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उत्तर प्रदेश

अब AMU छात्राओं ने शाहजमाल में लगवाए आजादी के नारे

अब AMU छात्राओं ने शाहजमाल में लगवाए आजादी के नारे
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अलीगढ़ - नागरिकता संशोधन कानून (सीएए), राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनसीआर) व राष्ट्रीयजनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) के खिलाफ शाहजमाल ईदगाह के बाहर चार दिन से जारी महिला आंदोलन की कमान शनिवार को एएमयू छात्राओं ने संभाल ली। छात्राओं ने महिलाओं से न सिर्फ कानून के विरोध में नारेबाजी करवाई, बल्कि नेहरू और सर सैयद वाली आजादी के नारे भी लगवाए। दोपहर को नमाज भी सड़क पर ही हुई। फिर धरनास्थल पर ही महिलाओं को खाना दिया गया। धरनास्थल के बाहर मैदान में पुरुषों की भी भारी भीड़ जुटी थी। पुलिस फोर्स भी रोजाना की तरह मुस्तैद नजर आया।

समझाने की सारी कोशिशें नाकाम

दिल्ली के शाहीन बाग की तर्ज पर नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ बुधवार से शाहजमाल ईदगाह के बाहर सड़क रोककर महिलाएं धरने पर बैठी हैं। महिलाओं को मनाने की अफसरों ने तमाम कोशिशें की, मगर वे नहीं मानीं। जुमे की नमाज पर तीन हजार महिलाओं समेत छह हजार लोगों की भीड़ ने पुलिस प्रशासन के होश उड़ा दिए थे। इसी बीच शुक्रवार शाम अचानक एएमयू छात्रसंघ के पूर्व उपाध्यक्ष सज्जाद सुभान राथर के साथ आईं छात्राएं माइक लगाने पर अड़ गई। सज्जाद बुर्का पहनकर महिलाओं के बीच घुस गया था और मौका पाकर भाग निकला। अनुमति न मिलने पर भी माइक लगा दिया गया। देर रात इंकलाबी गीत शुरू हो गए। इसके बाद शनिवार सुबह एएमयू की छात्राएं खुलकर सामने आ गईं। छात्राओं ने कहा कि अब इन महिलाओं को एकत्रित करने वाला कोई नहीं है। हम इस धरने की जिम्मेदारी ले रहे हैं। माइक पर छात्राएं जो भी घोषणा करती हैैं, महिलाएं उसे मान रही थीं। दोपहर करीब एक बजे छात्राओं ने आजादी के नारे लगवाए। सड़क पर ही नमाज पढ़ी गई। महिलाओं को छात्राओं ने हिदायत दी कि अपनी जगह से न हटें। नमाज के बाद वहीं खाना बांटा गया और फिर महिलाएं माइक पर चल रहे इंकलाबी गीतों में रम गईं। कतारबद्ध तरीके से खड़े पुरुषों से कहा गया कि आप जाइए और नमाज पढ़कर आइए। वे भी लौटकर फिर से घेरा बनाकर खड़े हो जाते।

'सर सैयद वाली आजादी के नारे'

छात्राओं ने माइक पर आजादी के नारों के साथ इंकलाबी नज्में भी पढ़ीं। छात्राओं ने कहा कि नारियों के नारों से इंकलाब आएगा। फिर 'सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में हैÓ, 'जिए हैं शान से, मरेंगे भी शान सेÓ के गीतों को महिलाओं ने दोहराया। 'हम क्या चाहते आजादी। हक है हमारा आजादी। है जान से प्यारी आजादी। बच्चे मांगें आजादी। बूढ़े मांगें आजादी। सर सैयद वाली आजादी। आरएसएस से आजादीÓ के नारे लगाए गए।

हठधर्मी का परिणाम है धरना प्रदर्शन

कांग्रेस के पूर्व सांसद बिजेंद्र सिंह ने नागरिकता संशोधन बिल को लेकर एएमयू में चल रहे धरना प्रदर्शन को हठधर्मी का परिणाम बताया है। कहा है कि पीएम मोदी कहते हैं कि इस बिल से देश के किसी भी व्यक्ति को डरने की जरूरत नहीं है तो फिर आंदोलन को लेकर हठधर्मी का व्यवहार क्यों किया जा रहा है। यूनिवर्सिटी में शिक्षण कार्य प्रभावित हो रहा है।

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