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उत्तर प्रदेश

BHU 'सृष्टि-2020' के लिए नहीं मिली सुविधा तो धरने पर बैठे छात्र

BHU  सृष्टि-2020 के लिए नहीं मिली सुविधा तो धरने पर बैठे छात्र
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वाराणसी, । कुछ समय से शांत चल रहे बीएचयू में एक बार फ‍िर से छात्रों का धरना विरोध और प्रदर्शन परवान चढ़ने लगा है। दरअसल कृषि विज्ञान संस्थान के वार्षिक सांस्कृतिक कार्यक्रम सृष्टि-2020 हेतु बीएचयू द्वारा फंड और स्वतंत्रता भवन उपलब्ध नहीं कराया गया। इसकी वजह से नाराज कृषि विज्ञान संस्‍थान के छात्र सोमवार को परिसर खुलने के साथ ही करीब 100 से 120 की संख्या में पहुंचे और धरना प्रदर्शन्‍ करने लगे। हालांकि अधिकारियों के समझाने के बाद छात्रों ने दो घंटे के प्रदर्शन के बाद धरना खत्‍म कर दिया।

सोमवार की सुबह संस्थान के मुख्य द्वार पर अपनी मांगों के समर्थन में छात्र चाैथे वर्ष के छात्र पुष्पेंद्र के नेतृत्व में सुबह 8.30 बजे से धरने पर बैठ गए। वहीं जानकारी होने के बाद परिसर में छात्रों के विरोध प्रदर्शन को लेकर काफी गहमागहमी शुरु हो गई। वहीं विवि प्रशासन की ओर से छात्रों से वार्ता करने पहुंचे विभाग के प्रोफेसर ने छात्रों को समझाने की कोशिश की परंतु छात्र वार्ता को तैयार नहीं हुए। इसके बाद विवि प्रशासन के अन्‍य अधिकारियों से मंथन कर कार्यक्रम के आयोजन के लिए विवि की ओर से पहल करने पर चर्चा हुई।

छात्रों का धरना- प्रदर्शन सुबह दो घंटे तक चलने के दौरान विवि की ओर से इस मामले में कोई फैसला न हो पाने की वजह से छात्र धरने पर बैठे रहे। छात्रों के अनुसार जब तक उनकी मांगें नहीं मानी जाएंगी तब तक वे इसी तरह धरने पर बैठे रहेंगे। इस दौरान छात्रों ने नारेबाजी कर अपनी मांगों को दोहराया तो परिसर एक बार फ‍िर से छात्र आंदोलन की यादों में डूब गया।

वहीं जानकारी होने के बाद बीएचयू स्थित कृषि विज्ञान संस्थान में धरनारत छात्रों को कृषि संस्थान के निदेशक ने बताया कि कल स्वतंत्रता भवन उपलब्ध कराया जाएगा। इसके बाद छात्र अनिश्चित काल के लिए धरने से उठ गए, लेकिन यह नहीं मिला तो छात्रों ने कहा कि दोबारा धरने पर बैठ जाएंगे। छात्रों ने बताया कि सृष्टि 2020 कार्यक्रम 31 जनवरी से चल रहा था, जिसे दो दिन बाद रोक दिया गया। संस्थान ने कहा कि डिपार्टमेंट में ही यह उत्सव मनाएं, स्वतंत्रता भवन नहीं दिया जाएगा। जबकि इस वार्षिक समारोह में काफी भीड़ होती है। छात्रों ने यह भी बताया कि स्वतंत्रता भवन का एक दिन का खर्च 9 हजार रुपये है तो क्या संस्थान के पास बजट नहीं है, वहीं एक साल में हर संस्थान को एक दिन के लिये इसे मुफ्त में देने का प्रावधान रहा है।

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