विदेश यात्रा के कारण मानसिक प्रताड़ना का मुद्दा बनी मौत की वजह

विनोद मिश्र जी भारत का प्रतीनिधीत्व करने साउथ अफ्रीका गये थे । जिसके लिये उन्होने अपने हैड ऑफ डीपार्टमेंट। को सुचित कर दिया था और इसकी मौखिक अनुमती उन्हे मिल गई थी ।
भारत सरकार द्वारा किसी सरकारी कर्मचारी को कार्यरत रहते हुए ,सरकारी कार्य से विदेश भेजा जाता है तो कया उस कार्य अवधी की तनख्वाह नही दी जाती ।यदि दी जाती है तो ,श्री विनोद मिश्र जी को विदेश यात्रा के समय का वेतन क्यों नही मिला ।
जिस समय विनोद जी विदेश मे थे ,उसी दौरान कुलपती भातखन्डे भी विदेश मे थी तो कया वह ऑन ड्यूटी थी या छुट्टी ले कर गई थी ।जिस। प्रकार कुलपति को (नेपाल)विदेश के कार्यक्रम हेतु छुट्टी चाहिये थी उसी प्रकर से विनोद जी को भी छुट्टी चाहिये थी ।विदेश के सरकारी कर्यक्रम के लिये।
विनोद मिश्र जी को 2 फरवरी 18 को वापस आन था उन्होने 2 फरवरी तक की छुट्टी का आवेदन किया था लेकिन वह 5 फरवरी तक नही गये ।।उनका निलम्बन 2 फरवरी 2018 को दे दिया गया ।क्या इसका फैसला विश्वविध्यालय की प्रबंध समिति ने 31 जनवरी 2018 को ही कर लिया था । इतनी जल्दी थी निलम्बन की उन्हे भातखन्डे आ कर कोई कारण बताओ नोटिस भी नही दिया । सीधे निलम्बित ही कर दिया।
कुलपति के अनुसार उनकी ड्यूटी भातखंडे के सेमिनार मे लगी थी ।जबकी भातखन्डे मे चार अन्य रईस अहमद ,महेश्वर दयाल नागर,अनीष मिश्र,निशान अब्बास भी सरन्गी वादक थे ।केवल वही क्यो जरूरी थे । किसी की भी ड्यूटी लगाई जा सकती थी। यदि उस समय विनोद जी बीमार होते तो क्या उन्हे छुट्टी नही मिलती।
क्या विनोद मिश्र जी ने भारत सरकार के आदेश को मानकर इतनी बडी गलती कर दी की एक विश्व स्तर के कलाकार को तीन वर्ष तक भातखन्डे कुलपति ने इतना मानसिक रुप से प्रताणित किया वह कलाकार आज हमारे साथ नही है ।
कुलपति के अनुसार वह सिर्फ राजभवन का आदेश मानती है तो फिर उन्होने विनोद मिश्र जी के जिस निलम्बन को राजभवन ने निरस्त कर दिया था उसे कुलपति ने क्यो नही माना ।मतलब साफ उन्हे अपने नियम चालाने थे । विनोद जी को स्पस्ट निर्देश दिये की वह निलम्बन अवधी के समय कोई भी धनार्जन का कार्य नही कर सकते ।एक कलाकार जिसे वेतन ना मिले और वह परिवार के भरण पोषण के लिये कोई अन्य कार्य ना करे यह बताता है की वह एक कलाकार से शत्रुता पुर्वक व्यवहार कर रही थी ।
विनोद मिश्र जी को कनिस्ठ प्रवक्ता (जूनियर लेकचरर पद दे कर वेतन संगत कर्ता का ही क्यो दिया जाता रहा ।क्यो पद दिया यदि पद दिया तो वेतन क्यो नही बढाया गया।
विनोद मिश्र जी आपके साथ आपके कार्यक्रम मे नेपाल ना जाकर दूसरे कार्यक्रम मे साउथ अफ्रीका चले गये ।जिसे कुल्पति ने अपना अपना अपमान मान कर बिना किसी अवमानना नोटिस के सीधे निलम्बित कर दिया । राजभवन के आदेश को ना माना आपने जब कोर्ट के जरिये स्टे मिला तो कुलपति ने विनोद जी को पदभार गृहण करने के बाद भी उनको उनके कार्य से दूर रखा गया इस आदेश के साथ की वह भातखन्डे परिषद के किसी भी सदस्य से नही मिलेंगे ।
भातखन्ड़े मे। विनोद जी को रोज बुलाकर 5 घन्टे एक कमरे मे बैठाया गया
सांरगी वादक को साज बजाने नही दिया क्यो।
जिस नौ पेज की सारगर्भित अख्या के आधार पर विनोद जी को निलांबित किया गया ।जिसकी बात कुलपति करती है वह हमे चाहिये भातखंडे मे पिछले तीन वर्ष से सारंगी का कोई भी शिक्षक नही है ।बी 'पी'ए'और एम 'पी'ए'की क्लास कौन ले रहा है । न् ळ ब् के आधार पर फर्जी डिग्री बाटी जा रही है। भातखंडे के इतिहास को धुमिल किया जा रहा है।
अन्य अनियमितातओ की बात करे तो ।
नये आवेदन लिये जा रहे है पुरानो को सैलरी नही दे रही है ।
तीन वर्षो से कई लोगो सौरभ ,मनोज,अनीस आदि को वेतन नही मिला हैं । शासन कह्ता है हम इस नियुक्ती को नही मानते।
बच्चों से सेमिनार के लिए दो से ढ़ाई हजार रूपये लिए जाते हैं जिसका कोई ब्यौरा नहीं है।
सृश्टि माथुर और मनोज जैसे अन्य लोगों की नियुक्तियां जो हुई हैं उन्हें मात्र वेतन ही दिया जाता है अन्य कोई भत्ता नहीं मिलता।
नियमानुसार किसी विष्वविद्यालय का कुलपति वही हो सकता है जो दस वर्श किसी भी विष्वविद्यालय में प्रोफेसर रह चुका हो वह भी तीन से पांच साल तक। यह ग्यारह वर्शो से भातखण्डे विष्वविद्यालय की कुलपति किस आधार पर हैं।
एक तरफ भातखण्डे विष्वविद्यालय की कुलपति का कहना है कि जो कनयुक्तियां हुई हैं वह षासन के द्वारा की गयी है और उनका फैसला षासन करेगा तो फिर पं. विनोद मिश्र के निलम्बन का फैसला विष्वविद्यालय प्रषासन ने क्यों किया। यदि राजभवन द्वारा विष्व विद्यालय संचालित है और राजभवन सभी निणर्य लेता है तो विनोद मिश्र के निलम्बन को निरस्त करने का फैसला भी राज्यपाल ने कर दिया था तो कुलपति ने उस फैसले का पालन क्यों नहीं किया।




