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उत्तर प्रदेश

#UPPoliceReform पुलिस कमिश्नर प्रणाली में डीएम के अधिकार हो गए हैं कम? चर्चाएं तेज

#UPPoliceReform  पुलिस कमिश्नर प्रणाली में डीएम के अधिकार हो गए हैं कम? चर्चाएं तेज
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लखनऊ. उत्तर प्रदेश की कैबिनेट बैठक में आज यूपी में पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू करने संबंधी प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई नई व्यवस्था के तहत सुजीत पांडेय को लखनऊ का पुलिस कमिश्नर और आलोक सिंह को नोएडा का पुलिस कमिश्नर बना दिया गया है. उधर इस बड़े बदलाव के बाद लखनऊ के सत्ता के गालियारों में नई व्यवस्था के तहत आईएएस और आईपीएस अफसरों के अधिकारों को लेकर चर्चाएं शुरू हो गई हैं.

सरकार के इस फैसले के बाद डीजीपी ओपी सिंह से लेकर पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह, पूर्व डीजीपी केएल गुप्ता और पूर्व डीजीपी बृजलाल समेत की आईपीएस अधिकारियों ने इसका स्वागत किया है वहीं रिटायर्ड आईएएस अधिकारियों ने दबी जबान में इसे जिलाधिकारी के अधिकारों में कटौती बताया है.

रिटायर्ड आईएएस सूर्य प्रताप सिंह ने कहा है कि अधिकारों में हुए बड़े बदलाव के बाद क्रास इक्जामिन का सिस्टम खत्म हो जायेगा.

वहीं इस मुद्दे पर डीजीपी ओपी सिंह ने इस मामले पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को बधाई दी है. ओपी सिंह ने कहा है कि नई व्यवस्था में चेन आफ कमांड के कम होने से बहुत हद तक कानून व्यवस्था न सिर्फ बेहतर होगी बल्कि पुलिस अधिकारियों की जवाबदेही भी तय हो जाएगी.

आइये अब आपको बताते हैं कि नई व्यवस्था में क्या होंगे पुलिस कमिश्नर के पावर...

1. कानूनी भाषा में समझें तो सीआरपीसी की मैजिस्ट्रियल पावर वाली कार्रवाई अब तक जिला प्रशासन के अफसरों के पास थी, वह अब पुलिस कमिश्नर को मिल जाएगी. सीआरपीसी की धारा 107-16, 144, 109, 110, 145 का क्रियान्वयन पुलिस कमिश्नर कर सकेंगे.

2. कमिश्नर सिस्टम से शहरी इलाकों में भी अतिक्रमण पर अंकुश लगेगा. अतिक्रमण के खिलाफ अभियान चलाने का आदेश सीधे तौर पर कमिश्नर दे सकेगा और नगर निगम को इस पर अमल करना होगा.पुलिस कमिश्नर को गैंगस्टर, जिला बदर, असलहा लाइसेंस देने जैसे अधिकार होंगे. अभी तक ये सभी अधिकार जिलाधिकारी के पास थे.

3. कमिश्नरी सिस्टम में धरना प्रदर्शन की अनुमति देना और न देना भी पुलिस के हाथों में आ जाएगा.

जमीन संबंधी विवादों के निस्तारण में भी पुलिस को अधिकार मिलेगा. पुलिस कमिश्नर सीधे लेखपाल को पैमाइश का आदेश दे सकता है. कानूनविदों की मानें तो इससे जमीन से संबंधित विवाद का निस्तारण जल्दी होगा.

4. दंगे के दौरान लाठीचार्ज होना चाहिए या नहीं, अगर बल प्रयोग हो रहा है तो कितना बल प्रयोग किया जाएगा इसका निर्णय भी पुलिस ही करेगी, अब तक यह फैसला जिला प्रशासन के पास होता था। तो वही कई ऐसे अधिकार है जिनको कानूनी भाषा में भी समझना जरूरी है.

पुलिस आयुक्त प्रणाली में जिलाधिकारी से हटेंगे कई अधिकार

पुलिस कमिश्नर के पास होंगे अनैतिक व्यापार अधिनियम 1956 के विधिक अधिकार

पुलिस अधिनियम 1922 के विधिक अधिकार

पशुओं के प्रति क्रूरता निवारण अधिनियम 1960 के विधिक अधिकार

विस्फोटक अधिनियम 1884 के विधिक अधिकार

कारागार अधिनियम 1894 के विधिक अधिकार

सरकारी गोपनीयता अधिनियम 1923 के विधिक अधिकार

विदेशी अधिनियम 1946 के विधिक अधिकार

गैरकानूनी गतिविधियां अधिनियम 1967 की विधिक अधिकार

भारतीय पुलिस अधिनियम 1861 के विधिक अधिकार

उत्तर प्रदेश अग्निशमन सेवा अधिनियम 1944 के विधिक अधिकार

उत्तर प्रदेश अग्नि निवारण एवं अग्नि सुरक्षा अधिनियम 2005 के विधिक अधिकार

उत्तर प्रदेश गिरोहबंद और समाज विरोधी क्रियाकलाप अधिनियम 1986 विधिक अधिकार

हालांकि आईएएस और आईपीएस अधिकारियों के अधिकारों को लेकर छिड़ी बहस पर सरकार की तरफ से सफाई भी दी गई है. सरकार के मंत्री श्रीकांत शर्मा ने कहा है कि ये किसी के अधिकारों की कटौती नहीं बल्कि पुलिस की जवाबदेही तय करने जैसा है. सरकार भले ही उत्तर प्रदेश में पहली बार किये इस प्रयोग को लेकर अपनी पीठ थपाथपा रही हो लेकिन पुलिस के मजिस्ट्रेट के पावर मिलने के बाद अधिकारों क्षेत्र में बढ़ोतरी और कटौती को लेकर अधिकारियों के खेमे में चर्चाएं आम है.

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