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उत्तर प्रदेश

भाजपाइयों के मंसूबे चकनाचूर,अविश्वास प्रस्ताव गिरा, सहारनपुर में बसपा की बादशाहत बरकरार

भाजपाइयों के मंसूबे चकनाचूर,अविश्वास प्रस्ताव गिरा, सहारनपुर में बसपा की बादशाहत बरकरार
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सहारनपुर में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के जिला पंचायत अध्यक्ष के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा लाया गया अविश्वास प्रस्ताव गिर गया। सदस्यों की संख्या कम होने और कोरम पूरा नहीं कर पाने की वजह से यह अविश्वास प्रस्ताव गिरा है। सभापति की ओर से हालांकि विपक्षी दल भाजपा की मांग पर 22 मिनट का अतिरिक्त समय दिया गया। बावजूद इसके भाजपा अपने सदस्यों की संख्या नहीं बढ़ा सकी, जबकि बसपा के समर्थन में 25 सदस्य रहे। जिसकी वजह से भाजपा का अविश्वास प्रस्ताव गिर गया।

बताया गया कि अविश्वास प्रस्ताव गिरने से लगातार बसपा की जिला पंचायत में चौथी बार बादशाहत बनी हुई है। अब बचे एक साल के जिला पंचायत के कार्यकाल में नियमानुसार अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकता है। जिलाधिकारी आलोक कुमार पाण्डेय ने इस बात की पुष्टि की। इस दौरान जिला पंचायत अध्यक्ष कार्यालय पर जबरदस्त गहमागहमी रही। भारी तादाद में पुलिस फोर्स की तैनाती की गई थी।

सहारनपुर में जिला पंचायत अध्यक्ष तसमीम बानो हैं। करीब चार बार से बसपा की बादशाहत जिला पंचायत में चली आ रही है। 32 लोगों के हस्ताक्षर वाला पत्र सौंपकर पूर्व विधायक रामकुमार मोल्हू ने दावा किया था कि जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी खतरे में है। जिस पर गुरुवार को मतदान हुआ। मतदान को लेकर जिला पंचायत कार्यालय में सुबह दस बजे से जबरदस्त गहमागहमी रही। भारी फोर्स भी तैनाती रही। मतदान को लेकर भाजपा और बसपा आमने-सामने थे। विपक्ष में बैठी भाजपा को अविश्वास प्रस्ताव के लिए 25 सदस्यों की जरूरत थी लेकिन भाजपा, संगठन और मोल्हू की तमाम कोशिशों के बावजूद 22 सदस्य ही पहुंच सके।

विपक्षी भाजपा ने सभापति और जिलाधिकारी से 22 मिनट और समय बढ़ाने की मांग की। जिस पर सहमति मिलने के बाद 22 मिनट का अतिरिक्त समय दिया गया। लेकिन भाजपा अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए जरूरी 25 सदस्य नहीं जुटा पाई। जिसकी वजह से अविश्वास प्रस्ताव गिर गया। बताते चलें कि जिला पंचायत में 49 सदस्य हैं। जिनमें से एक की मौत हो चुकी है। इसलिए फिलहाल सदस्यों की संख्या 48 है।

जिलाधिकारी आलोक कुमार पाण्डेय ने बताया कि नियमानुसार सभी कार्यवाही संपन्न हुई। अविश्वास प्रस्ताव पारित करने के लिए जरूरी 25 सदस्यों की जरूरत थी जो 22 सदस्यों तक सीमित रह गई। इसलिए बीजेपी की ओर से लाया गया अविश्वास प्रस्ताव गिर गया। अब नियमानुसार एक साल तक कोई भी अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकता है।

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