहू जी महाराज विश्ववविद्यालय, कानपुर) ने कहा कि जलवायु परिवर्तन का विकासशील देशो पर प्रभाव होने से मलेरिया जैसी बीमारी में वृद्धि हुई है। वहीं यूरोपीय देशो में भी तापमान बढ़ने से मलेरिया के मच्छरों के लिए अनुकूलित तापमान होने से प्रभाव दृश्टिगत हुए हैं। पूरी दुनिया में औसत तापमान का मानक 14 डिग्री सेल्सियस को रखा गया है लेकिन 14 डिग्री से उपर गर्म प्रभाव का क्षेत्र और 14 डिग्री से नीचे ठंडे प्रभाव का क्षेत्र माना जाता है।

मुख्य अतिथि के रूप में एयर वाइस मार्शल डाॅ0 अजीत त्यागी ने अपने उद्बोधन में कहा कि जलवायु परिवर्तन का ज्यादा प्रभाव विकासशील देशो में रहने वाले गरीबों के उपर पड़ा है। विकासशील देशो की कृषी, जल संरक्षण, खाद्य सुरक्षा और स्वास्थ्य को जलवायु परिवर्तन के कारण अधिकतम नुकसान हुआ है। उन्होंने विकसित और विकासशील देषों में जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने हेतु सामाजिक नेतृत्व और राजनीतिक नेतृत्व आगे लाने पर बल दिया। साथ ही भारत की मुख्य भूमिका निभाने पर जोर दिया। उन्होंने ग्रीन हाउस साइकलिंग के प्रभावों को दर्षाते हुए जलवायु परिवर्तन पर अमेरिका द्वारा उसके मानकों के उलंघन का आरोप लगाया साथ ही पेरिस सम्मेलन द्वारा जलवायु परिवर्तन के विषयों पर विकसित देशो उदासीनता की भी चर्चा की।

अध्यक्षीय उद्बोधन में प्रो0 टी0एन0 सिंह, माननीय कुलपति, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ ने कहा कि जलवायु परिवर्तन एक प्राकृतिक प्रक्रिया है। जलवायु में परिवर्तन में मानवीय हस्तक्षेप की भूमिका भी रही है। उन्होंने ऊर्जा नीति और ऊर्जा मार्केटिंग जैसे विषयों को रखते हुए कार्बन के बढ़ने की गति की दर पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने ई प्रदुषण की चर्चा करते हुए बताया कि पर्यावरण के लिए अन्य प्रदुषणों की अपेक्षा ज्यादा अहितकारी है, इससे शारीरिक और मानसिक विकृति बढ़ रही है, इसके निवारण पर भी विचार करना चाहिये। जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को भारत के पाठ्यक्रम में शामिल करने पर बल दिया। साथ ही जलवायु परिवर्तन के प्रति जागरूक होने की बात कही।

कार्यक्रम में सर्वप्रथम संगोष्ठी के स्मारिका का विमोचन मंचासीन अतिथियों द्वारा किया गया।

प्रथम सत्र की अध्यक्षता प्रो0 राणा पी0बी0 सिंह जी द्वारा किया गया तथा मुख्य वंक्ता प्रो0एन0के0 दूबे व डाॅ0 रोजालिन पटनायक थे। इस सत्र में कुल 15 षोध प्रपत्र प्रस्तुत हुआ।

प्लेनरी सेशन में अध्यक्षता प्रो0 पी0 नाग जी द्वारा किया गया। मुख्य वक्ता के रूप में प्रो0 सी0एस0 मोहंती, डाॅ अनुराग रत्न थे।

कार्यक्रम का संचालन डाॅ0 वंदना सिंह द्वारा व धन्यवाद ज्ञापन आयोजन सचिव डाॅ0 रेशम लाल द्वारा किया गया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से प्रो0 रवि प्रकाश पाण्डेय, डाॅ0 सूर्यभान प्रसाद, डाॅ0 राम प्रकाश सिंह यादव, डाॅ0 रवि प्रकाश सिंह डाॅ0 पीयूष मणि त्रिपाठी, डाॅ0 विजय, डाॅ0 जयदेव पाण्डेय, डाॅ0 बेबी सिंह, डाॅ0 उमाकांत पासवान, डाॅ0 कैरोकान्त उजाला, जितेद्र कुमार सिंह, रोशन मौर्या, परवेज अख्तर, शुभाकांक्षा सिंह, तृप्ती मौर्या, आलोक सोनकर, अविनेश गुप्ता, सर्वेश, विभा त्रिगुणायत व अनेकों छात्र-छात्राओं की उपस्थिति भी रही।

रिपोर्टर:-महेश पाण्डेय वाराणसी

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